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Interview : खुले में शौच गांव से ज्यादा शहरों की समस्या है - अक्षय कुमार

टॉयलेट एक प्रेम कथा की रिलीज से पहले फर्स्टपोस्ट से बात करते हुए अक्षय ने कहा है कि समाज में मैसेज देने के लिए मनोरंजन से बेहतर साधन हो ही नहीं सकता

Sunita Pandey

अक्षय कुमार इन दिनों अपनी अगली फिल्म 'टॉयलेट-एक प्रेम कथा' के प्रमोशन में व्यस्त हैं. आंकड़े बताते हैं कि खिलाड़ी कुमार जितनी रूचि इस फिल्म को प्रमोट करने में ले रहे हैं उतनी शायद ही कभी ली हो.

बकौल अक्षय कुमार 'टॉयलेट-एक प्रेम कथा' केवल एक फिल्म भर नहीं है, बल्कि ये एक मुहिम है जिसका मकसद लोगों को साफ-सफाई को लेकर जागरूक बनाना;है. अक्षय इस फिल्म को प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान में पूरे बॉलीवुड के योगदान की तरह देखते हैं.


खुले में शौच शहरों की बड़ी समस्या

अक्षय के मुताबिक, "खुले में शौच का मुद्दा केवल ग्रामीण क्षेत्रों की समस्या नहीं है. यह शहरों में भी एक बड़ी समस्या है, बल्कि बड़े शहरों में यह परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक खतरनाक है. हम कंक्रीट के जंगल में रहते हैं और ऐसे में यहां रोगाणु और बैक्टीरिया अधिक तेजी से फैलता है. एक पल के लिए भी ऐसा न सोचें कि यह फिल्म ग्रामीण क्षेत्रों के लिए है. यह शहरी लोगों से भी संबंधित है, क्योंकि गांवों की तुलना में शहरों में इससे ज्यादा खतरा है. अक्षय जोर देते हुए कहते हैं, "ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच एक मजबूरी हो सकती है लेकिन शहरों में शायद ये शौक है. सरकार ने जगह-जगह टॉयलेट बना रखे हैं लेकिन फिर भी लोग इसका उपयोग नहीं करते."

लोगों को जागरूक करना चाहते हैं अक्षय

पिछले दिनों इस फिल्म को कई राज्य सरकारों ने टैक्स फ्री करने का वादा किया था. इस बारे में अक्षय कुमार का  कहना है कि, "उनकी रुचि बॉक्स ऑफिस पर उनकी फिल्म की कमाई में नहीं, बल्कि उनकी रूचि फिल्म को अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचाने में है. अक्षय चाहते हैं कि इस फिल्म की टिकट सस्ती हो, ताकि अधिक से अधिक लोग इस फिल्म को देख सकें. उनके मुताबिक, "मेरी चिंता लोगों को इस मुद्दे के प्रति जागरूक करने की है."

हर शैली की फिल्म करना चाहते हैं अक्षय

अक्षय कुमार ने अब तक फिल्मों में ज्यादातर ऐसे ही रोल निभाए हैं, जिनकी पृष्ठभूमि शहरों से ताल्लुक रखती है.  अक्षय कुमार का कहना है, "भले ही उनकी यह फिल्म ग्रामीण परिवेश से संबंधित है, लेकिन यह ग्रामीण लोगों की तुलना में शहरी लोगों के लिए अधिक प्रासंगिक है.

‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ किसी भी फिल्म की कॉपी नहीं हैं: अक्षय कुमार

अक्षय के मुताबिक, "मेरी ऐसी कोई छवि नहीं है. मैं हर शैली की फिल्म करना चाहता हूं. मैं जब फिल्म जगत में आया, तो लोगों ने मुझे एक्शन हीरो कहा. फिर मैंने अलग शैली इस्तेमाल की, तो लोगों ने मुझे कॉमेडी और रोमांटिक हीरो का तमगा दे दिया. अब सब कह रहे हैं कि मैं सामाजिक मुद्दों की फिल्म कर रहा हूं. मैं किसी एक प्रकार की छवि में नहीं बंधना चाहता. मैं हर तरह की शैली के किरदार निभाना चाहता हूं."

किसी फिल्म की रीमेक नहीं है 'टॉयलेट'

'टॉयलेट-एक प्रेम कथा' पर तमिल फिल्म 'जोकर' के  रीमेक होने के आरोपों का जवाब देते हुए अक्षय ने कहा ये यूपी, बिहार और राजस्थान जैसे अलग-अलग शहरों से ली गई रियल स्टोरी है. यह कहना गलत होगा कि यह किसी फिल्म की रीमेक है. सामाजिक मुद्दे पर आधारित यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है और एक बुनियादी रूप से एक प्रेम कहानी है. फिल्म मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित है.

'टॉयलेट' से जरूर जुड़ेंगे दर्शक

फिल्म ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’ में अक्षय एक ऐसे ग्रामीण का किरदार निभा रहे हैं, जिसकी पत्नी शादी के कुछ दिन बाद ही ससुराल में टॉयलेट न होने की वजह से मायके चली जाती है. अक्षय के मुताबिक, "यह एक हास्य फिल्म है. दर्शक इस फिल्म को देखने के बाद हंसने के साथ कुछ सीखेंगे जरूर." फिल्म 11 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. फिल्म में अक्षय के अपोजिट भूमि पेडनेकर लीड रोल में हैं.