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BIRTHDAY SPECIAL : जितेंद्र-हेमा की जोड़ी तोड़ने के लिए जया चक्रवर्ती ने बनाया था धर्मेंद्र को मोहरा

जन्मदिन विशेष में पढ़िए कैसे जीता था धर्मेंद्र ने हेमा मालिनी का दिल

Sunita Pandey

तमिल फिल्मों की नामचीन हस्ती रह चुकी जया चक्रवर्ती अपनी बेटी हेमा मालिनी को हिंदी फिल्मों की सबसे बड़ी हीरोइन बनाने का ख्वाब लिए चेन्नई से मुंबई आई थीं. राज कपूर जैसे बड़े अभिनेता के साथ फिल्म 'सपनों का सौदागर' जैसी फिल्मों से शुरुआत के बावजूद उन्हें अपने अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा था. 'सपनों का सौदागर' जया चक्रवर्ती की तमाम व्यावसायिक बुद्धि के बावजूद फ्लॉप हो गई.

स्टार बनते ही सामने आया रोमांटिक पहलू


16 अक्टूबर, 1948 को तमिलनाडु में जन्मी हेमा ने साल 1970 में देव आनंद के साथ फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' से कामयाबी का स्वाद चखा और साल 1972 में 'सीता और गीता' की कामयाबी ने उन्हें बड़ा स्टार बना दिया. करियर की गाड़ी पटरी पर आते ही हेमा मालिनी का आत्मविश्वास बढ़ता रहा और इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व का रोमांटिक पहलू भी सामने आने लगा.

मां की खातिर संजीव कुमार का रिश्ता ठुकराया

फिल्म 'धूप-छांव' की शूटिंग के दौरान हेमा जी और संजीव कुमार के बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो गई और धीरे-धीरे ये संबंध आगे बढ़ता चला गया. हेमा संजीव कुमार को पसंद करती थीं, लेकिन हेमा की मां जया चक्रवर्ती को ये रिश्ता बिल्कुल पसंद नहीं था.  इसलिए हेमा मालिनी ने संजीव कुमार से मिला शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया.

संजीव कुमार के बजाय खुद की भावनाएं हेमा तक पहुंचाने लगे जितेंद्र

1974 में हेमा और जितेंद्र को पहली बार फिल्म 'दुल्हन' में कास्ट किया. जिन दिनों हेमा और संजीव कुमार के रोमांस के चर्चे थे, उन दिनों जितेंद्र संजीव कुमार और हेमा मालिनी के रोमांस की एक कड़ी हुआ करते थे. जिसके जरिए संजीव कुमार हेमा मालिनी तक अपनी भावनाएं पहुंचाया करते थे. लेकिन धीरे-धीरे मजमून पीछे छूट गया और लिफाफा अहम हो गया.

हेमा के रास्ते से जितेंद्र को हटाने के लिए धर्मेंद्र बने मोहरा

1975 में हेमा और जितेंद्र की फिल्म 'खूश्बू' कामयाब साबित हुई और यहीं से ये जोड़ी फिल्मकारों की पसंद बन गई. जल्द ही जितेंद्र और हेमा के रोमांस की खबरें भी सामने आने लगी. पहले तो जया चक्रवर्ती ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन उनकी अनुभवी नजरों से ये केमिस्ट्री छुप नहीं पाई. हेमा जैसी सोने की अंडे देने वाली मुर्गी को हाथ से निकलते देख जया चक्रवर्ती ने धर्मेंद्र को मोहरे की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.

जब उजड़ गया जितेंद्र-हेमा की शादी का मंडप

जया चक्रवर्ती का ख्याल था कि धर्मेंद्र शादीशुदा हैं और दो बच्चों के पिता भी इसलिए उनसे हेमा को कोई लगाव हो नहीं सकता. जया चक्रवर्ती अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस जोड़ी को आगे बढ़ा रही थी. लेकिन जल्द ही धर्मेंद्र हेमा से एकतरफा प्यार करने लगे. जितेंद्र को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने मुहूर्त निकालकर अपनी और हेमा की शादी का दिन तय कर लिया. इधर धर्मेंद्र तब तक हेमा की जुल्फों में उलझ चुके थे और किसी भी कीमत भी इस शादी को रोकना चाहते थे. मद्रास के जिस होटल में  जितेंद्र हेमा से फेरे लेने वाले थे ऐन वक्त धर्मेंद्र जितेंद्र की प्रेमिका और अब पत्नी (शोभा सिप्पी) को लेकर वहां पहुंच गए. फिर तो ऐसा बखेड़ा हुआ कि शादी का मंडप ही उजड़ गया. अंततः जितेंद्र को शोभा सिप्पी से शादी करनी ही पड़ी.

धर्मेंद्र के खातिर हेमा ने की मां से बगावत

जितेंद्र की शादी के बाद हेमा ने धर्मेंद्र को गंभीरता से लेना शुरू किया. इस नई लव स्टोरी को देख जया चक्रवर्ती का दिमाग फिर ठनका और उन्होंने इस लव स्टोरी में रोड़े अटकाने शुरू कर दिए. लेकिन धर्मेंद्र पर तो जैसे जूनून सवार था. वो हर रिश्ते-नाते को दांव पर लगाने को तैयार थे. इस दौरान धर्मेंद्र ने शराब को अपना सहारा बनाने के साथ अपनी और हेमा जी की प्रेम कहानी को बॉलीवुड का सबसे चर्चित मुद्दा बना दिया.

आखिरकार धर्मेंद्र की दीवानगी ने हेमा मालिनी का दिल पसीज ही गया और उन्होंने धर्मेंद्र के कारण अपनी मां के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर दिया. 2 मई, 1980 को धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने शादी कर ही ली. और इस तरह धर्मेंद्र ने जया चक्रवर्ती के लिए भस्मासुर की कहानी को सच कर दिखाया.

हेमा मालिनी के इस फैसले ने खुद उनकी ही जिंदगी को जो जख्म दिया उसे वो आज भी अपनी मुस्कान के पीछे ढंकने की बेकार कोशिश करती नजर आती हैं. टुकड़ों में मिले प्यार से जिंदगी संवरती भी तो नहीं.