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जो जीता वही सिकंदर के 25 साल: यादें बिल्कुल ताजा हैं

1992 की सबसे हिट फिल्म को रिलीज हुए आज 25 साल पूरे हो गए हैं

Abhishek Srivastava

मॉडल स्कूल और राजपूत स्कूल के लड़कों के बीच की दुश्मनी अभी पुरानी नही हुई है. निर्देशक मंसूर खान की दूसरी फिल्म ने इसी दुश्मनी को कई रंगों के बीच पिरोया था.

जो जीता वही सिकंदर एक ऐसी फिल्म थी जो 25 साल पहले एक ताजा हवा के झोंके की तरह सिनेमाघरों में आई थी. ताजी हवा इसलिये क्योंकि उस वक्त रोमांटिक फिल्म का दौर था और बॉक्स ऑफिस पर प्रेम कहानियों का बोलबाला था. जो जीता वही सिकंदर एक ऐसी फिल्म थी जो युवाओं के बारे में थी और इसने युवाओं के नब्ज को अच्छी तरह से पकड़ा. 25 साल के बाद भी इस फिल्म की चमक पर धूल की परतें चढ़ नही पाई हैं.


जो जीता वही सिकंदर से डेब्यू करना चाहते थे मंसूर

ये बात बहुत कम लोगों को पता है कि फिल्म के निर्देशक मंसूर खान ने जो जीता वही सिकंदर को अपनी पहली फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन इस विषय को उन्होंने कुछ वर्षो के लिए इसलिए विराम दे दिया क्योंकि उन्हें इस बात का इल्म नहीं था कि ऐसे विषय को किस तरह से लिखा जाता है.

उनकी पहली फिल्म कयामत से कयामत तक को लोग आज भी सर्वश्रेष्ठ लव स्टोरी फिल्मो की श्रेणी मे शुमार किया जाता है.

1992 में 22 मई को इस फिल्म का प्रीमियर मुंबई के गैलेक्सी थियेटर में हुआ था और तब शायद किसी ने सोचा भी नही होगा कि इसकी पच्चीसवी वर्षगांठ लोग मनाएंगे. जो जीता वही सिकंदर की ज्यादातर शूटिंग साउथ मे ऊटी और कोडाईकनाल के लोकेशन्स पर हुई थी. फिल्म की शूटिंग 1990 मे शुरू हुई थी और इसकी शूटिंग मे तकरीबन ढाई साल का वक्त लग गया था.

अक्षय कुमार का भी हुआ था ऑडिशन

बहुत कम लोगों को इस बात का इल्म है की आज के सुपरस्टार अक्षय कुमार ने भी फिल्म मे शेखर मल्होत्रा के किरदार के लिए अपना ऑडिशन दिया था. उस वक्त उनका आडिशन फिल्म की कोरियोग्राफर फराह खान ने आमिर खान के घर के गार्डन मे लिया था.

ये अलग बात है कि फिल्म के निर्देशक मंसूर खान को उनको ऑडिशन पसंद नही आया और वो रोल बाद मे चलकर दीपक तिजोरी ने किया. कुछ वैसा ही हाल हुआ था अभिनेत्री नगमा के साथ.

नगमा की मां को फिल्म का एक संवाद पसंद नहीं जिसमें गोल्डडिगर होने की बात कही गई थी, नतीजा ये था कि नगमा के बदले फिल्म मे एंट्री ली पूजा बेदी ने जिन्होंने देविका का किरदार आगे चल कर निभाया.

ये वो दौर था जब हिंदुस्तान उदारीकरण के दौर मे प्रवेश कर रहा था और सैटेलाइट चैनल भी धीरे-धीरे जन मानस के बीच अपना पैर पसार रहे थे. हिंदुस्तान को दुनिया के बारे मे नई-नई जानकारी मिल रही थी.

देवेन भोजानी ने शेयर की थी शूटिंग की यादें

फिल्म में आमिर खान के दोस्त की भूमिका निभाने वाले देवेन भोजवानी ने पिछले साल मामी फिल्म महोत्सव के दौरान अपनी यादें ताजा की थीं. देवेन ने इस बात को माना की फिल्म करने के बाद उनकी जिंदगी एक तरह से बदल गई थी.

उन्होंने बताया था, ' मैं उस वक्त अपना ग्रेजुएशन खत्म करके थियेटर करता था और साथ ही मे सीए की पढ़ाई भी करता था. लगे हाथ मैंने एक रियल एस्टेट एजेंसी भी खोल रखी थी एक केटरर के ऑफिस के अंदर जिसका नाम था - देव एस्टेट एजेंसी.'

उन्होंने आगे बताया,' कमाने के लिए उन दिनों बड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. एक दिन मेरे पास मंसूर के ऑफिस से फोन आया और मुझे उस रोल को करने का प्रस्ताव मिला. मुझे दो महीने ऊटी मे बिताने थे. तब मेरे पिता ने मुझसे पूछा था कि मैं अब क्या करूंगा. मैंने उनसे दो साल का वक्त मांगा और ये फिल्म का ही नतीजा था कि मुझे शूटिंग के बाद अपनी सीए की किताबें रद्दी वाले को और एस्टेट एजेंसी का बोर्ड कबाड़ी वाले को बेचना पड़ा.'

अगर फिल्म के गानों की बात करें तो आज भी नए युगल जोड़ियों के गानों की हिट लिस्ट मे पहला नशा शुमार रहता है. इस फिल्म के प्रोड्यूसर नासिर हुसैन ने संगीतकार आर डी बर्मन के साथ मिलकर कई शानदार गाने अपनी फिल्मों मे दिए हैं.

ये कम लोगों को पता है कि जब फिल्म के गाने बन गए थे तब नासिर साहब उन गानों को सबसे पहले सुनाने के लिए आर डी बर्मन के पास गए थे. आर डी बर्मन के अप्रूवल के बाद ही उन्होने गानों को हरी झंडी दी थी.

पूजा बेदी को मिले थे स्पेशल निर्देश

फिल्म में देविका का किरदार निभाने वाली पूजा बेदी को मंसूर खान की ओर से शूटिंग के पहले सिर्फ यही निर्देश मिला था कि उनका किरदार आर्ची कॉमिक्स के किरदार की तरह होगा. विश्व प्रसिद्ध मार्लिन मुनरो के उड़ते हुए ड्रेस को फिल्म मे पूजा बेदी ने रिक्रियेट किया था.

लेकिन जब इसका फिल्मांकन हो रहा था तब मनमुताबिक शॉट न मिलने की वजह से मंसूर ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे. ये फिल्म के सहायक निर्देशक देवेन भोजवानी का ही कमाल था जब उन्होंने नीचे से पंखे की गति को फुल स्पीड पर चला कर अपने निर्देशक को खुश कर दिया था. मजेदार बात ये थी कि मंसूर को इस बात का इल्म बाद मे हुआ कि शॉट उनको मिल गया है.

सबसे ज्यादा फायदा मिला था आमिर को

गेटी इमेज

फिल्म से अगर किसी को सबसे ज्यादा फायदा मिला था तो वो थे खुद आमिर खान जिनके ऊपर उसके बाद एक शानदार अभिनेता का टैग लग गया. आमिर खान के कहने पर जिस मौके पर फिल्म खत्म होती है उसके आगे का हिस्सा भी शूट किया था लेकिन बाद मे उसे फिल्म मे शामिल नहीं किया गया.

आमिर ने मंसूर को ये कहा था कि जब साइकिल रेस जीतने के बाद संजय लाल पोडियम पर चढ़ने के लिए जाता है तब वो शेखर मल्होत्रा को अपनी कुहनी से मारता है. लेकिन बाद मे मंसूर ने इस शॉट को फिल्म मे महज इसलिए नही लिया क्योंकि उनका मानना था कि संजय लाल अब एक बदला हुआ इंसान है और ऐसी हरकतें अब वो नहीं करता है.

इसी फिल्म के दौरान आमिर की अपने फिल्म के सेट पर मजाक करने की आदतों ने भी जोर पकड़ा था. जरा याद कीजिए फिल्म का वो सीन जब फिल्म मे आमिर के पिता बने कुलभूषण खरबंदा उनसे पूछते हैं कि उनके पास 5000 रुपए कहां से आए?

इसी सीन के दौरान आमिर ने एक चीनी इलेक्ट्रॉनिक खिलौने का जुगाड़ किया था जो भद्दी बातें करता था. कुलभूषण खरबंदा के डायलॉग खत्म होते ही आमिर अपने खिलौने का बटन दबा देते थे और उसके बाद सेट पर हंसी का माहौल बिखर जाता था.

जो जीता वही सिकंदर को आज भी सिने प्रेमी टेलीविजन पर देखते हैं तो उनके रिमोट कंट्रोल की चाल रुक जाती है. जो जीता वही सिकंदर साल 1992 की सबसे लोकप्रिय फिल्म थी इसका प्रमाण अगले साल मिला जब 1993 के फिल्म फेयर समारोह मे उसे बेस्ट फिल्म के अवार्ड से नवाजा गया था.