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Special Report : न्यूटन की डगर ऑस्कर अवॉर्ड के लिए आसान नहीं है

अभिषेक श्रीवास्तव बता रहे हैं कि अमेजन और नेटफिलिक्स की फिल्मों के सामने इरास की फिल्म न्यूटन को ऑस्कर में टिकने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा

Abhishek Srivastava

2018 में 4 मार्च को होने वाले ऑस्कर समारोह के लिए विभिन्न देशों के लिए फॉरेन फिल्म कैटेगरी में अपनी फिल्म को नामांकित करने की आखिरी तिथि 2 अक्टूबर है लेकिन वो सारी फिल्में जिनसे इस बात की उम्मीद बांधी जा सकती है कि वो फॉरेन फिल्म कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड जीत सकती है, वो फिल्में पहले ही ऑस्कर के लिए नामांकित कराई जा चुकी हैं. कहने का आशय यह है कि फॉरेन फिल्म केटेगरी के लिए युद्ध का बिगुल बज चुका है और सिने प्रेमी अब अपनी-अपनी भविष्यवाणी कर सकते हैं.

बाकी देशों की फिल्मों को देख कर यही लगता है कि न्यूटन की डगर ऑस्कर के लिए आसान नहीं होने वाली है. अमित मसूरकर की न्यूटन ऑस्कर के रास्ते में कुछ एक भारी भरकम लोगों की फिल्मों से टकराने वाली है. इन भारी भरकम लोगों की फेहरिस्त में एंजेलिना जोली, फ़ातिह एकिन, माइकल हनके, रुबेन ओस्टलँड और अगनिज़्ज़्का हॉलैंड जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं.


भारत की ओर से इस साल की ऑस्कर एंट्री न्यूटन को लेकर एक बात तो पक्की है कि इस बार फिल्म फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के इस चयन को लेकर किसी भी तरह का विवाद नहीं होने वाला है. पिछले कुछ सालों में जब लायर्स डाइस और द गुड रोड का चयन हुआ था तब कुछ स्वर इसके विरोध में भी निकले थे.

एक ऐसे सरकारी क्लर्क की कहानी जिसे नक्सल प्रभावित इलाके में लोकसभा के चुनाव कराने के लिए भेजा जाता है, को सभी ने तहे दिल से पसंद किया है. अगर न्यूटन की बात करें तो यह फिल्म ऑस्कर जाने वाले फिल्मों के मापदंडों पर पूरी तरह से खरी उतरती भी है. फिल्म के निर्देशक अमित मसूरकर बकौल न्यूटन अब तक लगभग पचास के ऊपर विश्व के फिल्म फ़ेस्टिवल समारोह की सैर कर चुकी है जिनमे प्रमुख हैं बर्लिन, ट्राईबेका, इस्तांबूल, ब्यूनस आयर्स, येरुशलम और हांगकांग. हांगकांग में अगर इस फिल्म को जूरी अवॉर्ड जीतने का श्रेय मिला तो वहीं दूसरी ओर बर्लिन के फिल्म समारोह में इसे सीआईसीएइ अवॉर्ड जीतने का गौरव प्राप्त हुआ.

बाकी के फिल्म समारोह में इसे अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था. मजे की बात ये है की हांगकांग के समारोह में जिस जूरी ने इसे पुरस्कार दिया था उसकी चेयरपर्सन पोलैंड की मशहूर फिल्म निर्देशिका अगनिज़्ज़्का हॉलैंड थी और उन्हीं की फिल्म स्पूर पोलैंड की ओर से ऑस्कर के लिए नामांकित की गई है.

न्यूटन अपने ऑस्कर के सफर में कुछ एक ऐसे दिग्गजों का सामना करेगी जो दुनिया के सबसे मशहूर फिल्म फ़ेस्टिवल समारोह जिनमें बर्लिन, कान्स और वेनिस का नाम शुमार हैं वहां पर इनकी कई फिल्में अतीत में दिखाई जा चुकी हैं और कई बार अवॉर्ड पर भी हाथ साफ़ करने का मौका भी मिला है. इन फ़िल्मकारों में सबसे प्रमुख नाम हैं माइकल हनाके, फ़ातिह एकिन और सेबेस्टियन लेलिओ. लेकिन इन सभी के बीच हम एंजेलिना जोली की फिल्म फ़र्स्ट दे किल्ड माई फ़ादर को हम किसी भी तरह से भुला नहीं सकते हैं. बेहद ही भावपूर्ण ये फिल्म सन 1975 में खमेर रूज़ के आतंक के ऊपर है. ये फिल्म कंबोडिया की ओर से ऑस्कर के लिए भेजी गई है.

इस बात के कयास लगाए जा सकते हैं कि न्यूटन को फ़र्स्ट दे किल्ड माई फ़ादर (कंबोडिया), द स्क्वायर (स्वीडन), फ़ाक्सत्रोट (इजराइल), लवलेस (रूस), ए फैंटास्टिक वुमन (चिली) से कड़ी टक्कर मिलेगी. जहां द स्क्वायर ने इस साल के कांन्स फिल्म समारोह में इसके सबसे बड़े अवॉर्ड पाम द ओर पर अपने हाथ साफ़ किए थे तो वही दूसरी ओर लवलेस को उसी समारोह में जूरी का अवॉर्ड दिया गया था. रोबिन कम्पिल्लो की फिल्म बीट्स पर मिनट को भी कान्स में इस साल ग्रैंड जूरी का पुरस्कार मिला था.

बीट्स पर मिनट फ्रांस की ऑफिसियल एंट्री है इस साल ऑस्कर के लिए. बर्लिन फिल्म समारोह में हंगरी की ऑस्कर की ऑफिसियल एंट्री ऑन बॉडी एंड सोल को गोल्डन बेयर से नवाजा गया था. बर्लिन में ही पोलैंड की एंट्री स्पूर को सिल्वर बेयर की ट्रॉफी दी गई थी. आखिर में इजराइल की फिल्म फ़ाक्सत्रोट को वेनिस फिल्म समारोह में ग्रैंड जूरी का पुरस्कार दिया गया था.

लेकिन ये भी सही है कि न्यूटन के ऊपर हमला कहीं से भी हो सकता है. अगर ऊपर की फिल्में दावेदारी के मामले में सबसे आगे है तो वे दूसरी ओर कुछ ऐसी भी फिल्में है जो न्यूटन के साथ साथ बाकी फिल्मों की पार्टी को भी चौपट करने की कूवत रखती हैं. नॉर्वे की थेल्मा और ऑस्ट्रिया की हैप्पी एन्ड इस मामले में सबसे आगे हैं.

अब यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि ऑस्कर की रेस में टॉप फ़ाइव में आने के लिए काफी जद्दोजहद और मशक्कत करनी पड़ती है. इन सभी फिल्मों के दर्जनों से ज्यादा स्क्रीनिंग्स करवाई जाती हैं ताकि फिल्म को लेकर अवॉर्ड समारोह के दिन तक इसके बारे में चर्चा होती रहे. अगर न्यूटन की बात करें तो फिल्म के प्रेसेंटर इरोस और इसको बनाने वाले दृश्यम फ़िल्म्स का मुक़ाबला सीधा नेटफ्लिक्स से है. नेटफ्लिक्स और अमेज़न के बीच का युद्ध अब अपने अगले चरण में पहुंच गया है.

अमेज़न के मैनचेस्टर बाई द सी ने पिछले साल ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब समारोह में नेटफ्लिक्स को बुरी तरह से धूल चटाई थी जब उनको कई अवॉर्ड्स इस फिल्म के लिए मिले थे. ऑस्कर में अभी भी नेटफ्लिक्स का खाता खुलना बाकी है. इस साल उनको एंजेलिना जोली की फिल्म की वजह से उनके हाथ एक अच्छा मौका लगा है जिससे वो कतई अपने हाथ से जाने नहीं देंगे ताकी अमेज़न के साथ उनका स्कोर बराबर हो सके. कहने की जरुरत नहीं कि इस स्ट्रीमिंग एजेंसी ने जिसमे हाल ही में कंटेंट बनाने के लिए लगभग 2 बिलियन डॉलर नामांकित किए हैं इसको एक सुनहरा मौके के रूप में देखेगी और अपनी पूरी ताकत वोटर्स के लिए झोंक देंगी.

नेटफ्लिक्स का यह पैसा हर बड़े मैगज़ीन में स्पेस खरीदने और वोटर्स के लिए स्क्रीनिंग करवाने में जाएगा. उनके लिए यह भी एक तरह का बोनस है कि कम्बोडिया की ऑस्कर एंट्री को किसी अमेरिकन ने निर्देशित किया है और नेटफ्लिक्स खुद भी एक अमेरिकन कंपनी है. कहने की जरुरत नहीं की नेटफ्लिक्स यह सब कुछ करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देगी. दूसरी तरफ यही चीज़ इरोस और दृश्यम फ़िल्म्स के लिए एक पहाड़ चढ़ने वाली बात बन जाएगी.

इरोस कई सालों से इंग्लैंड में काम कर रही है इसलिए इसका फायदा उनको कुछ हद तक मिल सकता है. इस पूरे स्क्रीनिंग और ढेर सारी सुगबुगाहट जुगाड़ने के खेल में सही पब्लिसिस्ट का चुनाव भी बेहद जरूरी हो जाता है.

वो प्रोडक्शन हाउस जो पैसे से संपन्न है उन्हीं पब्लिसिस्ट की मदद लेते है जिनकी पैठ हॉलीवुड में सालों से है. ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके अपने डेटाबेस से वोटर्स की लिस्ट निकालने का काम आसान हो जाता है. ऑस्कर के लिए पूरा खेल उन व्यक्तियों को फिल्म दिखाने को लेकर है जो वोट डालने का अधिकार रखते हैं.

हमारी बस यही कामना है कि न्यूटन एक बेहतरीन फिल्म है और यह फिल्म ऑस्कर के इस सफर को बिना किसी अड़चन के पूरा करे और देश का नाम विश्वपटल पर रखे.