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Birthday Special : बॉलीवुड स्टार्स को प्रभास ने सिखा दिया है 'स्टारडम' का नया सबक

बाहुबली के महानायक प्रभास का आज जन्मदिन है, इस मौके पर जानिए कि बाहुबली के लिए कैसे की थी प्रभास ने तपस्या

Abhishek Srivastava

अगर अभिनेता प्रभास के बारे में ये कहा जाए कि दुनिया आज उनके कदमों में है तो इस बात को लेकर किसी तरह की अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए. प्रभास को मौजूदा दौर के कलाकारों की जमात में सबसे प्रतिभाशाली कहा जाना भी गलत नहीं होगा. हिंदी फिल्म जगत की एक 'खूबी' यह भी है की बाकी प्रादेशिक सिनेमा में काम करने वाले कलाकारों के बारे में उनकी दिलचस्पी कम ही होती है. उनका दायरा सलमान खान से शुरू होकर आमिर खान पर खत्म हो जाता है. लेकिन बाहुबली से प्रभास ने बता दिया है की स्टारडम प्रदेश की सीमाओं की मोहताज नहीं है. हुनर कभी भी कहीं से भी किसी कोने से निकल सकता है.

2002 में अपनी फिल्मी पारी की शुरुआत करने वाले प्रभास के इस मौजूदा स्टारडम के पीछे 13 साल की कड़ी मेहनत भी छुपी हुई है और इसके बारे में लोग कम ही बात करते हैं. निजी जिंदगी में अगर कोई प्रभास से मिल ले तो स्टारडम क्या होता है शायद इस बात का मिथ उसके लिए हमेशा के लिए टूट जाएगा. मृदुभाषी, कम बोलने वाले और सादगी - यही प्रभास की असली पहचान है.


यह सच है की बाहुबली ने उनको कामयाबी के शिखर पर पहुंचाया लेकिन यह भी सच है की उस शिखर पर पहुंचने की काबिलियत और हुनर प्रभास में हमेशा से था. बाहुबली से प्रभास ने बॉलीवुड के गणित को पूरी तरह से धता बता दिया. एक ऐसी फिल्म इंडस्ट्री जहां पर शिखर का मतलब 300 करोड़ के आंकड़े को पार करना होता है, प्रभास ने राजमौली के काबिल निर्देशन में बता दिया कि उनका अलग ही गणित है. प्रभास ने सारे स्थापित नियम ताक पर रख कर बता दिया कि अगर आप दिल से मेहनत करें तो मंज़िल दूर नहीं रहती है.

ज़रा ग़ौर फरमाएं कि बाहुबली के ऊपर अपनी जिंदगी के पांच साल देने वाले प्रभास ने इन पांच साल के दौरान क्या-क्या किया. पांच साल तक प्रभास अपने परिवार से दूर रहे हैं क्योंकि फिल्म का सेट उनका दूसरा घर बन चुका था. राजमौली ने अपनी फिल्म शुरू करने के पहले प्रभास को यह बताया था कि इस फिल्म को बनने में लगभग डेढ़ साल का समय लगेगा लेकिन जब डेढ़ साल की मियाद खिंचकर पांच साल में तब्दील हो जाती है तो अच्छे अच्छों की हिम्मत टूट जाती है. प्रभास ने इसके बिल्कुल उलट किया और टूटने की बजाय उसके ऊपर और ध्यान दिया. प्रभास ने इस दौरान और कोई भी दूसरी फिल्म साइन नहीं की यानी कि करोड़ों रुपए जो उनकी खीसे में आ सकते थे उसको जाने दिया.

फिल्म बनने के ही दौरान उन्होंने 5 करोड़ के एक एड इंडोर्समेंट का ऑफर महज इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि वह बाहुबली के शूटिंग के बीच में खुद को भटकाना नहीं चाहते थे. आखिरी उद्देश्य बड़ा ही सरल था - फिल्म के लिए पूरी तरह से जी जान लगा देना. अपने इस रोल को अंजाम देने के लिए प्रभास अमेरिका महज इसलिए गए ताकि वह वो डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के पहलवानों के साथ मिलकर उनकी ट्रेनिंग तकनीक को और करीब से देख सकें. कुंग फू, घुड़सवारी और रॉक क्लाइम्बिंग के अलावा उन्होंने वियतनाम के ख़ास ट्रेनर्स के साथ तलवार बाज़ी के गुर सीखने के अलावा उन्होंने शरीर बनाने के लिए दिन मे ४० अंडों को निगलने का भी कारनामा कर दिखाया.

प्रभास को एक बार एक इंटरव्यू में पूछा गया था कि उन्होंने बाहुबली क्यों साइन की तो बदले में उन्होंने यही बताया था कि वो हमेशा से एक युद्ध की पृष्ठभूमि वाली पीरियड फिल्म में काम करने की इच्छा एक लम्बे समय से पाले हुए थे और जब राजमौली ने उनको फिल्म की कहानी नरेशन के वक़्त सुनाई तो उनको लगा कि उनका सपना बहुत ही छोटा था राजमौली के इस कहानी के सामने. उनको फ़ौरन इसका बात की समझ आ गई थी इसमें देश की सबसे बड़ी फिल्म बनने के सारे गुण हैं और इससे जुड़ना खुद के लिए फख्र की बात होगी. ऐसा कहा जाता है की प्रभास इस फिल्म को लेकर इतने उत्साहित थे की फिल्म शुरू करने के पहले अपनी फ़ीस के बारे में बात तक नहीं की.

मीडिया के चकाचौंध से हमेशा दूर रहने वाले प्रभास के बारे में अगर यह कहा जाए कि अपनी फ़िल्मी पारी के शुरुआत में वह अपना करियर तमिल फिल्मों में बनाने की कोशिश कर रहे थे तो शायद इस बात पर कई लोग यकीन ना करें लेकिन प्रभास बाहुबली के पहले कुछ ऐसा ही कर रहे थे. लेकिन 2004 में जब उनकी फिल्म वर्षम रिलीज़ हुई उसके बाद से वो तेलुगू फिल्म जगत के हो कर रह गए. अपने पिता और चाचा की वजह से फिल्में प्रभास की रग-रग में हैं. जहां उनके पिता एक निर्माता हैं तो वही दूसरी ओर उनके चाचा मशहूर फिल्म अभिनेता कृष्णम राजू हैं. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रभास होटल इंडस्ट्री में जाना चाहते थे लेकिन किस्मत का पहिया उनको घुमाकर फिल्मों के क्षेत्र में लेकर आया.

अगर फिल्मों में स्क्रीन प्रजेंस की बात कही जाए तो शायद प्रभास के रूप में हमें एक शानदार स्क्रीन प्रेजेंस सालों के बाद देखने को मिला है. प्रभास ने निश्चित तौर पर बॉलीवुड के सितारों के बीच एक सुगबुगाहट ज़रूर शुरू कर दी है. प्रभास ने जता दिया है कि अगर आपने अपने लक्ष्य को लेकर सजग है तो कामयाबी हाथ जरूर आएगी. प्रभास शायद बॉलीवुड की उस जमात के लिये एक सबक हैं जिनका ईमान फिल्मों की तीन दिन की ओपनिंग और आंकड़े होते हैं.