view all

Good News : फिल्म इंडस्ट्री को मिली काम करने की आजादी

विपुल शाह के पीटीशन पर सीसीआई की हरी झंडी, इंडस्ट्री में होगा बेरोक-टोक काम

Bharti Dubey

अब फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में खुलकर बिजनेस किया जा सकता है. फिल्म और टेलीविजन के लोग अब अपने सदस्यों या अन्य संगठनों के सदस्यों को हुक्म नहीं दे सकेंगे.

एक महत्वपूर्ण फैसले में कंपीटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने अखिल भारतीय फिल्म कर्मचारी परिसंघ (एआईएफईसी), फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूईसीई) और इसके सहयोगियों और तीन निर्माता संघों यानी भारतीय मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए) फिल्म और टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (एफटीपीजीआई) और इंडियन फिल्म एंड टेलिविज़न प्रोड्यूसर्स काउंसिल (आईएफटीपीसी) को प्रतियोगिता कानून के उल्लंघन में दोषी पाया है.


प्रोड्यूसर विपुल शाह के जरिए दायर की गई एक सूचना पर ये आदेश पारित किया गया था, उन्होंने ये आरोप लगाया था कि 01.10.2010 के एमओयू के विशिष्ट प्रावधानों में एफडब्ल्यूआईसीई और उत्पादक संघों जैसे आईएमपीपीए, एफटीपीजीआई और आईएफटीपीसी विरोधी प्रतिस्पर्धी होने के लिए एक सदस्य से दूसरे सदस्य को ही काम देते हैं, मजदूरी का निर्धारण करते हैं और अतिरिक्त शिफ्ट के लिए चार्ज करते हैं.

इन प्रावधानों को लागू करने में एफडब्ल्यूआईसीई और उसके संबद्ध शिल्प संगठनों के संचालन पर भी कंपीटीटीव होने का आरोप लगाया था. प्रोड्यूसर्स अब किसी को काम पर रखने के लिए स्वतंत्र होंगे और उन्हें किसी भी फिल्म या श्रमिक संघों से कहने की जरूरत नहीं होगी और इसलिए संघों की विजिलेंस कमेटी को खत्म करना होगा. इसके अलावा, कोई फिल्म एसोसिएशन या श्रमिक निकाय किसी भी निर्माता, अभिनेता या टेकनीशियन के साथ नॉन-कॉपरेशन वर्डिक्ट को पारित करने में सक्षम होंगे.

निर्माता विपुल शाह ने ये याचिका दायर की थी, जो कि इस फैसले के आने के बाद काफी खुश हैं. उन्होंने कहा, "ये एक अच्छी खबर है और ये इंडस्ट्री में काम करने के एनवायरमेंट को अच्छा करेगा और प्रोड्यूसर्स और उनके पूरे यूनिट के बीच के संबंधों में सुधार लाएगा"

विपुल शाह के लॉयर अमित नायक ने कहा कि, "एसोसिएशनों ने अपनी एंट-कंपीटीटीव कंडक्ट के जरिए बाजार में कंपीटीशन और निष्पक्ष खेल को रोकने के लिए अपने पोजीशन का इस्तेमाल किया है.