view all

Tuesday Trivia: अंग दान पर बनी पहली फिल्म थी अनिल कपूर की ‘साहेब’

इस फिल्म का गाना यार बिना चैन कहां रे...उन दिनों दूरदर्शन के माध्यम से हर किसी के दिल तक जा पहुंचा था

Hemant R Sharma

1985 में आई फिल्म ‘साहेब’ स्पोर्ट्स के बैकड्रॉप पर एक सोशल फैमिली ड्रामा थी. ‘साहेब’ 1981 में इसी नाम से आई एक बंगाली फिल्म का हिन्दी रीमेक थी जिसमें मुख्य भूमिका तापस पॉल ने निभाई थी.

‘साहेब’ को हिन्दी फिल्मों के दर्शकों के पसंद किए जाने के बाद, तेलुगु में ‘विजेता’ के नाम से, कन्नड़ में ’कर्ण’ और मलयालम में ’चेक्केरन ओरु चिल्ला’ के नाम से भी बनाया गया.


फिल्म में मुख्य भूमिका में उस दौर के उभरते हुए नये अभिनेता अनिल कपूर को साइन किया गया. ‘साहेब’ वो पहली फिल्म थी जहां मुख्य अभिनेता के तौर पर अपने अभिनय के लिए अनिल कपूर की एक्टिंग की काफी तारीफ हुई.

फिल्म की कहानी हिन्दी फिल्मों के इतिहास में लीग से हट कर थी क्योंकि इस फिल्म की कहानी के बैकड्रॉप में फुटबॉल के खेल को आधार बनाया गया था और फिल्म ने सम्भवतया: पहली बार ऑर्गन/किडनी डोनेशन को कहानी के केन्द्र बिंदु में रखा था.

हिंदी में खेल की पृष्ठभूमि में बहुत कम फ़िल्में बनी थीं पर अस्सी के दशक में प्रकाश झा की ’हिप हिप हुर्रे’,

विक्रम की ‘सितम’ और अनिल गांगुली की ‘साहेब’ ने इस जॉनर को पर्दे पर पेश किया और आने वाले समय में कुछ और स्पोर्ट्स बैकड्रॉप की फिल्मों के लिए एक जमीन तैयार की.

फिल्म के गीत खास कर ’यार बिना चैन कहां रे’ दूरदर्शन के माध्यम से बेहद लोकप्रिय साबित हुआ. बप्पी लाहिरी ने गीत का हुक प्रसिद्ध पॉप स्टार ’डोना समर’ के एक हिट गीत से लिया था. इसी तरह की ढेरों फिल्मों के लिए आप देख सकते हैं सोनी मैक्स 2 क्योंकि कुछ फिल्मों का जादू कभी खत्म नहीं होता.

फिल्म ‘साहेब’ इस दौर की लोकप्रिय टीवी अभिनेत्री रूपाली गांगुली का एक बाल कलाकार के रूप में पर्दे पर डेब्यू थी. रूपाली फिल्ममेकर अनिल गांगुली की बेटी हैं और इस फिल्म के लिए पहली बार उन्होंने कैमरा फेस किया. फिल्म में अनिल गांगुली के बेटे विजय गांगुली भी एक बाल कलाकार के रूप में पर्दे पर नजर आए थे.

[Research - SONY MAX2]