view all

मेरा डॉगी, मेरी जान! ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

पारिवारिक जिंदगी में हर कोई लाड़-दुलार चाहता है और कुछ ऐसी ही चाहत हमारे डॉगी को भी होती है

Prachi Sharma

दोस्ती ऐसी कि जिंदगी भर साथ निभाये, वफादारी ऐसी कि जान की बाजी लगाकर आपकी हिफाजत करे! उसके पास देने के लिए और कुछ नहीं होता सिवाय खालिस मोहब्बत के!

अपने पालतू नन्हें से झबरीले ‘डॉगी’ की ओर नजर डालिए और सोचिए कि आपकी जिंदगी में उसकी क्या अहमियत है. इस अहमियत का बयान करते हुए शायद आप ऐसे ही लफ्जों की चाशनी तैयार करेंगे.


रिश्ते के मजबूत धागे से बांध लीजिए...

अपने आस-पास पालतू डॉगी के होने का अहसास ही कुछ ऐसा होता है कि चेहरे पर खुशी खिल उठती है और दिल में भरोसा जाग पड़ता है. इस साथी के बारे में सबसे रहस्य भरी बात तो यह है कि वह आपके गले लगता है.

बड़े दुलार से चाटता-पुचकारता है और इतने भर से आपके दिल की हालत संभल जाती है, मन में उठते जज्बातों के गुब्बार थम जाते हैं, रिश्तों की सारी कड़वाहट एक पल में काफूर हो जाती है मगर मजे की बात यह कि अपनी झप्पी के इस जादू से यह बेजुबान प्राणी एकदम ही अनजान होता है.

अगर आपने किसी डॉगी को पाला है तो फिर आप मेरी इस बात से जरूर राजी होंगे कि हमारे परिवार का यही एकलौता सदस्य है जो बड़ी ललक से दिन भर बाट जोहता है कि आप काम खत्म करके कब घर लौट रहे हैं, आपके घर लौटते ही वह अपना सारा प्यार दुलार आप पर लुटा देता है और आपको बरबस लगता है कि सच्चा प्यार अगर कहीं हैं तो यहीं है, अगर सचमुच किसी को मेरी तलाश है तो इसी बेजुबान प्राणी को है.

लेकिन आपाधापी से भरी जिंदगी में डॉगी को पाल लेना सबके बूते की बात नहीं. डॉगी अगर बड़े डील-डौल का हो तो और भी मुश्किल आन खड़ी होती है. डॉगी पालने वाले हर शख्स को मुश्किलों के एक सफर से गुजरना होता है. इस सफर से गुजरकर ही आप इस पालतू जानवर के दिलदार मालिक बन पाते हैं. आइए, एक-एक करके देखें कि इस पालतू पशु के दिलदार मालिक बन पाने की राह में कौन सी बाधाएं हैं.

जालिम जुल्फों की कयामत !

अपने डॉगी के झबरीले होने की शेखी कौन नहीं बघारना चाहता. लेकिन डॉगी के झबरीले होने का गुमान ज्यादा देर नहीं टिकता. डॉगी के बाल सोफे पर दिखते हैं, लैपटॉप पर नजर आते हैं. हो सकता है टूटी हुई जुल्फों का रेशम आपको अपने खाने की प्लेट और खूब जतन से इस्तरी की हुई डेनिम जिंस या शर्ट पर भी बिखरा दिखे. ऐसे में आपकी त्यौरियों पर बल पड़ सकते हैं.

डॉगी की जुल्फों की इस बेहयाई से बचने के लिए बेहतर यही है कि आप गर्मी के दिनों में डॉगी की नियमित हेयरकट (हजामत) करवाते रहें. लेकिन हेयरकट गर्मी में क्यों? भाई मेरे, बात यह है कि गर्मी तो डॉगी को भी लगती है.

डॉगी पालने की जहमत आपने उठायी है तो अपने ऊपर एक मेहरबानी और फरमाइए और अपने घर में वैक्यूम क्लीनर जरुर रखिए वर्ना कहीं ऐसा ना हो कि मेहमानों को जो स्नैक्स आपने परोसा है उसके साथ प्यारे डॉगी के बाल भी प्लेट में चले जायें.

वैक्यूम क्लीनर ना होने की सूरत में यह भी हो सकता है कि मेहमान आपके ड्राइंग रुम से उठकर अपने घर जायें तो उनकी बालों की सजावट में डॉगी के बाल भी मोहब्बत की निशानी के रुप में लिपटे चले जायें और अगले कुछ दिनों तक उन्हें चुटकलों का विषय बनना पड़े.

सू-सू की जहमत

छोटे बच्चे को हाजत से फारिग होना मतलब शौच की आदतें सिखानी होती हैं ताकि वे समाजी तौर-तरीके जान सकें. यही बात आपके प्यारे डॉगी के लिए भी लागू होती है. उसे भी सिखाना होता है कि मल-मूत्र से निबटारा घर के बाहर करना है और यह आदत भी डालनी होती है कि हाजत से फारिग होने की जरूरत जान पड़े तो डॉगी इसके बारे में इशारों ही इशारों में आपको इत्तिला कर दे.

अगर आप अपनी ऊंचे अपार्टमेंट के ऊपली तल्ले पर रहते हैं तो आपके लिए डॉगी को ऐसी आदत सिखा पाना मुश्किल साबित हो सकता है. ऐसे में अच्छा है कि आप अपने डॉगी को दिन और रात में एक खास वक्त पर घुमाने के लिए ले जायें और उसे कुछ वक्त तन्हाई के लिए दें.

अगर आप ऐसा नहीं करते तो घर की मम्मी आपको आपके प्यारे डॉगी के साथ घर से बाहर निकालने के लिए कमर कस लेगी. इस काम में डॉग-ट्रेनर भी आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकते हैं. वे अपने सख्त प्रशिक्षण से उसे भलमानुष..उफ्फ..भला कुत्ता बनना सिखा सकते हैं.

जब सैर पर जाना हो..

डॉगी के पालनहार ये बात जानते हैं कि यह प्यारा पशु जब सैर को निकालता है तो जरूरी नहीं कि वह आपके हर हुक्म का फरमाबरदार नजर आए. कहां क्या है और कैसा है, यह डॉगी भी जानना चाहता है और जब तक मन में चलने वाली यह चाह पूरी नहीं हो जाती वह आपको गली के हर कोने-अंतरे में खींच-खींचकर ले जायेगा.

अगर डॉगी डील-डौल में बड़ा है तो उसे अपने सैर के दौरान इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप भी कोई कम नहीं बल्कि ‘शोले की बसंती’ हैं. आपको यह बात भी अपने जेहन में रखनी होती है कि गली में मिलने वाला हर आदमी पशु-प्रेमी नहीं होता, ना ही वह इतना सख्तजान होता है कि आपको अपने डॉगी के साथ आता हुआ देखे तो उसके मुंह से घबराहट में चीख ना निकले.

इसलिए मौके की नजाकत को पहचानिए और जरा धीरज से काम लीजिए, जिस कुड़ी को देखकर आपका दिल बल्लियों उछलता है उससे अपने डॉगी को दोस्ती की पींगे बढ़ाने का वक्त दीजिए और इसे एक अंजाम तक ले जाइए.

स्वाद का मामला है !

आपको यह बात समझनी होगी कि डॉगी हमारे घर उतने ही लाड़-प्यार से रहता है जैसे कोई छोटा बच्चा. और, बच्चे की तरह उसे भी तरह-तरह की चीजों को  खाने का मन होता है.

अगर आप अपने कीचन मेन्यू से अलग-अलग स्वाद की चीजें डॉगी को खिलायें तो बढ़िया होगा. सुबह और शाम के वक्त उसे स्नैक्स दिया जा सकता है. लेकिन ध्यान रहे अपना सारा प्यार-दुलार खिलाने पर नहीं उड़ेल देना है वर्ना डॉगी का डील-डौल बदलकर उस टेडी बीयर की तरह हो जायेगा जो बचपन में आपका साथी हुआ करता था.

मुक्कमल बढ़वार के लिए डॉगी को भी विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर भोजन की जरूरत होती है. डॉगी के खाने में मौसमी फल और शाक-सब्जी ज्यादा से ज्यादा शामिल कीजिए, समय-समय पर इसे सूखे मेवे और किशमिश वगैरह भी देते रहें.

साथ ही साथ, डॉगी को रोजाना कसरत करवाना और घूमने के लिए ले जाना जरूरी है. हमेशा याद रखिए कि डॉगी को मिठाइयां और चॉकलेट नहीं खिलाने हैं. हालांकि, डॉगी को बिस्कुट खूब पसंद आता है.

लो, ये तो बीमार पड़ गया!

इसे खुशनसीबी मानिए कि हमलोग बोल सकते हैं, अपनी बात मुंह खोलकर कह सकते हैं. लेकिन जहां तक पशुओं का सवाल है, आप बस यह सोच भर सकते हैं कि काश! ये बेजुबान भी बोल पाते. डॉगी बीमार पड़ जाय और ऐसे में खाना और खेलना-कूदना छोड़ दे तो बड़ी मुश्किल आन खड़ी होती है.

डॉगी का बीमार होना सचमुच बड़ी चिन्ता की बात है क्योंकि अगर आपको पता ना चले कि वह बीमार है या उसके इलाज में देरी हो तो प्यारे डॉगी की मौत भी हो सकती है. डॉगी को बुखार हो या फिर उसका मन बहुत उदास हो (जी हां, डॉगी भी उदास होते हैं, वे अपने पालनहार को बहुत याद करते हैं) तो वह खाना और खेलना-कूदना छोड़ देता है.

अगर डॉगी के शरीर में बड़े कीट (टिक्स-प्राब्लम) लगे हों तो भी चिंता की बात है क्योंकि इससे बेचारा डॉगी तो दुखी होता ही है. आस-पास रहने वालों को भी परेशानी हो सकती है (एक बात यह भी है कि कोई कीट चमड़ी से चिपककर खून चूसता हो तो यह दृश्य भला किससे बर्दाश्त हो सकता है).

बेहतर यही है कि किसी पशु-चिकित्सक का नंबर हमेशा अपना पास रखिए. उसे डॉगी की नियमित जांच और टीकाकरण के लिए बुलाते रहिए. डॉगी के बरताव में बदलाव दिखे तो कभी उसकी अनदेखी मत कीजिए.  .

लाड़-दुलार का फैमिली टाइम

पारिवारिक जिंदगी में हर कोई लाड़-दुलार चाहता है. और कुछ ऐसी ही चाहत हमारे डॉगी को भी होती है. वे भी जताते रहते हैं कि मुझे आपके प्यार-दुलार की जरूरत है.

इस जरूरत को जताने के लिए कभी तो वे अपने टूटे खिलौने या गेंद को मुंह में लेकर आपके पास आएंगे और इसरार करेंगे कि मुझे आपके साथ खेलना है या फिर अपना सर आपके पंजों पर रख देंगे और धीरे-धीरे आपके पैर के अंगूठे को चाटेंगे.

डॉगी ऐसा आपका ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए करता है. डॉगी ऐसा बरताव करे तो कभी अनदेखी मत कीजिए. अहसास दिलाइए कि वह भी आपके परिवार का हिस्सा है. उसके साथ प्यार-दुलार के कुछ पल गुजारिए.

डॉगी के साथ बिताये हंसी-खुशी के लम्हों की तस्वीर उतारिए और उसे फैमिली अल्बम में सजाइए या फिर फेसबुक पर अपलोड कीजिए. आखिर, डॉगी पालना खास फैशन में शुमार है.

तनाव से बचना चाहते है तो..

आज के वक्त में हममें से ज्यादातर लोगों की जिंदगी बड़ी आपा-धापी भरी है. काम का दबाव, सेहत की समस्या, रिश्तों की उठा-पटक को देखते हुए ऐसा लगता है कि चौबीस घंटे का वक्त एकदम ही नाकाफी है. आपाधापी भरी जिंदगी से तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन, निराशा जैसी कई दुश्वारियां घेर लेती हैं.

नाटकीयता से भरपूर हमारी दिनचर्या के बीच पालतू पशु हमारी उदासियों पर किसी जादू की तरह काम करते हैं. वे अपनी खुशमिजाजी और लाड़-दुलार से हमारे मन को तरोताजा कर देते हैं.

दरअसल पालतू पशु जितना हमारी जरुरतों को जानते हैं उतना हम उनकी जरुरतों को नहीं जान पाते. वे हमें उदासी के मौसम से खुशी की दुनिया में खींच लाते हैं. डॉगी की ऐसी कोशिशों की अनदेखी मत कीजिए और उन्हें भी बराबर का प्यार-दुलार कीजिए.

अजनबियों और रिश्तेदारों से दूर रखें..

यह बात सच है कि डॉगी छोटा हो या बड़ा, अपने मालिक के प्रति वफादार होता है और उसके घर की पूरे चौकन्नेपन के साथ निगरानी करता है. लेकिन कभी-कभी हम घर में मेहमानों को बुलाते हैं या फिर प्लंबर, सेल्समैन आदि का घर आना होता है और ये लोग पहरेदारी के मिजाज में घूम रहे डॉगी के गुस्से का निशाना बनते हैं.

अच्छा होगा कि आप घर के बाहर ‘कुत्ते से सावधान’ का बोर्ड लगाएं और ध्यान रखें कि डॉगी को काटने की आदत ना लगे. याद रहे...डॉगी को जंजीर से बांधकर या किसी अलग-थलग जगह पर रखने से वह हिंसक हो सकता है, उसके भीतर शिकारी फितरत जाग सकती है.

एक ऐसे नकचढ़े वक्त में जब हर कोई अपने को तीस मारखां समझता है और अपनी छाया तक पर यकीन नहीं करना चाहता, हमारे पालतू पशु हमें भावनाओं के नये मायने सिखाते हैं, उन्हें एक मकसद देते हैं. ये पशु हमारी जिंदगी में नया जोश और खुशी जगाते हैं, जिंदगी पर हमारा भरोसा फिर से जाग उठता है.