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Birthday Special : विलेन और हीरो बनकर बॉलीवुड पर 'राज' कर चुके हैं राज बब्बर

फिल्मों से ज्यादा इन दिनों राज बब्बर को राजनीति रास आ रही है

Sunita Pandey

80 के दशक में राज बब्बर बॉलीवुड के लिए ऐसे ट्रंप कार्ड की तरह होते थे जो किसी भी तरह के रोल में आसानी से फिट बैठ जाते थे. उन्हें कमर्शियल और पैरेलल दोनों धाराओं में कामयाब माना जाता था.

उन्होंने श्याम बेनेगल, केतन मेहता, मुजफ्फर अली जैसे फिल्मकारों के अलावा शक्ति सामंत, बीआर चोपड़ा और महेश भट्ट जैसे फिल्मकारों के साथ भी काम किया जो अलग-अलग धाराओं का प्रतिनिधित्व करते थे.


परफेक्ट विलेन थे राज बब्बर

23 जून 1952 को उत्तर प्रदेश के टूंडला में जन्मे राज बब्बर की खासियत ये है कि बतौर अभिनेता वो खुद को कभी टाइपकास्ट ही नहीं होने देते थे. एक ही साल वो हीरो भी बने और विलेन भी. विलेन भी ऐसे कि ऐसे रोल निभाने में बड़े से बड़े विलेन के हाथ-पांव भी फूल जाएं.

फिल्म 'जिद्दी', 'दलाल', 'दाग: द फायर' जैसी फिल्मों में उन्होंने विलेन के रोल को बखूबी निभाया. बीआर चोपड़ा की फिल्म 'इंसाफ का तराजू' में उन्होंने रमेश गुप्ता नाम के एक रेपिस्ट का रोल इतना बखूबी निभाया कि फिल्म प्रदर्शित होने के बाद लडकियां उनके नाम से ही कन्नी काटने लगी थी.

मजबूरी में करना पड़ा रेप सीन 

1980 में बीआर चोपड़ा ने उन्हें अपनी फिल्म 'इंसाफ का तराजू' में विलेन के रोल में कास्ट किया. चोपड़ा साहब जैसे बड़े निर्माता-निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिलने के बाद राज बब्बर फूले नहीं समा रहे थे, लेकिन उनकी ये खुशी तब काफूर हो गई जब चोपड़ा साहब ने उन्हें रोल सुनाया.

इस फिल्म में उन्हें ज़ीनत अमान के साथ एक रेप सीन करना था जो काफी हिंसक और वितृष्णा पैदा करने वाला था. चोपड़ा साहब ने जब इस सीन की सिचुएशन राज बब्बर को सुनाई तो वो अवाक रह गए. ये रोल इतना घिनौना था कि खुद राज बब्बर इस बात के लिए श्योर थे कि लोगों के बीच इसका संदेश  गलत ही जाएगा.

इसलिए उन्होंने चोपड़ा साहब से गुजारिश की कि उनके किरदार को थोड़ा टोन डाऊन कर  दिया जाए. लेकिन चोपड़ा साहब इसके लिए तैयार नहीं हुए और मजबूरन राज बब्बर को इस सीन के लिए तैयार होना पड़ा.

जीनत अमान ने की रेप सीन में मदद

सीन के दौरान उन्हें जीनत अमान को थप्पड़ मारते हुए उनके कपडे फाड़ने थे. जीनत उनसे सीनियर थी और इंडस्ट्री की बड़ी अभिनेत्रियों में गिनी जाती थी. जाहिर है शूटिंग के दौरान राज बब्बर बार-बार नर्वस हो जाते और रीटेक पर रीटेक दिए जाते.

बार-बार रीटेक होने से चोपड़ा साहब का मूड उखड़ गया. इधर राज बब्बर जरूरत से ज्यादा मायूस हो गए. ऐसे हालात में खुद जीनत अमान उनकी मदद को आगे आई. जीनत ने उन्हें इस सीन की जरूरत और उनके किरदार के बारे में बारीकी से समझाया तो उन्हें थोड़ा हौसला बंधा. शूटिंग शुरू हुई तो राज बब्बर में एक झन्नाटेदार थप्पड़ जीनत को जड़ दिया और उन पर टूट पड़े. राज बब्बर की इस फिल्मी हैवानियत पर खुद जीनत भी अवाक रह गई.

आखिरकार ये शॉट ओके हो गया. 1980 में प्रदर्शित ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई. राज बब्बर ने भले ही इस फिल्म में विलेन का रोल किया था, लेकिन फिल्मफेयर अवार्ड के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर की कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था.

राज बब्बर फिल्मों में अब उतने एक्टिव नहीं है साल में एक दो फिल्में करके वो अपनी मौजूदगी बॉलीवुड में  जरूर कराते रहते हैं, 2016 में जॉन अब्राहम की फिल्म फोर्स 2 में उन्होंने एक छोटा सा रोल किया था. 2015 में  अर्जुन कपूर स्टारर तेवर में भी उनका एक रोल था.

राजनीति में भी हैं सक्रिय

फिल्मों के अलावा राज बब्बर राजनीति में भी सक्रिय हैं. वैसे राज बब्बर अपनी फिल्मों में अक्सर नेता और सरकारी अफसरों जैसे रोल निभाए हैं. 14वें लोकसभा चुनाव में वह फिरोजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए, लेकिन साल 2006 में समाजवादी पार्टी से निलंबित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली.

कांग्रेस के प्रवक्ता रह चुके राज बब्बर ने 2014 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन इसबार भी जनता ने उन्हें स्वीकार नहीं किया.

कांग्रेस ने उन्हें हाल ही में हुए यूपी चुनाव में राज्य का अध्यक्ष भी बनाया लेकिन यहां भी उन्हें करारी हार मिली. इसके लिए अकेले राज बब्बर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, ये पूरी पार्टी और कांग्रेस के काले कारनामों की हार थी पर इतना जरूर है कि कांग्रेस में राज बब्बर का कद काफी बड़ा हो गया है.