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रमेश सिप्पी की बहन नहीं होतीं तो गब्बर नहीं होता

भारत की सबसे ज्यादा ख्यातिनाम फिल्मों में शुमार के शोले डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने खोले कई राज

Abhishek Srivastava

क्या आप जानते हैं कि बहुचर्चित फिल्म शोले मे गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अमजद खान को यह फिल्म रमेश सिप्पी की बहन की वजह से मिली थी या फिर अमिताभ बच्चन वाले रोल के लिए रमेश सिप्पी पहले शत्रुघ्न सिन्हा को लेना चाहते थे? ये बहुत कम लोगों को पता है.

अमिताभ बच्चन की तीन फिल्मों ने पलड़ा उनकी ओर भारी कर दिया था - सुपरहिट फिल्म शोले के कुछ अनछुए पहलुओं पर निर्देशक रमेश सिप्पी ने एक इवेंट के दौरान रोशनी डाली.


रमेश सिप्पी ने इस बात का खुलासा किया कि फिल्म 'शोले' में गब्बर का किरदार कैसे अमजद खान को मिला. अमजद मशहूर चरित्र अभिनेता जयंत के बेटे थे और प्ले किया करते थे. ये इत्तेफाक की बात थी कि जिस प्ले मे अमजद खान एक साउथ अफ्रीकन का किरदार निभाने वाले थे उसी प्ले मे उनकी बहन भी थी और वो उस प्ले को देखने के लिए गए थे.

पहले डैनी को मिलने वाला था ये रोल

इसके पहले रमेश सिप्पी ने डैनी को पहले ही गब्बर के किरदार के लिए साइन किया था लेकिन अफगानिस्तान मे फिल्म 'धर्मात्मा' के लंबे शेड्यूल की वजह से उनको शोले का वो किरदार डैनी को छोड़ना पड़ा था.

प्ले के दौरान ही रमेश सिप्पी को लगा कि उनको गब्बर मिल गया है. दूसरे ही दिन उन्होंने अमजद खान को अपने दफ्तर बुलाकर उनका लुक टेस्ट लिया.

जय के रोल के लिए पहली पसंद थे शत्रुघ्न सिन्हा

मीडिया से बातचीत के दौरान ही रमेश सिप्पी ने एक और बात का खुलासा किया कि अमिताभ बच्चन जय के रोल मे उनकी पहली पसंद नहीं थे. इसके पहले उनकी बात चल रही थी शत्रुघ्न सिन्हा से लेकिन उसी दौरान अमिताभ बच्चन की तीन हालिया रिलीज फिल्मों मे उनके काम को देखकर रमेश सिप्पी ने जय के किरदार के लिए उनका चयन किया. परवाना, बॉम्बे टू गोवा और आनंद मे उनके शानदार काम को देखकर रमेश सिप्पी को लगा की जय का किरदार सिर्फ अमिताभ बच्चन ही निभा सकते है.

'शोले' के बारे में कहा जाता है कि रिलीज के शुरुआती दिनों में लोगों ने इसे नकार दिया था. रमेश सिप्पी ने इसका भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ये सब ट्रेड पंडितों की वजह से हुआ था. फिल्म का बजट जब एक करोड़ से बढ़ कर जब तीन करोड़ हो गया था तब ट्रेड विश्लेषकों को लगा कि ये फिल्म अपने पैसे नही निकाल पाएगी लिहाजा ये फिल्म फ्लॉप है.

रमेश सिप्पी ने कहा कि फिल्म विश्लेषकों ने ये भी लिखा, 'फिल्म कैसे पैसे बना सकती है, ये तो रिलीज के पहले ही फ्लॉप है, ये फिल्म इंडस्ट्री के लिए डिजास्टर है'.

1975 में रिलीज हुई इस फिल्म के बारे में याद करते हुए सिप्पी ने बताया कि जब फिल्म रिलीज हुई थी तब वो कुछ दिनों के बाद फिल्म का हाल जानने कुछ सिनेमाघरों में गए थे. सिनेमाघरों मे जाकर उन्हें सन्नाटे का एहसास हुआ. बाद मे वर्ली के सिनेमाघर के एक मालिक ने उनको बताया कि सन्नाटे का कारण ये है कि फिल्म लोगों को बेहद पसंद आ रही है. कोई भी इंटरवल के दौरान अपनी सीट छोड़ने को तैयार नहीं है.