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'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' के रितुराज: जो कभी शाहरुख खान का रोल मॉडल था

शाहरुख और रितुराज की मुलाकात एक्टिंग गुरू बैरी जॉन के यहां हुई थी, दोनों जॉन के थिएटर एक्शन ग्रुप के सदस्य थे

Gautam Chintamani

कुछ अभिनेताओं का सबसे अच्छा काम कभी कैमरे में कैद नहीं हो पाता. उनका सबसे शानदार अभिनय बड़े पर्दे पर नहीं दिखता.

ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं रितुराज सिंह या रितुराज. जिन्होंने हाल ही में आई फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' में रितुराज ने बद्रीनाथ के पिता का रोल निभाया था.


रितुराज को असल पहचान नब्बे के दशक के टीवी सीरियल 'बनेगी अपनी बात' से मिली थी. रितुराज के पूरे करियर को सिर्फ एक शब्द में बताया जा सकता है. वो शब्द है बेवक्त.

शाहरुख़-रितुराज थिएटर में साथ-साथ थे

जिस वक्त रितुराज 'बनेगी अपनी बात' सीरियल (1993-1997) में अभिनय कर रहे थे उस वक्त थिएटर के उनके साथी शाहरुख खान, डर और बाजीगर जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग से तालियां बटोर रहे थे.

इन्हीं फिल्मों की वजह से शाहरुख बड़े स्टार बन गए. आगे चलकर शाहरुख ने सुपरस्टार का दर्जा हासिल किया. वहीं रितुराज की पहचान ऐसे अभिनेता की बनी, जो शाहरुख खान नहीं बन सके.

रितुराज को देखकर कई लोग उन्हें गरीबों का शाहरुख खान कहते थे. शायद रितुराज और शाहरुख का एक-दूसरे से मेल खाना ही रितुराज की नाकामी की सबसे बड़ी वजह बन गई. इसी वजह से रितुराज अपनी अलग पहचान गढ़ने में नाकाम रहे. हालांकि दोनों के बीच समानता सिर्फ किस्मत से नहीं थी.

स्टार की कामयाबी उसके चर्चित किस्सों से जुड़ी होती है 

किसी कलाकार की कामयाबी सीधे तौर पर उसके बारे में चर्चित किस्से कहानियों से जुड़ी होती है. जितना बड़ा स्टार होता है, उतने ही उसके बारे में किस्से होते हैं.

शाहरुख और रितुराज की मुलाकात एक्टिंग गुरू बैरी जॉन के यहां हुई थी. दोनों ही जॉन के थिएटर एक्शन ग्रुप के सदस्य थे. अक्सर दोनों के बीच एक ही रोल के लिए मुकाबला होता था. रितुराज ने केवल बारह साल की उम्र में थिएटर एक्शन ग्रुप ज्वाइन कर लिया था. शाहरुख उनके पांच साल बाद इसका हिस्सा बने.

कहते हैं कि शाहरुख, रितुराज के अभिनय से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने रितुराज की नकल करने की कोशिश शुरू कर दी. उनके जैसे हाव-भाव अपनाने लगे. अक्सर एक्टिंग में शाहरुख, रितुराज की मदद मांगते थे. और रितुराज भी उनकी मदद करने में हिचकते नहीं थे. यानी शाहरुख ने अभिनय के मामले में रितुराज को अपना रोल मॉडल बनाया था. अब ये किस्सा कितना सच है ये तो पता नहीं. लेकिन दोनों को देखकर दोनों में समानताएं साफ नजर आती हैं.

वक्त तब बदला जब शाहरुख़-रितुराज ने अपना टीवी करियर शुरू किया 

हालात उस वक्त बदल गए, जब शाहरुख़ को 1988 में फौजी सीरियल में एक्टिंग का मौका मिला. उनके लंबे बाल, बेतकल्लुफ बर्ताव और लीक से हटकर अभिनय ने शाहरुख को अलग पहचान दी. वे एकदम अलग नजर आते थे.

फौजी सीरियल की कामयाबी ने शाहरुख की आने वाली कामयाबी की बुनियाद रखी. इसके बाद उन्होंने दिल दरिया (1988), सर्कस (1989), दूसरा केवल (1989) और वागले की दुनिया (1989) में अपने रोल से नई पहचान बनाई. टीवी में स्टार बनने के बाद शाहरुख को राज कंवर की फिल्म दीवाना (1992) में काम करने का मौका मिला.

वहीं, रितुराज सबसे पहले 'तोल मोल के बोल' (1993) के होस्ट के तौर पर टीवी में नजर आए. इस शो में भाग लेने वालों को किसी सामान की सही कीमत का अंदाजा लगाना होता था. इसी शो से लोगों ने रितुराज और शाहरुख में समानताएं तलाशनी शुरू कर दी. फिर रितुराज 'बनेगी अपनी बात' सीरियल में नजर आए.

जिसके बाद लोग रितुराज को दूसरा शाहरुख खान कहने लगे. इस शो से कई और कलाकारों को भी कामयाबी की डगर पर चलने का मौका मिला. इरफान, शेफाली छाया, फिरदौस दादी, सादिया सिद्दीकी, दिव्या सेठ, वरुण बडोला, राखी टंडन और आर माधवन ने इसी सीरियल से करियर की शुरुआत की थी.

सीरियल 'बनेगी अपनी बात' चार साल चला. लेकिन इसके खत्म होने तक रितुराज पर शाहरुख का क्लोन होने का ठप्पा लग चुका था. इस सीरियल के बाद रितुराज को प्रकाश मेहरा की फिल्म 'मिस्टर श्रीमती' (1994) में सेकेंड लीड का रोल मिला.

पहले ये फिल्म टीवी सीरियल के तौर पर बनाई जानी थी. लेकिन बाद में प्रकाश मेहरा ने इसे टेलीफिल्म के तौर पर बनाया. इसमें जावेद जाफरी मुख्य भूमिका में थे. उन्होंने डबल रोल निभाया था. एक रोल में वो एक तस्कर से भागे फिर रहे थे. दूसरे रोल में वो सूजी नाम की लड़की की भूमिका में थे, जो पकड़े जाने के डर से रितुराज से शादी कर लेती है. फिल्म बुरी तरह नाकाम रही.

इसी के साथ रितुराज के फिल्मी करियर पर भी ताला लग गया. फिल्म में किशोर कुमार के गाए आखिरी गानों में से एक 'आशिक की है बारात' भी था. सबको इस गाने को सुनकर ये लगा था कि इसे कुमार सानू ने गाया था. क्योंकि किशोर कुमार की मौत तो काफी पहले हो चुकी थी.

अब 25 साल बाद भी रितुराज में दिखी रही है शाहरुख़ की झलक

आज 25 साल बाद भी लोग रितुराज और शाहरुख की समानता को नजरअंदाज नहीं कर पाते. बद्रीनाथ की दुल्हनिया में रितुराज की एक्टिंग, शाहरुख के स्टाइल से काफी मेल खाती है.

कई बार ऐसा लगता है कि बद्रीनाथ के पिता का रोल शाहरुख ही कर रहे हैं. कई सीन देखकर लगता है कि आगे चलकर शाहरुख जब चरित्र अभिनेता के रोल करेंगे, तो ऐसे ही दिखेंगे.

ये रोल कोई ऐसा नहीं है कि इससे रितुराज के करियर को चार चांद लग जाएंगे. ये कुछ उसी तरह का किरदार है जैसा अमिताभ बच्चन ने सरकार फिल्म में निभाया था. हालांकि फिल्म में इसे बहुत भोंदे तरीके से पेश किया गया है.

कई बार अच्छे अभिनेता जोड़ियों में आते हैं. जैसे रॉबर्ट डि नीरो और हार्वी कीटल, अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ. ऐसे जोड़ीदारों की किस्मत भी कई बार आपस में टकरा जाती है. रॉबर्ट डि नीरो को मार्टिन स्कोर्सोजे ने हमेशा ही हार्वी कीटल से कमजोर आंका. लेकिन नीरो की ये पहचान मीन स्ट्रीट्स (1973) से बदली. इसके बाद नीरो, कीटेल से बेहतर अभिनेता माने जाने लगे और उन्हें हार्वी के मुकाबले बेहतर रोल भी मिले.

इसी तरह जब अमिताभ बच्चन फिल्मों से राजनीति में गए, फिर राजनीति से जब फिल्मी दुनिया में वापस आए और पहले जैसी कामयाबी हासिल नहीं कर सके तो अनिल कपूर को अगला सुपरस्टार घोषित कर दिया गया था.

अनिल कपूर ने उस दौर में तेजाब (1988) और राम लखन (1989) जैसी सुपरहिट फिल्में भी दीं. तब तक आमिर खान, कयामत से कयामत तक (1988) और सलमान खान मैंने प्यार किया (1989) जैसी फिल्मों से धमाकेदार एंट्री कर चुके थे. लेकिन दर्शकों की पसंद बदलने और अच्छी फिल्में न मिलने की वजह से अनिल कपूर, अमिताभ बच्चन के पुराने दौर और खान अभिनेताओं के नए दौर के बीच के सुपरस्टार नहीं बन सके. वो शाहरुख, आमिर, सलमान और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं से पिछड़ गए.

एक जैसे दो अभिनेताओं के साथ आने से एक का करियर खत्म!  

क्या ऐसा रितुराज और शाहरुख के साथ भी हो सकता था. अगर दोनों कलाकार साथ-साथ टीवी और फिल्मों में नहीं आते तो शायद ऐसा हो भी सकता था. या शायद नहीं भी.

किसी को नहीं पता कि रितुराज ने 'फौजी' सीरियल में काम पाने की कोशिश की थी या नहीं. हो सकता है कि रितुराज को ये रोल अपने मुताबिक न लगा हो. या फिर ये भी हो सकता है कि उन्हें खारिज कर दिया गया हो.

शाहरुख को भी फिल्मों में शुरुआत में वो रोल मिले, जो दूसरों ने खारिज कर दिए थे. जैसे दीवाना, चमत्कार, डर और बाजीगर फिल्मों में शाहरुख ने दूसरों के खारिज किए रोल ही निभाए थे. जिन्हें अरमान कोहली, दीपक मल्होत्रा, आमिर खान और सलमान खान ने ठुकराया था.

शाहरुख की कामयाबी का सेहरा सिर्फ किस्मत के सिर नहीं बांधा जा सकता. इसी तरह रितुराज भी इतने महान कलाकार नहीं हैं जिन्हें बदकिस्मती से अच्छे रोल नहीं मिले. हां, जब भी रितुराज का जिक्र होगा, उनके शाहरुख से मेल खाने की भी चर्चा होगी. फिर किस्मत की बात भी उठेगी ही.