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बिग बॉस में मुझे बहुत कम दिखाया गया: साहिल आनंद

जरूरी नहीं है कि आप बाहर जो देख रहे हैं, अंदर वही चल रहा हो.

Runa Ashish

बिग बॉस के घर से हाल ही में एविक्ट हुए सदस्य साहिल आनंद के घर से निकलने के बाद का सारा वक्त या तो मीडिया वालों के साथ इंटरव्यू में गुजर रहा है या फिर घर पर आए मेहमान और दोस्तों से अपना एक्सपीरियंस बांटने में जा रहा है. बिग बॉस, ओम स्वामी और भी बहुत सारी बातें बताईं साहिल ने.

आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या रही जब आपने सुना कि अब घर जाने का समय आ गया है?


सच कहूं तो मुझे कोई दुख नहीं हो रहा था तो लगा कि शायद मैं खुश ही हूं बाहर जाने में. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं एक सच्चा और ईमानदार इंसान हूं. मैं कभी कहीं कोई लड़ाई देखता हूं तो उसे रोकने की कोशिश करता हूं. कम से कम लड़ाई भड़काने या नमक-मिर्च डालने का काम नहीं करता. ये ही काम मैं अंदर कर रहा था. मैं चुप नहीं बैठता था और वैसे भी चुगलियां वगैरह मुझे आती नहीं हैं. जो मैं था, वही कर रहा था और अगर वो बाहर नहीं दिखाया गया तो मैं क्या कह सकता हूं.

आपको नहीं लगा कि बहुत कम समय में आपको जाने के लिए कह दिया अभी तो आप आए थे घर के अंदर?

हां मुझे लगता है कि थोड़ा जल्दी हो गया क्योंकि अभी तो मैं आया ही था. पहले हफ्ते तो वैसे भी आपको ये जानने में लग जाता है कि कैसा है, क्या है ये घर.  मैं हमेशा कहता हूं कि टीवी में 24 घंटे की घटनाएं कैसे एक घंटे में दिखा सकते हैं. तो आप बाहर जो देख रहे हैं जरूरी नहीं है कि अंदर मे भी वहीं चीज चल रही हो.

एक हफ्ता जरूर लगा मुझे लेकिन दूसरे हफ्ते में सभी लोग प्यार करने लगे थे मुझको. आपने कभी मुझे किसी को गाली देते हुए या लड़ते हुए नहीं देखा होगा क्योंकि कोई मुझसे लड़ना ही नहीं चाहता था. गौरव ने तो ये भी कह दिया था मुझसे कि वो मुझे अपने भाई जैसा मानते हैं.

तो एक हफ्ता मुझे और देना चाहिए था. अब जब मैं बाहर आया हूं तो मालूम पड़ा है कि मुझे बहुत ही कम दिखाया गया है. मुझे नहीं मालूम ऐसा क्यों है.

आप जब घर के अंदर जा रहे थे तो कहकर गए थे कि आप बानी को पहले से जानते हैं और लगा था कि या तो बहुत अच्छी दोस्ती देखने को मिलेगी या फिर कुछ मसालेदार लड़ाई.

बानी और मैं पहले भी एक रिएलिटी शो कर चुके हैं. हम चंडीगढ़ में भी अच्छे दोस्त रहे हैं. फिर हुआ ये कि वो मुंबई चली गई. उसे हिमेश रेशमिया की फिल्म मिल गई थी. मैं इस दौरान कई बार उससे बात करने की कोशिश करता रहा. उसे फोन लगाता था. उसे मैसेज करता था. लेकिन उसने कभी भी मेरे कॉल या मैसेज का जवाब नहीं दिया तो मुझे लगा जैसे कि अब वो बड़ी आर्टिस्ट हो गई है और अब वो शायद मुझसे बात भी ना करे.

फिर जब मैं घर के अंदर पहुंचा तो उससे पूछा. बानी ने बताया कि ये वो समय था जब उसके नानू (नानाजी) को कैंसर हो गया था और वो उनके पास ही रहती थी. वो पूरा समय बहुत ही तकलीफ देने वाला था. नानू तो अब हमारे बीच नहीं हैं. उस वक्त वो किसी से बात नहीं कर रही थी. वो स्पेस चाहती थी. इसके बाद हम दोनों की दोस्ती फिर पुरानी जैसी हो गई. पता नहीं ये सब जब हो रहा था तो वो लोगों को क्यों नहीं दिखाया गया. मैं अब जब बाहर आया हूं तो पता चला है. और ये सवाल मुझसे पूछने वाली आप अकेली नहीं हैं.

आप स्वामी ओम के बारे में क्या सोचते हैं?

ओमजी को समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है. कोई नहीं समझ पाया ना घर के अंदर ना घर के बाहर.

प्रियंका जग्गा के बारे में क्या कहेंगे?

प्रियंका फालतू में लड़ती रहती है. बिना जरूरत की बातें बनाती रहती है. उसे कुछ और नहीं करना है. उसे सिर्फ दिखते रहना है और फुटेज खाते रहना है. उसका और स्वामी ओम का एक ही काम है बस दिखते रहना. ओमजी मुंह पर बोलकर कहते हैं कि वो ये सब फुटेज के लिए करते हैं.प्रियंका बस लड़ते रहती है. कुछ ना कुछ करते रहती है. उसको बस सबको तंग करना है क्योंकि वोट्स उसको मिलने नहीं हैं तो किसी ना किसी तरह से टिके रहना है.

बानी और स्वामी ओम की लड़ाई भी हो गई थी, जिसमें स्वामी ओम ने कहा था कि तुम्हारी मां मर जाएं. सलमान भी इस बात से बहुत गुस्सा हुए थे. आप वहीं थे. आप बताइये क्या हुआ था?

मैं अपना काम कर रहा था और प्रियंका को ऊपर रखने में लगा हुआ था लेकिन जब स्वामी ओम ने ये बात कही तो मैंने रस्सी छोड़ दी. बहुत गलत कहा है उन्होंने. जहां तक बानी ने मुझे बताया था कि उनकी मां को तीन-चार बार कैंसर हुआ और वो रिकवर भी हो गई थीं.

आपकी शादी को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है. आप शादीशुदा हैं या नहीं?

मैं आपसे सच कहूं तो मैं बहुत ही प्राइवेट बंदा हूं और उंगली पर गिना सकता हूं कि मेरे कितने दोस्त हैं. तो मैं ज्यादा बात भी नहीं करता. मैं अपनी शादी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं. जो मेरी बेटर हाफ हैं वो शो बिजनेस से नहीं हैं. वो कॉर्पोरेट की दुनिया से हैं. उन्हें ज्यादा पसंद नहीं है कि हम इस बारे में बहुत कुछ बताएं. हम चाहते हैं कि मैं एक्टर हूं और ऐक्टिंग के लिए जाना जाऊं.

चौबीसों घंटे कैमरे की गिरफ्त में रहना कैसा अनुभव होता है?

मैं असल जिंदगी में दिन के 24 घंटों में से 20 घंटे तो हंसता रहता हूं. जब मैं बिग बॉस के घर के अंदर पहुंचा तो पता नहीं कैसा वहां का एन्वॉर्यन्मेंट है या ऑरा है. मैं भूल गया था अंदर जा कर हंसना. आपको पहले दो दिन लगता है कि कैमरे लगे हैं लेकिन बाद में आपको लगेगा भी नहीं कि कैमरा हैं किधर. लेकिन साथ ही दिमाग में घूमने लगता है कि आप किसी की निगरानी में हैं. कोई है जो हर पल आपके मूवमेंट देख रहा है.

उस घर में आपके पास कुछ और है नहीं. तो सारा समय लड़ाई-झगड़े. आपको बनना वही है, जो आप हैं. लेकिन आपको समझ में ही नहीं आता है कि हो क्या रहा है. आप सुबह उठते हैं तो लडाईयां आप रात को सो रहे हैं तो लड़ाईयां. मतलब आपके पास सुकून के दो पल तभी हैं जब आप सो रहे होते हैं. आप दुखी हैं. आपको लगता है कि आप लोगों को डिप्रेशन में देख रहे हैं या वो डिप्रेस दिखाई दे रहे हैं.

तो आप ही सोचिए कैसा लगता है आपको. बहुत ही अजीब सा लगता है. मेरे लिए एक ऐसे समय में जाना जब शो शुरु हो गया हो, पहले ही ग्रुप बन चुके हों, पहले से ही कहानियां बन चुकी हों. मुझे लगा कि आसान होगा लेकिन बहुत ही मुश्किल था ये सब मेरे लिए.

हर कोई इस शो में किसी मकसद से जाता है कोई मशहूर होने के लिए तो कोई एक्सपीरियंस के लिए. आप किस लिए गए थे?

बहुत ही छोटी सी चीज है. मैं अगर कहीं बाहर जाता हूं तो सब मुझे पहचानते हैं. रोड पर चल रहा हूं तो हर आदमी मुझे देखेगा. कभी आएंगे, कभी बात करेंगे. कहते हैं कि अरे ये तो वो लड़का है. ये वो स्टूडेंट ऑफ द इयर वाला लड़का है या ये वो सीरियल वाला लड़का है. वो मुझे जीत के नाम से या कैरेक्टर के नाम से जानते हैं.

लेकिन वो मुझे साहिल आनंद के नाम से नहीं जानते हैं. तो मुझे एक नाम बनाना था कि ये साहिल आनंद है. तो एक ये कारण था कि मैं बिग बॉस में गया और मुझे लगता है कि मेरा मकसद पूरा हो गया है.