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राज ठाकरे की नाक के नीचे से पाकिस्तान में शो कर आए अनूप जलोटा

अनूप जलोटा की इस पहल की हर तरफ सराहना की जा रही है

Akash Jaiswal

एक समय था जब भजन गायक अनूप जलोटा ने पाकिस्तान में कभी भी शो न करने की कसम खाई थी. लेकिन मानवता की खातिर अपनी इस कसम को भुलाकर अनूप ने इस सप्ताह पकिस्तान में ‘भगवद गीता’ के श्लोकों का उर्दू अनुवाद सुनाया.

उनका मानना है कि इस विश्व को कुरुक्षेत्र में बदलने से रोकने के लिए ये उनका एक प्रयास है. उन्होंने आईएएनएस से हुई बातचीत में कहा कि ‘भगवद गीता’ में जीवन के सभी प्रश्नों के उत्तर हैं. उन्हें लगा कि उन मूल्यों का प्रचार करना बहुत जरूरी है. संगीतकार होने के नाते शांति, एकता और प्रेम का संदेश जो वो देना चाहते हैं वो सभी चीजें ‘भगवद गीता’ में सम्मिलित है.


आगे उन्होंने कहा कि जबउर्दू बोलने वालों तक इस संदेश को संगीत द्वारा उर्दू में पहुंचाया जाएगा तब इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा और ये आपको बदल देगा.

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कुछ ही महीनों पहले मीका सिंह पाकिस्तान में कॉन्सर्ट करने वाले थे. इस बात की भनक जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को लगी तो उन्होंने मीका को सीधे-सीधे धमकी देते हुए कहा था कि अगर उन्होंने पाकिस्तान में शो किया तो मुंबई में उन्होंने कोई भी कार्यक्रम करने नहीं दिया जाएगा.

उरी में भारतीय सैनिकों पर हुए हमले के विरोध में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भारत में पाकिस्तानी कलाकारों के काम करने पर रोक लगा दी थी. शाहरुख खान की फिल्म रईस' में माहिरा खान और करण जौहर की फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' में फवाद खान के काम करने पर उन्होंने आपत्ति जताई थी और फिल्म रिलीज में बाधा डालने की धमकी भी दी थी.

इन सबके बावजूद अब अनूप जलोटा ने पाकिस्तान जाकर अपना कार्यक्रम किया. इसलिए अब इसपर मनसे क्या प्रतिक्रिया देती है ये देखने लायक होगा.

अनूप ने कहा कि पाकिस्तान में उन्होंने व्यावसायिक रूप से कोई भी कार्यक्रम न करने की कसम खाई है. लेकिन ‘भगवद गीता’ और उसके भजन से 50,000 लोगों को प्रभावित करने की उनकी कोशिश इस विश्व शांति में अपना योगदान देने में उनकी मदद करेगी.

उनका मुख्य उद्देश्य ये है कि वो लोगों के रवैये और मनोदशा में बदलाव लाना चाहते हैं और एक संगीतकार होने के नाते वो इस दुनिया को कुरुक्षेत्र में तब्दील होने से रोक सकते हैं.

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जानकारी के अनुसार उन्होंने इस सप्ताह की शुरुआत में सिंध के सतनाम आश्रम में कार्यक्रम किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी कलाकारों का भारत में स्वागत किया जाता है और इसलिए पकिस्तान को भी यह नीति अपनानी चाहिए क्योंकि ये विश्व में शांति और भाईचारा बढ़ाने में कारगार साबित होगी.

उन्होंने बताया कि इस्लामिक देशों में उर्दू में ‘भगवद गीता’ को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है.