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कमांडो विद्युत जामवाल ने कहा, 'मेरे जैसा कोई नहीं'

विद्युत अपने एक्शन सीन खुद कोरियोग्राफ करते हैं.

Runa Ashish

'कमांडो' के हीरो विद्युत जामवाल का कहना है कि फिलहाल फिल्म इंडस्ट्री में उनके जैसा एक्शनबाज कोई नहीं है. विद्युत की कमांडो 2 आ रही है. इस फिल्म में भी विद्युत ने जमकर एक्शन किया है.

अपने एक्शन को लेकर ढेर सारी बातें करते हुए विद्युत कहते हैं, 'मैं एक्शन हीरो बनने आया था और बन गया. मुझे नहीं लगता है कि देश में अभी कोई ऐसा एक्शन डायरेक्टर है जो मेरी बराबरी कर सके. विद्युत इसकी वजह भी बताते हैं.


अपने ऐक्शन सीक्वेंस मैं खुद कोरियोग्राफ करता हूं, मेरी टीम में 21 लड़के हैं जो धारावी और नाला सोपारा से हैं, कोई कंपाउंडर है, कोई ट्रेन में किताबें बेचता है, एक लड़का झाड़ू बेचता है. लेकिन ये सब वो काम की तरह करते हैं लेकिन अपने पैशन के लिए वो मेरे साथ मार्शल आर्ट्स करते हैं. मेरे साथ स्टंट्स कोरियोग्राफ करते हैं.

'कमांडो' से लेकर 'फोर्स', 'बुलेट राजा', 'कमांडो 2' और 'बादशाहो' इन सारी फिल्मों के एक्शन हमने मिल कर बनाएं. सब के सब लड़के बहुत साहसी हैं और प्रतिभाशाली हैं.

आपके पिता का आर्मी में होने से आपको इस तरह की फ़िल्म में कोई मदद मिली? सवाल पर विद्युत कहते हैं, 'हां, मेरे पिता जम्मू एंड कश्मीर रायफल इंफेट्री कोर से हैं. हां मेरे लिए ये एक बहुत बड़ी मदद रही है. मेरी जिंदगी में अगर कोई सबसे बड़ी बात रही तो वो ये कि मैं एक सैनिक का बेटा हूं. मैं देश के ऐसे शहरों में रहकर पला बढ़ा हूं, जिसके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते. कुछ अभिनेता तो जानते भी नहीं कि ऐसी कोई जगह इस देश में भी है.

कई एक्टरों के ये मालूम है कि पेरिस मे कहां शॉपिंग अच्छी होती है लेकिन उन्हें ऋषिकेश नहीं पता कि कहां है. लेकिन मैं इस बात पर बहुत गर्व करता हूं कि मैं उन लोगों के बीच में रहकर बड़ा हुआ हूं जिसने देश की सेवा की है.

विद्युत कहते जाते हैं, 'मैं हर तरह के शख्स से बात कर सकता हूं चाहे वो जवान हो या ऑफिसर. चाहे वो पांच सितारा होटल में हो या चाय की दुकान पर बैठा हो.

कमांडो असल जिंदगी में तो बहुत ही दुबले-पतले होते हैं, शांत होते हैं. लेकिन आप तो फिल्म में ऐसे नहीं हैं ना?

'हां, कमांडो तो लंबे बाल भी नहीं रखते हैं, कमांडो इतने कूल तरीके से घूमते भी नहीं है. लेकिन सिनेमा है तो आप इतनी लिबर्टी ले सकते हैं. लोगों को प्रेरित करने के लिए कई बार बहुत सारी चीजें करनी पड़ती हैं. जो असल जिंदगी में होती नहीं हैं.'

विद्युत आगे जोड़ते हैं, 'मैं कई ऐसे लोगों से मिला हूं जो बड़ी-बड़ी डींगे हांकते हैं लेकिन समय आने पर या किसी लड़की के साथ बदतमीजी होने पर जो कहीं एक छोटा सा दिखने वाला शख्स है ना वो आकर मदद कर जाता है.

आपने एक बार कहा था कि आपको अजय देवगन की एक्शन स्टाइल पसंद है?

मैंने कहा था कि मुझे अजय देवगन पसंद थे. अक्षय भी पसंद थे और सलमान भी पसंद थे. मैं तो खुद शाहरुख़ का बहुत बड़ा फैन हूं. उनके एक्शन्स मुझे अच्छे लगते हैं लेकिन मुझे अपना एक्शन बहुत पसंद है. मैंने मार्शल आर्ट्स फिल्मों में आने से पहले से सीखा हुआ है.

आप फिल्म में एक छोटी सी खिड़की में से भी कूद गए, कैसे किया? पूछने पर जवाब आता है,'ये सवाल कुछ दिनों पहले किसी ने पूछा था तो मैंने जवाब में कहा कि अगर नॉन फिल्मी बैकग्राउंड वाले बच्चे को कोई फिल्म इंडस्ट्री में इतना छोटा भी मौका दे ना तो वो भी कूद-कूदकर सब कुछ कर लेगा. ये तो फिर एक्शन ही है. आप हर तरीके से अपने आप को साबित करने पर लग जाओ.

आप बहुत ही डाउन टू अर्थ हैं. आप इस फ़िल्म इंडस्ट्री में कैसे जम पाए?

मेरे पास डाउन टू अर्थ होने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है, मैं फिल्मी बैकग्राउंड से भी नहीं हूं. लेकिन मेरे पिता ने मुझे काम की दो चीजें सिखाई हैं. एक तो शतरंज खलना और दूसरा ना बोलने की क्षमता. सही समय पर ना बोलना. और ना बोलने की इसी आदत ने मुझे आज वो बनाया है जो आज मैं हूं. मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जो ना नहीं कर सकते हैं और हर बात में हां कर देते हैं. ना बोलना जिंदगी के लिए बहुत बड़ी सीख है.

विद्युत बताते हैं, 'मैं अभी एक राज्य में लड़कियों की सेल्फ डिफेंस की वर्कशॉप ले रहा था. वहां मैंने उनसे कहा कि लड़कियों में एक बहुत अलग सी सेंस होती है. एक लड़का आपको छू ले या गले लगा ले तो भी आपको समझ में आ जाता है कि कौन कैसा है तो बस आप उसे मना कर दो.

आपकी आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

'कमांडो' 2 के बाद मेरी श्रुति हसन के साथ 'यारा', इलियाना डिक्रूज के साथ 'बादशाहो' और जंगल में शिकार की समस्या पर बनी फिल्म 'जंगली' और फिर 'आखें 2' आएंगी.