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बाहुबली 2: राजामौली का जादू हमें दादी अम्मा की गोद में लेकर जाता है

‘बाहुबली 2 – दि कनक्लूजन’ आपको बचपन के दिनों की ओर ले जाती है

Akshaya Mishra

‘बाहुबली 2 – दि कनक्लूजन’ आपको बचपन के दिनों की ओर ले जाती है. उस समय कहीं दूर महिष्मती नाम का एक साम्राज्य हुआ करता था. अच्छी-बुरी राजकुमारियां, बहादुर राजमाताएं, साहसी रानियां, शैतान और डायनें भी हुआ करती थीं. राजपरिवार के सदस्य साजिश में संलिप्त होते थे और पंख वाले वाहन भी हुआ करते थे.

उन दिनों बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती थी. सभी बाधाओं को पार कर अंत में युवा प्रेमी एक हो जाते थे और साम्राज्य में प्रजा को उम्मीद और खुशियां मिलती थीं.


आप दादी मां की गोद में लेटकर कहानियों का आनंद ही नहीं लेते, बल्कि उन्हें जीते भी थे.

दादी अम्मा का रहस्य-लोक

एस एस राजमौली बाहुबली फिल्म के जरिए आप को दादी मां की गोद में वापस ले जाते हैं. जहां अविश्वास को कुछ देर के लिए भुलाया नहीं जाता, बल्कि अविश्वास नाम की कोई चीज होती ही नहीं.

यह कल्पना का संसार है, जहां तर्क और सोच-विचार की कोई गुंजाइश ही नहीं होती. ये गुण तो आप बड़े होने की प्रक्रिया के दौरान हासिल करते हैं. राजमौली आप को एक बार फिर से बच्चा बना देते हैं और आपके कल्पना के संसार को वास्तविकता में बदल देते हैं.

यह किसी फिल्म निर्माता, लेखक अथवा किसी अन्य रचनाकार के लिए आसान काम नहीं होता. हॉरर अथवा हास्य-व्यंग की तरह फैंटसी के संसार का सृजन आसान विषय नहीं है. आप या तो ऐसा कर पाते हैं या नहीं कर पाते. यहां बीच का कोई रास्ता नहीं होता.

तथाकथित गंभीर फिल्मों में किसी निर्देशक या पटकथा लेखक की कमियां बौद्धिकता के आवरण में छिप सकती हैं. वे यथार्थ के चित्रण के बहाने इन कमियों से बच निकलते हैं.

लेकिन इन शैलियों और खासतौर से फैंटसी के मामले में ऐसा संभव नहीं है. यही वजह है कि बहुत सी ऐसी फिल्में कब आती और चली जाती हैं पता ही नहीं लगता.

ताकतवर विलेन का होना कैसे बढ़ाता है रोमांच?

पौराणिक हों या ऐतिहासिक या काल्पनिक, दादी मां की कहानियों में किरदार बहुत मजबूत होते थे. विलेन का शक्तिशाली होना जरूरी है, जिससे हीरो और शक्तिशाली दिखे. विलेन जितना शक्तिशाली होगा, हीरो उतना ही शक्तिशाली होगा. इससे कहानी में रोमांच बढ़ता है. यह किसी भी अच्छे ड्रामे का मूल सिद्धांत है.

अगर विलेन सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि परिस्थितियां हों तो सुपरह्यूमन जैसे साहस और संकल्प वाला व्यक्ति ही उससे पार पा सकता है.

कल्पना कीजिए कि रावण और दुर्योधन में इतनी बुराइयां न होतीं तो रामायण और महाभारत की कहानी कैसी होती. गब्बर सिंह के बगैर शोले अथवा जोकर के बगैर बैटमैन की कल्पना कीजिए. डार्क लॉर्ड वोल्डॉर्ट के बगैर हैरी पॉटर के बारे में सोचिए.

बाहुबली में हीरो के सामने एक मजबूत प्रतिद्वंदी है. भलालदेव में विलेन की कुटिलता के साथ ताकत है. वह हर दुर्गुण की प्रतिमूर्ति है, फिर भी वह बेहद रोचक किरदार है और अच्छे गुणों वाले हीरो को उससे निपटना है.

दादी मां की कहानियों की तरह बाहुबली के किरदार की नैतिकता के प्रति कोई संशय नहीं है. वे या तो अच्छे हैं या बुरे. राजमाता शिवगामी और देवसेना से लेकर दूर-दराज तक के सभी किरदारों में अच्छाई है या बुराई.

दिल तो बच्चा है जी

राजमौली हमारे अंदर के प्रौढ़ भाव को निकाल कर बचपन के कल्पनालोक का सृजन करते हैं.

सीरीज की पहली फिल्म बाहुबली I में कटप्पा की करतूत को जानबूझकर अनसुलझा छोड़ा गया. बाहुबली 2 की रिलीज से पहले की अवधि में इस पर खूब चर्चा हुई. लेकिन यह दर्शकों के लिए दूसरी फिल्म के इंतजार की वजह नहीं हो सकती.

लोग बाहुबली से रचे गए संसार का पूरा अनुभव हासिल करने के लिए बाहुबली 2 का इंतजार कर रहे थे. दूसरी फिल्म शाही परिवार के रहस्य और नैतिकता के दो छोर पर खड़े एक समान शक्तिशाली किरदारों के बीच युद्ध के रोमांच को और गहरा करती है.

फिल्म में स्पेशल इफेक्ट जरूरी हैं, लेकिन दर्शकों को दूसरी दुनिया में ले जाने के लिए कहानी कहने की कला और भी जरूरी है.

हालीवुड की बहुत सी फिल्में भारी-भरकम खर्च कर काल्पनिक दुनिया का निर्माण कर लेती हैं. लेकिन ज्यादातर ऐसी फिल्में दर्शकों के जेहन में कहानी को सहज तरीके से उतारने और आगे बढ़ाने में नाकाम रहती हैं.

कहानी कहने की कला के साथ तकनीकी का खूबसूरत इस्तेमाल राजमौली की खासियत है. दादी मां की कहानियों की तरह राजमौली के हाथों महिष्मती साम्राज्य सच्चाई में तब्दील हो जाता है. हमें एक बार फिर से बच्चा बनाने के लिए राजमौली को शुक्रिया.