सेंसर बोर्ड से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है कि उन्होंने फिल्म के सब-टाइटल में कांट-छांट करने के अपने फैसले को सही ठहराया है और कहा है कि ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि फिल्म को प्रमाणित करने के बाद कुछ शब्द जोड़ने की कुछ फिल्मकारों की शरारत पर लगाम लगाई जा सके.
‘इम्पा’ ने लगाई थी अर्जी
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स असोसिएशन की अर्जी पर दाखिल किए गए एक हलफनामे में अपने फैसले को सेंसर बोर्ड ने सही ठहराया है. दरअसल, ‘इम्पा’ ने जुलाई में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था जिसमें उन्होंने ये दावा किया था कि सीबीएफसी की तरफ से बनाए गए नियम मनमाने हैं. 27 अप्रैल को याचिकाकर्ता को सीबीएफसी से एक नोटिस भी मिला था जिसमें कहा गया था कि किसी भी फिल्म के प्रोड्यूसर्स को फिल्म के सब-टाइटल के लिए एक अलग सेंसरशिप प्रमाण-पत्र लेना होगा. सेंसर बोर्ड ने अपने हलफनामे में कहा है कि वो इस कर्तव्य के लिए बाध्य है और ये सुनिश्चित करना उसका दायित्व है कि फिल्मकार कोई फिल्म उचित रूप से प्रमाणित हो जाने के बाद उसमें कोई शब्द या दृश्य न जोड़ सकें.
20 अगस्त को होगी मामले पर सुनवाई
आपको बता दें कि, इस अर्जी में फिल्म के सब-टाइटल सौंपने के सेंसर बोर्ड के निर्देश को चुनौती दी गई थी. अब न्यायमूर्ति आर एम बोर्डे की खंडपीठ 20 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई करेगी.