view all

जन्मदिन विशेष ऋषि कपूर : आखिर क्यों पड़ी जितेंद्र-ऋषि की पुरानी दोस्ती में दरार?

ऋषि कपूर के जन्मदिन पर पढ़िए उनके जीवन की कई अनसुनी कहानियां

Abhishek Srivastava

ऋषि कपूर के बारे में अगर ये कहे की वो चांदी का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुए थे तो ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा. लेकिन 47 सालों के बाद अगर कोई ये कहे कि उनका फिल्मी करियर उनके पिता और उनके परिवार की वजह से बना तो ये बिल्कुल गलत होगा. फिल्म जगत में 47 साल तक टिके रहने के लिये हुनर चाहिए और ये ऋषि कपूर के अंदर कूट कूट कर भरा हुआ है. एक लंबे अरसे तक फिल्मों में रोमांटिक हीरो की पारी खेलने वाले ऋषि कपूर आजकल फिर से डिमांड में हैं और इस बार उनकी पारी एक चरित्र अभिनेता के तौर पर चल रही है.

दो दूनी चार, अग्निपथ, कपूर एंड संस से उन्होंने दिखा दिया की क्लास हमेशा परमानेंट ही रहता है. लेकिन ये भी सच है कि शानदार अभिनेता होने के बावजूद ऋषि कपूर हमेशा से अपने पिता राज कपूर या बेटे रणबीर कपूर की छाया में ही रहे. और इसी बात को उन्होंने अपने ट्टवीटर अकाउंट का बायो भी बनाया है. 70 के दशक में उनके दिलकश रोमांस की छटा अगर अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की वजह से फीकी पड़ गई तो वही सदाबहार अभिनेता का टैग देव आनंद चुरा कर ले गए. कम शब्दों में कहें तो जो रुतबा इस सितारे को मिलना चाहिए था वो मिला नहीं. क्या आपको पता है कि उनके खाते में पद्मश्री तक नहीं है.


बहुतों को ये जानकर आश्चर्य होगा की व्हस्की पीने का शौक रखने वाले ऋषि कपूर कुछ महीने पहले केरल के एक डीटॉक्स कैंप में कुछ दिनों के लिये दाखिल हुए थे. कोशिश वही थी शराब की लत को छुड़ाना और अपना वजन कम करना. दो हफ्ते के इस प्रोग्राम में वो मांस, शराब से पूरी तरह से दूर रहे. ऋषि कपूर की ये कोशिश उनके बारे में बहुत कुछ बयां करती है. इससे ये भी जानने का मौका मिलता है ये अभिनेता अपनी दूसरी पारी को लेकर कितना सजग है और इसमें भी वही जी जान डालना चाहता है जो उसने अपनी लीड एक्टर के दिनों में दिया था. ये बहुत कम लोगों को पता होगा कि शाहरुख खान की स्टारडम के पीछे ऋषि कपूर का भी थोड़ा बहुत हाथ है.

ये बात उस वक्त की थी जब यश चोपड़ा अपनी फिल्म डर के लिये नायक की तलाश में थे. कई लोगों ने यश चोपड़ा को इस नेगेटिव किरदार के लिये मना कर दिया था. आलम ये था कि यश चोपड़ा को कोई रास्ता सुझ नहीं रहा था और उसी वक्त उनका ऋषि कपूर के मिलना हुआ जिनके पास वो सनी देयोल का रोल का आफर लेकर आयें थे. ऋषि ने उस वक्त तो उस रोल को करने से मना कर दिया था लेकिन जब गपशप की बारी आई तब यश चोपड़ा ने अपनी परेशानी बताई तब ऋषि कपूर को उनको कोई अभिनेता मिल नहीं रहा है. तब ऋषि ने शाहरुख खान का नाम रिकमेंड किया. ऋषि इसके पहले फिल्म दीवाना में उनके साथ काम कर चुके थे और उनका काम उनको बेहद पसंद आया था. फिल्म डर के बाद शाहरुख खान का करियर किस दिशा में गया, ये बात किसी से छुपी नहीं है.

खैर जब बात ऋषि कपूर के अनछुए पहलूओं की हो रही है तो बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है की मशहूर अभिनेता जितेंद्र और फिल्म निर्देशक राकेश रोशन उनके फिल्म जगत के क़रीबी दोस्त हैं. जितेंद्र से उनकी पहली मुलाकात सन् 1969 में हुई थी जब दोनों एक दूसरे से लंदन में मिले. ये वो वक्त था जब राज कपूर ने ऋषि कपूर को लंदन फिल्म मेरा नाम जोकर के पोस्ट प्रोडक्शन के काम के लिये भेजा था. उम्र में 10 साल का फ़ासला होने से ऋषि कपूर ने हमेशा शुरु के दिनों में हमेशा उनके सामने अदब से पेश आए. लेकिन उम्र का ये फ़ासला कम हो गया जितेंद्र की जिंदा दिल और खुश मिज़ाज अंदाज़ से.

गाढ़ी दोस्ती में तब्दील होने में इसे ज्यादा समय नहीं लगा. आगे चल कर ऋषि प्यार से जंपिंग जैक को शंभू बुलाने लगे. आगे चलकर जितेंद्र ने उनके फिल्मी करियर को संवारने में काफी मदद की. जब भी किसी भी मोड़ पर ऋषि फंस जाते थे तो उनका पहला फोन कॉल जितेंद्र को जाता था. ये अलग बात थी कि ऋषि हमेशा उनके सुझावों पर नहीं चलते थे. आगे चलकर ये दोस्ती पारिवारिक दोस्ती में तब्दील हो गई जब ऋषि कपूर, नीतु कपूर, जितेंद्र और उनकी पत्नी शोभा एक साथ छुट्टियों पर जाने लगे. ऋषि कपूर ने अपनी जीवनी खुल्लम खुल्ला में इसके बारे में लिखा है और बताया है कि पाली हिल के गौतम अपार्टमेंट में उनके घर के बार में कई यादगार शामें बिताई गईं.

अपनी बेटी रिद्धिमा के साथ ऋषि कपूर

जब अमिताभ बच्चन फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान एक दुर्घटना में घायल हो गए थे तब उसकी दरमियान ऋषि के बेहद करीब दोस्त बिट्टू और टीनू आनंद फिल्म शहंशाह के प्री प्रोडक्शन में व्यस्त थे. जब उन्हे लगा कि अमिताभ की बीमारी की वजह से उनके फिल्म का नुकसान काफी बढ़ जाएगा तो ऋषि कपूर ने उन दोनों की मुलाकात जितेंद्र से करवा दी. मुद्दा यही था कि फिल्म में अमिताभ के बदले वो आ जाएं लेकिन जितेंद्र ने फिल्म ये कह कर करने से मना कर दिया की ये गलत होगा खास कर की जब कोई अस्पताल में है तो. इसके बाद से जितेंद्र को लेकर ऋषि कपूर के अंदर उनके प्रति आदर भाव और बढ़ गया.

लेकिन ये सब कुछ बदल गया जब ऋषि उनके ही बैनर की फिल्म कुछ तो है में एक गेस्ट अपीयरेंस की भूमिका निभा रहे थे. सन 2003 में ऋषि के पास कुछ ज्यादा काम भी नहीं था लेकिन दोस्ती की ख़ातिर फिल्म करने की हामी उन्होंने भर दी. फिल्म की शूटिंग के दौरान स्क्रिप्ट बदलने के साथ साथ फिल्म के निर्देशक अनुराग बासु को भी बदल दिया गया. बात यहीं पर नहीं रुकी ऋषि कपूर को जो किरदार निभाना था उसे भी आखिरी पलों में बदल दिया गया. आलम ये था कि ऋषि कपूर को फिल्म का विलेन बना दिया गया जिसको लेकर वो काफी नाराज़ भी हुए.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी पत्नी नीतू कपूर के साथ ऋषि कपूर (फोटो: पीटीआई)

अपनी नाराज़गी का इज़हार उन्होने जितेंद्र की बेटी एकता के सामने रखी जो फिल्म को प्रोड्यूस कर रही थीं. एक पेशेवर अभिनेता होने की वजह से ऋषि कपूर को हर दिन के बदलाव से तकलीफ़ हो रही थी. ऋषि कपूर ने अपनी जीवनी में इस बात को लिखा है कि फिल्म कितनी भी वाहियात क्यों ना हो उसमें भी उनका काम अच्छा होना चाहिए लेकिन कुछ तो है के सेट पर उनको कुछ करने का मौका मिल ही नहीं पा रहा था क्योंकि चीजें हर दिन बदलती रहती थी.

अति उस दिन हो गई जब उनको अपने क़रीबी मित्र और निर्देशक राहुल रवेल के भतीजे रजत रवेल की शादी में शिरकत करने का मौका नहीं मिला. उस दिन फिल्म की शूटिंग के लिये महबूब स्टूडियो बुक किया गया जहां पर शूटिंग शाम के सात बजे तक चलनी थी. अपने हिसाब से ऋषि कपूर को लगा की सात बजे काम खत्म करके वो शादी में वक्त पर पहुंच जाएंगे. लेकिन एन वक्त पर पूरे शूटिंग शेड्यूल को बदल दिया गया. अब नया शूटिंग का स्थान मडआईलैंड बना जहां पर शूटिंग रात के दो बजे तक चलनी थी. ये सब कुछ एकता की ज्योतिष दोस्त सुनीता कपूर के कहने पर हुआ था. जब ऋषि कपूर ने एक बार फिर से अपनी नाराज़गी जाहिर की जब जितेंद्र को बीच बचाव में आना पड़ा.

जितेंद्र ने उनसे ये कहा की पंजाबी शादियां अक्सर देर तक चलती हैं लिहाज़ा शूटिंग के बाद भी वो उसे अटेंड कर पाएंगे. न चाहते हुए भी ऋषि को मड जाना पडा लेकिन वहां भी पहले वाला आलम था रात 11 बजे तक किसी भी चीज की कोई तैयारी नहीं थी. बहरहाल तड़के 2.30 बजे ही उनको सेट से निकलने का मौका मिला लेकिन जब तक वो शादी के लिये पहुंचते तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था. राहुल रवेल इसको लेकर बेहद नाराज़ थे कि उनका सबसे क़रीबी दोस्त शादी में नहीं था. सारी हदें तब पार हो गई जब फिल्म रिलीज हुई. फिल्म के अंदर मड में शूट किया हुआ पूरा हिस्सा निकाल दिया गया था.

ऋषि कपूर ने अपनी सारी भड़ास एक इंटरव्यू में निकाल दी जिसको पढने के बाद जितेंद्र का पारा चढ़ गया. जितेंद्र ने फोन पर यहां तक कह दिया कि वो एकता के बारे में ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं. आगे चलकर दोनो की बरसों की दोस्ती में दरार आ गई. पुराने वक्त में जिस गर्म जोशी के साथ वो अक्सर मिलते थे वो अब नहीं रही.

बहरहाल ऋषि कपूर अपनी फिल्मी करियर की नई पारी को बेहद संजीदा तरीके से ले रहे हैं. उनका यही मानना है कि उनका मुकाबला उनके बेटे के साथ है. आने वाले समय में वो फिल्म 102 नाट आउट में अमिताभ बच्चन के 64 साल के बेटे के रुप में दिखाई देंगे. हम तो यही कहेंगे ऋषि कपूर के बारे में कि शराब जितनी पुरानी होती है नशा उतना ही चढ़ता है. फिल्म जगत के इस सदाबहार कलाकार को उसके जन्मदिन पर ढेरों शुभकामनाएं.