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ऑस्कर 2018: क्या 'डंकर्क' दिलाएगी क्रिस्टोफर नोलन को पहली ट्रॉफी

क्रिस्टोफर नोलन लोकप्रियता के शिखर पर हैं लेकिन क्या उनकी ऑस्कर से दूरी कम होगी

Animesh Mukharjee

युद्ध की फिल्में आकर्षित करती हैं. भले ही उनमें कितनी विभीषिका हो. मौतें हों, तबाही हो. 2018 के ऑस्कर्स की बेस्ट फिल्म के लिए डंकर्क सबसे पुख्ता दावेदारों में से एक है. वैसे तो ऑस्कर में बेस्ट फिल्म में नॉमिनेट हुई हर फिल्म अपने आप में शानदार होती है. लेकिन ऑस्कर जीतने के लिए कई फैक्टर काम करते हैं. आइए नजर डालते हैं डंकर्क पर और उन कारणों पर जिनकी वजह से ये क्रिस्टोफर नॉलन को उनका पहला ऑस्कर दिलवा सकती है.

डंकर्क के पक्ष में सबसे बड़ी बात ये है कि ये नोलन की फिल्म है. नोलन दुनिया भर के पॉपुलर सिनेमा में नए भगवान बन कर उभरे हैं. कोई भी फिल्म सिर्फ इसलिए देखी जा सकती है क्योंकि उसे नोलन ने डायरेक्ट किया है.


साल 2000 में नोलन ने मोमेंटो से तहलका मचा दिया था. मोमेंटो (जिसकी नकल हिंदी और तमिल में गजनी के नाम से बनी) फिल्म में कहानी दो हिस्सों में चलती थी. फिल्म के कुछ सीन रंगीन हैं कुछ ब्लैक एंड वाइट. रंगीन सीन में कहानी आगे बढ़ती है और ब्लैक एंड वाइट में पीछे जाती है. सिनेमा में इस तरह का ये पहला प्रयोग था. लेकिन नोलन को ऑस्कर के नॉमिनेशन से संतुष्ट होना पड़ा. इसकी जगह इस साल अमेरिकन ब्यूटी को ऑस्कर से संतुष्ट होना पड़ा.

डंकर्क के साथ भी नोलन ने एक नया प्रयोग किया है. फिल्म में एक ही कहानी तीन बार तीन अलग नजरियों से दिखाई जाती है. एक बार एक घंटे के टाइम में, एक बार एक हफ्ते के स्पेस में और एक बार एक दिन के समय में. इस प्रयोग को सराहना तो मिली है, साथ ही मोमेंटो से अब तक एक बदलाव भी आ चुका है.

2000 के आस-पास ऐसी फिल्में ऑस्कर में छाई रहीं जो अच्छी तो थीं मगर उनमें सेक्स और न्यूडिटी भी खूब थी. हॉलीवुड पर लिखने वाले लोग अब इसको हार्वी वाइंस्टीन और उसकी लॉबीइंग का असर बताते हैं. बहरहाल पिछले कुछ सालों में एकैडमी ने इस चलन से बाहर आने और अपनी इमेज सुधारने की कोशिश की है. हालांकि सिनेमा देखने के अमरीकी पर्सेप्शन और अकैडमी की सोच में कई बार फर्क दिखता है. ऐसी कई फिल्में हैं जिन्हें नॉट सो डिज़र्विंग माना जाता है.

वैसे नोलन के पक्ष में जहां कई बातें हैं वहीं कुछ जगहों पर उनकी दावेदारी कमजोर पड़ती दिखती है. इसमें कोई दो राय नहीं क्रिस्टोफर नोलन दुनिया के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में से एक हैं. लेकिन पॉपुलर सेंटिमेंट जब उन्हें सबसे महान या स्पीलबर्ग से कई गुना बेहतर बताने लगता है तो समस्या हो जाती है.

अगर थोड़ा ईमानदारी से विश्लेषण करें तो अलग तस्वीर दिखती है. नोलन की सबसे चर्चित फिल्मों में एक डार्क नाइट को ही लें. फिल्म हीथ लेजर के जोकर के किरदार की वजह से अद्वीतीय हो गई है. हीथ के बिना इसी ट्राईलॉजी की बाकी दोनों फिल्में महज अच्छी सुपरहीरो फिल्म बनकर रह गईं.

इन्सेप्शन ऑर इंटेस्टेलर के उदाहरण से उन्हें स्पीलबर्ग से ऊपर रखने की बात कही जाती है. लेकिन स्पीलबर्ग ने लगभग हर जॉनर में एक बेहतरीन फिल्म दी है. बच्चों के लिए ईटी, युद्ध पर सेविंग प्राइवेट रायन, डॉक्युड्रामा शिंडलर्स लिस्ट, सुपर हीरो जैसी इंडियाना जोंस, साइंस फिक्शन जुरासिक पार्क और माइनॉरिटी रिपोर्ट, बायोपिक में लिंकन, आप जिस जॉनर में सबसे अच्छी फिल्मों की लिस्ट बनाएंगे स्पीलबर्ग मौजूद रहेंगे.

ऑस्कर अकादमी अपने फैसलों में कई पहलू देखने के लिए भी जानी जाती है. जैसे अमेरिकी आलोचक अभी भी नहीं समझ पाते हैं कि 'गांधी' को 'ईटी' की जगह अवॉर्ड कैसे मिल गया. इसलिए अगर सबको चौंकाते हूए लेडीबर्ड ऑस्कर जीत जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है. वैसे इस साल डंकर्क को द पोस्ट और शेप ऑफ वॉटर से कड़ी टक्कर मिलने वाली है.

2018 के एकेडमी अवॉर्ड में ‘डंकर्क’:

बेस्ट पिक्चर – एमा थॉमस और क्रिस्टोफर नोलन

सिनेमैटोग्राफी – हॉयटे वान हॉयटेमा

डायरेक्शन – क्रिस्टोफर नोलन

फिल्म एडिटिंग – ली स्मिथ

ओरिजिनल स्कोर (म्यूजिक) – हांस ज़िमर

प्रोडक्शन डिजाइन – नैथन क्राउली; सेट डेकोरेशन – गैरी फैटिस

साउंड एडिटिंग – रिचर्ड किंग और एलेक्स गिब्सन

साउंड मिक्सिंग – ग्रेग लैंडेकर, गैरी ए. रिज़ो, मार्क वेइंगार्टऩ