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Birthday Special : आज भी सिर्फ काजोल के लिए लिखे जाते हैं रोल्स

वो उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में है जो अपने रोल के लिये पहले से रिसर्च नहीं करती है और जो कुछ भी करना होता है तो वो सेट पर पहुंच कर ही होता है

Abhishek Srivastava

हिंदी फिल्म जगत में क्रूरता का आलम ये है कि अगर कोई भी अभिनेत्री 40 की दहलीज पार कर लेती है तो उसका नाम अभिनेत्रियों की श्रेणी में शुमार होना बंद हो जाता है.

ऐसी अभिनेत्रियों पर चरित्र अभिनेत्री का ठप्पा लग जाता है और उसके बाद उनके लिये रोल के नाम पर कुछ बचता है तो वो मां के रोल तक ही सीमित रहते हैं. इसमें एक अपवाद नाम भी है और ये अपवाद है अभिनेत्री काजोल जो 43 साल पूरे करने के बावजूद इतना दमखम रखती हैं कि उन्हें सोचकर या तो रोल लिखे जाते हैं या फिर कोई कठिन या महत्वपूर्ण भूमिका होती है तो उनका नाम याद किया जाता है.


शाहरुख खान के साथ यादगार जोड़ी बनाकर लोगों के दिलों पर 25 साल से राज करने वाली काजोल अब फिल्में भले ही कम करती हों लेकिन यदि ठोस अभिनय की बात हो तो आज भी निर्देशक उन्हें याद करते हैं. काजोल ने अपने करियर की शुरुआत उस दौरान की थी जब 90 के दशक पर 80 का हैंगओवर था. कहने का आशय ये था कि फिल्मों में नयापन ने अभी तक दस्तक नहीं दी थी और फिल्मों में कहानी कहने का अंदाज़ वही पुराने ढर्रे पर चल रहा था.

मशहूर निर्देशक राहुल रवेल के साथ उन्होने अपने फिल्मी पारी की शुरुआत की थी और फिल्म का नाम था बेखुदी. राहुल रवेल से उम्मीद इसी बात की थी की किसी जमाने में सनी देओल और अमृता सिंह को फिल्म बेताब और कुमार गौरव को फिल्म लव स्टोरी से स्टार बनाने वाले काजोल के साथ भी कुछ ऐसा ही करेंगे.

भले ही किसी ने ये बात ना सोची हो लेकिन काजोल की मां तनुजा के ज़हन में ये बात ज़रुर थी. फिल्म में उनके अपोजिट एक नये कलाकार थे कमल सदानाह. भले ही जोरों शोरो से फिल्म की शुरुआत हुई और कमल के पहले फिल्म में साफ को साइन किया गया था. लेकिन सैफ के गैर पेशवराना अंदाज़ के चलते जल्द ही उन्हें फिल्म छोड़नी पड़ी. बहरहाल कई बदलाव के बाद फिल्म पूरी हुई लेकिन जब रिलीज की बारी आई तो दर्शकों ने फिल्म से किनारा कर लिया. इस फ्लॉप की उम्मीद किसी ने भी नहीं सोची थी और काजोल को अपने पहले ही कोशिश में असफलता से दो चार होना पड़ा.

लेकिन ये बात भी सच है कि अगर इरादे नेक हों और अगर प्रतिभा अंदर हो तो दुनिया की कोई ताकत उसे बाहर आने से नहीं रोक सकती है. काजोल के साथ भी कुछ ऐसा हुआ. अपनी दूसरी फिल्म से उन्होने सफलता की वो सीढ़ी चढ़ी जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर कभी नहीं देखा.

उनकी दूसरी फिल्म थी बाजीगर जिसने 1994 के फिल्म फेयर समारोह में 4 अवॉर्ड्स पर अपने हाथ साफ किये. इसी फिल्म से उनकी सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ ऐसी फिल्मी जोड़ी बनी जो आगे चलकर मिसाल बनने के साथ साथ सफलता का पर्याय बन गई. उनकी तीसरी फिल्म ये दिल्लगी ने उनकी एंट्री करा दी मशहूर यशराज बैनर में और कुछ समय के बाद फिल्म जगत की सबसे कामयाब फिल्म दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे की हिस्सा बनी. इसके बाद सफलता ने काजोल के कदम कुछ ऐसे छुये मानो वो बिल्कुल स्वप्न सरीखा हो. 1999 में अभिनेता अजय देवगन से शादी के बाद उन्होने अपने फिल्मी रफ्तार कम कर दी और उन्ही फिल्मों में काम करने की अपनी सहमति दी जिसमें उनके लिये दिखाने को कुछ हो.

काजोल को हम कई तरीकों से अनकनवेंशनल अभिनेत्री मान सकते है. जब काजोल ने फिल्म जगत में अपनी एंट्री ली तब उस वक्त श्रीदेवी और माधुरी का वर्चस्व था और ये दोनो ही सुंदरता की पर्याय थी. काजोल को कभी भी एक सुंदर अभिनेत्री नहीं माना गया लेकिन उन्होने इसकी भरपाई अपने टैलेंट से पूरी तरह से कर दी. बेबाकी ऐसी की सामने वाला शर्मा जाये.

और इसी वजह से अपने फिल्मी करियर में इनको कई चीज़ों से झेलना पडा. इस कड़ी में जो नाम सबसे ऊपर आता है वो है निर्देशक करन जौहर का. अपने पति की फिल्म शिवाय की रिलीज के दौरान जो वाद विवाद का दौर करन कैंप और अजय कैंप के बीच चला उसने दोनो की साल की गहरी दोस्ती पर ग्रहण लग दिया. फिल्म के प्रोमोशन के दौरान जब ये खबर निकली की अजय की फिल्म को भला बुरा कहने के लिये करन ने कुछ लोगों को पैसे दिये है तो ये बात काजोल को बिल्कुल नागवार गुज़री.

काजोल ने करन की इस हरकत को लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अफसोस भी जता दिया. गुस्से से तमतमाये ने बिना सोचे अपने इस पुराने रिश्ते को खत्म करने में ज्यादा समय नहीं लिया. करन ने अपनी जीवनी में इस बात का पूरा उल्लेख किया है और यहां तक लिखा है कि अब जब वो काजोल को अपने क़रीबी मित्रों के साथ देखते है तो उनके तन बदन में आग लग जाती है.

काजोल ने भी हमला बोला लेकिन अपने तरीके से. अपनी फिल्म वीआईपी 2 के प्रोमोशन के दौरान उन्होंने कह दिया की जो लोग अपनी जीवनी लिखते हैं वो अपने जीवन को कुछ ज्यादा ही संजीदगी से लेते हैं और ऐसी नहीं होना चाहिये. जाहिर सी बात है काजोल ने अपने एक वार से कई बातें करन के लिये कह दी.

करन के पहले काजोल के रिश्ते जब यशराज के साथ खराब हुये तो वहां भी बात उनके पति से शुरु हुई. किस्सा उस वक्त का है जब अजय की फिल्म सन ऑफ सरदार और शाहरुख खान की फिल्म जब तक है जान दीवाली में एक साथ आने की तैयारी में थे.

जब बात सिनेमाहाल्स में नंबर ऑफ स्क्रीन पर रुकी तो अजय को लगा की यशराज जानबूझ कर सिनेमाहॉल मालिकों पर प्रेशर डाल रहा है खुद की फिल्म रिलीज करने के लिये. अजय ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और कांपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया में इसकी शिकायत दर्ज करा दी.

शिकायत पति अजय ने दर्ज कराई लेकिन भुगतना पडा काजोल को. ग़ौरतलब है कि यश चोपड़ा के निधन के बाद जब इस फिल्म का शानदार प्रीमियर यशराज स्टूडियो के प्रांगण में किया गया था तब फिल्म की सभी बड़ी हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. सिर्फ एक नाम ग़ायब था और वो काजोल का था. यशराज बैनर से क़रीबी रिश्ते होने के बावजूद काजोल को इवेंट के लिये इनवाईट नहीं किया गया था.

बहरहाल फिल्म जगत की दो बड़ी प्रोडक्शन बैनर से ब्लैक लिस्टेड होने के बावजूद काजोल की फिल्म की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा. शाहरुख खान ने पुरानी खटपट भुला कर अपने घर की फिल्म दिलवाले के लिये काजोल को याद किया ये जानते हुये भी कि उनके पति की वजह से उनकी फिल्म जब तक है जान विवाद में आ गई थी.

दो बच्चों की मां काजोल ने अपनी हालिया रिलीज वीआईपी 2 में एक कारपोरेट प्रोफेशनल के रोल में एक बार उन्होंने फिर से दिखा दिया है कि अभिनय की तेज़ धार आज भी उनके अंदर है. 2011 में उनके जब पद्मश्री से नवाजा गया तो ये उनके तरह से उनके शानदार करियर को सलाम था.

काजोल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वो उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में है जो अपने रोल के लिये पहले से रिसर्च नहीं करती है और जो कुछ भी करना होता है तो वो सेट पर पहुंच कर ही होता है. ये अपने आप में एक बहुत बड़ी खूबी है. हाल ही में अपने फिल्मी करियर के 25 साल पूरे करने वाली काजोल उन कलाकारों की जमात में शामिल है जिनके लिये फिल्मी करियर के 50 साल पूरा करना भी आगे चल कर कोई नई बात नहीं होगी. काजोल के जन्मदिन पर उनकी अदायगी और बेबाकी को सलाम है.