वरिष्ठ साहित्यकार और हिन्दी में सबसे बड़ा उपन्यास लिखने वाले मनु शर्मा का बुधवार सुबह वाराणसी में निधन हो गया. वे 89 साल के थे.
शर्मा का उपन्यास ‘कृष्ण की आत्मकथा’ 8 खण्डों में आया है और इसे हिन्दी का सबसे बड़ा उपन्यास माना जाता है. इसके अलावा उन्होंने हिन्दी में तमाम उपन्यासों की रचनाएं की.
शर्मा के पुत्र हेमंत शर्मा ने बताया कि उनके पिता का बुधवार सुबह 6:30 बजे वाराणसी स्थित आवास पर निधन हुआ. उन्होंने बताया कि शर्मा का गुरुवार अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा.
मनु शर्मा ने लिखें कई उपन्यास
उनका जन्म 1928 को शरद पूर्णिमा को फैजाबाद के अकबरपुर में हुआ था. उन्होंने हिन्दी में कई उपन्यास लिखे जिनमें ‘कर्ण की आत्मकथा’, ‘द्रोण की आत्मकथा’, ‘द्रोपदी की आत्मकथा’, ‘के बोले मां तुमि अबले’, ‘छत्रपति’, ‘एकलिंग का दीवाना’, ‘गांधी लौटे’ काफी विख्यात हुए. उनके कई कहानी संग्रह और कविता संग्रह भी आए. शुरूआत में वे हनुमान प्रसाद शर्मा के नाम से लेखन करते थे.
शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें गोरखपुर विश्वविद्यालय से मानद डीलिट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत जिन प्रारंभिक नौ लोगों को नामित किया था उनमें से एक मनु शर्मा भी थे.