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जन्मदिन विशेष : मुकेश अग्रवाल की आत्महत्या पर रेखा ने आज तक क्यों साध रखी है चुप्पी?

रेखा एक शानदार अभिनेत्री हैं लेकिन वो अपने काम से ज्यादा अपने अफेयर्स के लिए चर्चा में रही हैं

Abhishek Srivastava

अभिनेत्री रेखा के बारे में यह कहा जाए कि अपने अभिनय कौशल से ज्यादा उन्होंने अपनी निजी जिंदगी से ज्यादा सुर्खियां बटोरीं तो वो गलत नहीं कहा जाएगा. खूबसूरत, उमराव जान, इजाज़त, खून भरी मांग, घर जैसी शानदार फिल्में उनके फ़िल्मी करियर में चमक लेकर आती हैं लेकिन यह सब कुछ छुप गया उनके अफेयर्स की वजह से जिसकी चर्चा आज भी होती है.

रेखा-अमिताभ बच्चन, रेखा-विनोद मेहरा के अफेयर के बारे में अनगिनत मैगज़ीनों में अनगिनत लेख लिखे जा चुके हैं लेकिन मुकेश अग्रवाल जिनसे उनकी शादी 1992 में हुई थी उनके बारे में लोगों को बहुत काम जानकारी है. आज भी ये बहुतों लिए आज अजूबा है कि फिल्म जगत में ग्लैमर की पर्याय रेखा मुकेश गुप्ता से कैसे मिली? एक ऐसा व्यक्ति जिसका फिल्म जगत से दूर-दूर तक किसी भी तरह का नाता नहीं था.


रेखा अवॉर्ड समारोहों में आज भी भव्यता से शामिल होती हैं

लेखक और पत्रकार यासिर उस्मान ने अपनी किताब रेखा - द अनटोल्ड स्टोरी में इसके ऊपर काफी पन्ने भरे हैं. उनके मुताबिक यह 1990 के आसपास की बात है जब रेखा और दिल्ली की सोशलाइट बीना रमानी के बीच घनिष्ट दोस्ती थी. एक बार मुलाकात के ही दौरान रेखा ने अपनी दिल की बात बीना को बताई थी की वो शादी करके अपना घर बसना चाहती हैं. इस घटना के कुछ दिनों के बाद बीना ने रेखा को मुंबई फोन किया और बताया कि उनका एक जबरदस्त प्रशंसक उनसे बात करना चाहता है और वो दिल्ली का एक बड़ा बिजनेसमैन है. रेखा ने उस प्रशंसक से उस वक्त बात तो नहीं की अलबत्ता उस 'फैन' का नंबर बीना से जरूर ले लिया.

ये वक्त की ही बात थी कि दोनों एक दूसरे से मिले लगे और दिल्ली-मुंबई का फासला कम हो गया. रेखा जब दिल्ली जाती थी तो मुकेश के छतरपुर के फार्म हाउस में ही उनका रुकना होता था. मुकेश इस बात को जानते थे की लाखों के दिलों की धड़कन ने उनको पसंद किया. 4 मार्च 1990 को जब वो रेखा के घर उनसे मिलने आए थे तो ये वो दिन था जब उन्होंने रेखा को शादी का प्रपोजल दे दिया था. जब रेखा ने अपनी हामी भर दी तब खुशी का आलम ये था कि मुकेश ने उसी पल ये भी कह दिया की शादी भी आज ही कर लेते हैं. शादी के तुरंत बाद उन्होंने लंदन का रुख किया और वहां काफी वक्त एक दूसरे के साथ बिताया. लेकिन उसी वक़्त रेखा को ये भी पता चला कि उनकी और मुकेश की शख्सियत मेल नहीं खाती है. रेखा को इस बात का इल्म हो गया था कि कुछ चीजें हैं जो मुकेश को परेशान कर रही हैं और इस वजह से वो काफी मात्रा में दवा लेते थे.

अपने लंदन प्रवास के दौरान ही मुकेश ने रेखा को बताया की उनकी भी जिंदगी का भी एक राज है. वो राज ये थी कि उनकी मनोचिकित्सक आकाश बजाज से उनका रिश्ता जो उनका उपचार सालों से कर रही थीं. मुंबई आने के बाद दोनों ने एक छोटी पार्टी मुंबई के सेंटूर होटल में दी और वहीं से मुकेश ने अपनी करीबी मित्र नीरज कुमार को फोन किया जो आगे चलकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी बने, को बताया कि वो अपनी जिंदगी खत्म करना चाहते हैं. लेकिन उस वक्त नीरज ने किसी भी तरह से अपनी बातों से मुकेश को बहला लिया था.

आगे चलकर ये मुसीबत और गहरी होने लगी. वीकेंड पर रेखा जब दिल्ली जाती थीं तब मुकेश के साथ कुछ पल साथ बिताने के बदले अक्सर वीकेंड पर मुकेश के घर पर उनको पार्टियां देखने को मिलती थीं जहां दिल्ली के सभी सोशलाइट्स का जमावड़ा रहता था. रेखा को तब लगने लगा कि उनकी हैसियत महज एक ट्रॉफी वाइफ बन कर रही गई है और उसके बाद ही दोनों के बीच दूरियां आनी शुरु हो गईं. ये भी इत्तेफाक की बात थी कि शादी के साल ही मुकेश को अपने बिजनेस में काफी नुक्सान झेलना पड़ा था.

इन सभी का नतीजा ये हुआ की रेखा की दिल्ली यात्रा कम होने लगी. आगे चल कर मुकेश ने रेखा को फिल्मों में काम ना करने की भी सलाह दे डाली. रेखा ने मुकेश को तब यही कहा था कि जब वो गर्भवती होंगी तभी वो फिल्मों में काम करना बंद करेंगी. इस दौरान मुकेश ने अपने बिजनेस में भी रूचि लेनी कम कर दी थी और उनका ज्यादातर समय मुंबई में फिल्मी पार्टीज में बीतने लगा. बॉलीवुड की चकाचौंध से मुकेश खुद को रोक नहीं पाए थे. ये समय की ही बात थी जब रेखा ने खुद को मुकेश से दूर रखना शुरू कर दिया. हालात ऐसे भी आ गए जब रेखा ने अपने पति का फोन लेना तक बंद कर दिया. मुकेश और रेखा की इस टूटती शादी की सुगबुगाहट मैगजीन में आने लगी और आखिरकार वो वक़्त भी आ ही गया जब दोनों ने शादी के लगभग 6 महीने के बाद तलाक की अर्जी अदालत में दे डाली. अर्जी डालने के तुरंत बाद एक स्टेज शो के लिए रेखा एक लम्बे समय के अमेरिका चली गई.

2 अक्टूबर के दिन मुकेश सुबह जल्दी उठ गए थे और बाकी दिनों की ही तरह अपना नित्य क्रम किया और दोपहर में अपने फार्म हाउस का रुख किया. वहां पर अपने नौकरों को आदेश दिया कि उनके लिए कुछ खाना बना दें और वो सोने जा रहे हैं और उठने के बाद ही खाना खाएंगे. लेकिन मुकेश अपना फार्म हाउस किसी और वजह से पहुंचे थे. अपने रूम में रेखा के एक दुपट्टे को फांसी के फन्दा बना लिया.  मुकेश की आत्महत्या के बाद जनता ने रेखा को विलन मान लिया. आलम यहां तक पहुंच गया कि रेखा के फिल्म के पोस्टरों पर लोग कालिख पोतने लगे थे.

मुकेश के परिवारवालों ने भी मुकेश के आत्महत्या के पीछे रेखा को ही कुसूरवार ठहराया. रेखा ने इस पूरे वाकिये पर आजतक अपनी राय किसी भी अखबार या मैगज़ीन को नहीं दी है. यासिर ने अपने किताब के सिलसिले में कई बार उनसे संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन उनको किसी भी तरह का कोई जवाब नहीं मिला. रेखा के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उन्होंने फिल्म जगत के उन लोगो से संपर्क साधा जो रेखा के बारे में जानते थे. ये भी आश्चर्य की बात थी उनमें से कई लोगों ने रेखा के बारे में अच्छी बातें नहीं कही थी. लेकिन यह भी सच है की रेखा को इन सबके बावजूद बेनिफिट ऑफ़ डाउट का लाभ मिलना चाहिए क्योंकि उनको अपना पक्ष रखना बाकी है. रेखा का रहस्यमय व्यक्तित्व सालों से बदस्तूर बना हुआ है. इंतजार इसी बात का है कि इन परतों से पर्दा कब उठेगा.