view all

फर्जी सुपरहिट फिल्मों को भूल जाइए, बाहुबली है असली ब्लॉकबस्टर

बाहुबली- 2 ये विश्वास दिलाती है कि वो भारतीय सिनेमा के स्तर पर एक बहुत बड़ा अगला कदम साबित होगी.

Sandipan Sharma

अगर आप किसी युद्ध में उलझे हुए हैं तो अपनी लड़ाई को वहीं रोक दें. किसी युद्धभूमि की ओर बढ़ रहे हैं तो पीछे पलट जाएं और मेरे पास आएं. मेरा आपसे इस समय ये निवेदन है.

अंग्रेजी साहित्य के क्लासिक कहे जाने वाले उपन्यास 'कोल्ड माउंटेन' में जब अदा मनरो अपने प्रेमी इन्मान को सबकुछ भूलकर वापिस अपने पास बुलाना चाहती है तो यही कहती है. अदा इन्मान से कहती है कि, 'तुम पुरानी सभी चीजें भूल जाओ और इस वक्त जो सबसे ज्यादा जरूरी है वो हमारा जीवन है, तुम उसपर ध्यान दो.'


जैसे इस समय हम सबके सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कटप्पा ने अमरेंद्र बाहुबली को क्यों मारा?

हमारी घड़ियों के अलार्म शुक्रवार सुबह के लिए सेट किए जा चुके हैं. हमारा दिमाग ठीक उसी तरह से काम सिर्फ एक चीज पर एकाग्रचित्त है जैसे चेतन शर्मा की गेंद का छक्का लगाने से पहले जावेद मियांदाद का दिमाग बस अपने उद्देश्य पर टिका था.

कुत्ता हड्डियों के अपने प्रिय भोजन को छोड़ रहा है और बच्चे स्कूल से छूट्टी मार रहे हैं. माएं अपने प्रिय आराध्य भगवान शिव को सुबह की पूजा में इंतजार करने को कहती हैं क्योंकि इस समय उन्हें शिव से ज्यादा बाहुबली के शिवुडू से ज्यादा प्यार है.

घर के एक कोने में पिता यू-ट्यूब पर बाहुबली- द बिगनिंग को नौवीं बार देख रहे हैं ताकि फिल्म की कहानी को फिर से याद कर लें और कुछ छूट न जाए.

जो लोग बेचैनी में अपने नाखून काट रहे हैं उनके नाखून तेजी से गायब हो रहे हैं. कुछ लोगों की हालत तो ये है कि उनकी आंखों से नींद गायब हो गई है, ऐसे में उन्हें अपनी मांसपेशियों को आराम देने के लिए वेलियम-5 जैसी नींद की दवाइयों का सहारा लेना पड़ रहा है.

रातों में पति अपनी पत्नियों के प्रेम के आग्रह को बड़ी ही साफ लहजे में ये कहकर ठुकरा दे रहे हैं कि उनके दिलो-दिमाग पर इस सयम सिर्फ देवसेना छाई हुई है.

24 घंटे में 1 करोड़ टिकटें बिकीं

हमें बताया गया है कि टिकट काउंटर खुलने के 24 घंटे के भीतर 1 करोड़ से ज्यादा टिकटें बिक गई हैं. जिनमें से पांच इस समय मेरे घर के दराज में सुरक्षित तरीके से रखी हुई है. उस टिकट की निगरानी के लिए एक घड़ी भी रखी हुई है, ताकि किसी भी तरह के आकस्मिक प्रलय की स्थिति में भी हम किसी भी हालत में फिल्म के लिए लेट न हो जाएं.

आखिरकार, ये कोई ऐसा-वैसा फिल्म शो नहीं है. ये वो शो है जो भारतीय फिल्म बिजनेस के किस्मत का फैसला करने वाली है.

फिल्में आमतौर पर देखने, मनोरंजन करने और फिर भूल जाने के लिए होती हैं. लेकिन, जब से राजामौली ने इस महान कृति के पहले हिस्से को अचानक खत्म कर दिया था तब से हम सब के जेहन में जवाब कम और सवाल ज्यादा छोड़ गया. बाहुबली तब से हमारे शरीर के भीतर बसे उस अंदरूनी और लगातार परेशान करने वाले बुखार की तरह हो गया है जिसे एक पल के लिए भी भूलना मुश्किल है.

ऐसा क्यों... तो इसका जवाब बेहद आसान है. बाहुबली एक ऐसी अभूतपूर्व भारतीय फिल्म है जैसा आपने पहले कभी न देखा हो. फिल्म में वो सबकुछ है जो एक फिल्म को यादगार बना सकती है.

‘न भूल पाने वाले किरदार, एक कसी हुई कहानी, जबरदस्त एक्शन के सीन, पिक्चर पोस्टकार्ड पर उकेरी जा सकने वाली खूबसूरत सिनेमेटोग्राफी और अंत में रहस्य का तड़का.

बाहुबली में हर वो चीज है जिसकी तुलना आप किसी भी महान भारतीय फिल्म से कर सकते हैं. शोले जैसी कहानी और किरदार, मुग़लेआज़म जैसी भव्यता और इसी फिल्म के निर्देशक के आसिफ़ जैसा हिम्मती फिल्मकार होना.

कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो थोड़े समय के लिए आपकी तार्किकता को स्थगित कर देती है. वो आपके भीतर के अविश्वास को किनारे कर ये मौका देती है कि आप खुद को कल्पनाओं के लोक में ले जाएं.

बाहुबली एक ऐसी ही दुर्लभ फिल्म है जिसमें दर्शक निर्देशक की कल्पनाओं के सहारे उड़ान भरने लगता है. वो कल्पना लोक की सैर करने लगता है..अपनी तार्किक सोच को त्याग देता है..कोई सवाल नहीं करता और सिर्फ निर्देशक के प्रति आभार व्यक्त करता है.

असली ब्लॉकबस्टर फिल्म

ईमानदारी से कहें तो बाहुबली से पहले भारतीय दर्शकों ने असली ब्लॉकबस्टर फिल्में देखी ही नहीं है. जो भी फिल्में हिट होती रही हैं वो अपने स्टार एक्टर्स के कारण हिट होती रही हैं. ऐसे एक्टर्स जिन्होंने लंबे समय तक भारतीय सिनेमा के रजत पटल पर राज किया है.

इनमें से ज्यादातर फिल्में बनायी ही इसलिए गई हैं क्योंकि वो अपने इन स्टार्स का प्रदर्शन करता चाहती थीं. वे उनके वफादार फैंस के लिए बनाई गईं होती हैं और उनकी सफलता प्रचार पर ज्यादा और फिल्म के सार पर कम टिकी होती है.

लेकिन राजामौली ने एक असल ब्लॉकबस्टर फिल्म का निर्माण किया है. उनकी फिल्म में कम सफल अभिनेताओं ने एक्टिंग की. कम से कम उत्तर भारत में तो उन्हें कम ही लोग जानते थे.

उन्होंने हमें एक ऐसी फिल्म दी जिसे सिनेमा हॉल में आगे की सीट से लेकर सोफा तक बैठे दर्शक विस्मय में आंखें खोलकर और मुंह बाए देख सकते हैं. उन्होंने मनोरंजन की ऐसी कलाकृति बनायी जिसने तालियों की गड़गड़ाहट को भी दर्शकों का संवाद बना दिया, सिनेमा हॉल में एक बार फिर से बेहतरीन दृश्यों को देखने पर सीटियों और सिक्कों का दौर वापिस ला दिया.

राजामौली की फिल्म ने हर परीक्षा पास कर ली है- चाहे वो आलोचकों की तारीफ हो, दर्शकों की प्रशंसा हो या बॉक्स ऑफिस की रिकॉर्डतोड़ सफलता हो. उनकी फिल्म देश में फिल्ममेकिंग की कला को एक दूसरे ही वायुमंडल पर ले गई इतना कि उसकी तुलना हॉलीवुड में बनायी जाने वाली फिल्मों से की जाने लगी.

अब जबकि वे बाहुबली का सिक्वल लेकर आ रहे हैं, तब ये सोच पाना मुश्किल है कि राजामौली ने खुद को बेहतर करने की कोशिश नहीं की होगी. राजामौली का फिल्मी इतिहास बताती है कि हर बार जब भी कैमरे के पीछे गए हैं उन्होंने न सिर्फ रचनात्मकता की सीमांओं को लांघा है बल्कि कला को ही दोबारा परिभाषित किया है. वे अपनी फिल्मों में ऐसे पल लेकर आए हैं जिसने हमारी कल्पनाओं को भी मात दे दिया है.

बाहुबली- 2 ये विश्वास दिलाती है कि वो भारतीय सिनेमा और व्यक्तिगत प्रतिभा के स्तर पर एक बहुत बड़ा अगला कदम साबित होगी.

तो डब्लू एच ऑडेन की मशहूर कविता की पंक्तियों की अलग ढंग से व्याख्या करें तो कुछ यूं कहा जाएगा: सभी घड़ियों की सूईयों को रोक दो, टेलीफोन के तार काट दो, कुत्ते को हड्डी के टुकड़े पर भौंकने मत दो, पियानो की संगीत बंद कर दो और ढोल-नगाड़ों की आवाजों को दबा दो.

सितारों की अब जरूरत नहीं है, सबको भूल जाइए. चांद को कहीं दूर भेज दीजिए और सूरज को टुकड़े-टुकड़े कर दीजिए. समुंदर को अपने आप से दूर कर दीजिए और लकड़ियों को अपना लीजिए....

बाहुबली-2 आपका इंतजार कर रहा है...!