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‘पद्मावती’ पर हम क्यों लें फैसला?: लालकृष्ण आडवाणी

सेंसर बोर्ड को ये तय करना चाहिए कि फिल्म की स्क्रीनिंग भारत में हो या नहीं

Arbind Verma

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने काफी अरसे बाद किसी मुद्दे पर बयान दिया है. उन्होंने ‘पद्मावती’ विवाद पर संजय लीला भंसाली की पेशी के दरम्यान ये कहा कि, ‘फिल्म को लेकर आखिरी फैसला सेंसर बोर्ड को करने देना चाहिए.’


आडवाणी ने कहा कि, ‘संसदीय कमेटी के सदस्य क्यों केवल सेंसर बोर्ड को ही ये फैसला करने दो कि इस फिल्म की भारत में स्क्रीनिंग होनी चाहिए या नहीं. सीबीएफसी को अपना काम करने देना चाहिए.’

गुरुवार को ‘पद्मावती’ विवाद पर फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली और सीबीएफसी के चेयरमैन प्रसून जोशी संसद की सूचना और तकनीकि कमेटी के सामने पेश हुए. ढाई घंटे तक चली इस पेशी में भंसाली से कई सवाल किए गए जिनमें से कुछ सवालों का लिखित में जवाब देने के लिए भंसाली को दो हफ्ते का समय दिया गया है.

आपको बता दें कि 14 सदस्यीय कमेटी के केवल 8 सदस्य ही इस बैठक में शामिल हुए. शिवसेना के एक और बीजेपी के दो सदस्यों ने फिल्म पर बैन की मांग की. जबकि बाकी के सदस्यों ने अपनी राय देते हुए गेंद को सेंसर बोर्ड के पाले में डाल दिया और कहा कि पहले सेंसर बोर्ड क्लियरेंस दे उसके बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाना चाहिए.

संसदीय कमेटी के सामने सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि उन्होंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है. फिल्म की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया जारी है. फिल्म को पहले रीजनल कमेटी देखेगी और फिर सेंट्रल कमेटी. सेंसर बोर्ड पहले किसी एक्सपर्ट की राय लेगा उसके बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे. प्रोमो अप्रूव होने के सवाल पर प्रसून ने कहा कि, ‘हां प्रोमो अप्रूव थे.’