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... और जब हिंदुस्तान ने हड़प लिया सुपरमैन

हिंदुस्तान में सुपरमैन चोरी हुआ है और एक से ज्यादा बार हुआ है

Animesh Mukharjee

आपने फिल्म की कहानियां चोरी होते सुना होगा. गानों के बोल और सुर, लय, ताल की चोरी सुनी होगी. मगर क्या आपने सोचा था कि पूरा सुपरमैन ही चोरी हो जाए. जी, वही नीली लैगिंग्स पर लाल अंडरवियर पहनने वाला सुपरमैन. हिंदुस्तान में सुपरमैन चोरी हुआ है और एक से ज्यादा बार हुआ है. और तो और सुपरमैन की चोरी कुछ ऐसे ढंग से की गई कि हंसते-हंसते पेट में दर्द हो जाए.

आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि जल्द ही हम हिंदुस्तान के अपने प्रिय सुपरहीरो ध्रुव, चाचा चौधरी, डोगा, नागराज की बात, उन्हें बनाने वालों की बात और इनसे जुड़े तमाम पहलुओं पर एक-एक कर चर्चा करेंगे. इसके लिए तैयार रहिए मगर तब तक जानिए सुपरमैन की चोरी का किस्सा.


सुपरमैन नहीं हनुमैन

आंध्र के सुपरस्टार मुख्यमंत्री यानी नंबूदरी तारक रामा राव ने अपने फिल्मी करियर के दौरान 1980 में तेलुगु फिल्म ‘सुपरमैन’ में काम किया था. एनटीआर की सुपरमैन में दो यूनीक चीजें थीं. पहली बात तो ये कि उसके सीने पर ‘H’ लिखा था. अरे भाई हिंदुस्तान का संस्कारी सुपरहीरो हनुमान जी को कैसे भूल सकता है. दूसरी ये कि वो मूंछें रखता है और पैंट के ऊपर लाल अंडर वियर नही पहनता. फिल्म में जयाप्रदा भी थीं. अब इस फिल्म का ये सीन देखिए और आनंद प्राप्त कीजिए.

दुर्योधन बना सुपरमैन

इस फिल्म की पूरी कहानी डीसी कॉमिक्स के सुपरमैन की ही है. क्लार्क केंट को शेखर कर दिया गया है. लेक्स लुथर के देसी वर्जन को शक्ति कपूर ने निभाया है. इस वर्जन के बारे में बस यही कहा जा सकता है कि जिस दिन आपके मन में भाव पैदा हो कि दुनिया में सबसे बुरा क्या हो सकता है इस फिल्म को देख लीजिएगा.

जब सुपरमैन की कायनात बदल दी गई

गैंग्स ऑफ वासेपुर के ठाकुरों और कुरैशियों के बीच में जितनी नहीं चलती थी उससे ज्यादा डीसी और मार्वल कॉमिक्स की आपस में दुश्मनी चलती है. डीसी के पास सुपरमैन और बैटमैन जैसे किरदार हैं. मार्वल के पास स्पाइडरमैन, एवेंजर और एक्समैन जैसे. मगर अपने राजाबाबू गोविंदा की फिल्म ‘दरियादिल’ में दोनों का मिलन हो जाता है. सुपरमैन बने गोविंदा का स्पाइडर वोमेन किमी काटकर से. माइकल जैक्सन की तरह सड़क पर ब्रेक डांस करते सुपरमैन की इकलौती अच्छी बात इस प्रकरण का 5 मिनट में खत्म हो जाना है.

मालेगांव का सुपरमैन

ऊपरवाले सारे वर्जन भूल जाइए. मालेगांव का सुपरमैन एक ऐसा प्रयास है जिसकी भरपूर इज्जत होनी चाहिए और तमाम नए फिल्मकारों के इससे सबक लेने चाहिए. मालेगांव के कुछ लड़के बिना किसी भी तकनीक के, अपने गांव में एक हैंडीकैम के साथ एक साइंस फिक्शन फिल्म बना डालते हैं. फिल्म में संसाधनों की कमी को ह्यूमर के जरिए पूरा किया गया है. और ये ह्यूमर कहीं से फूहड़ या भद्दा नहीं लगता.

बिना संसाधनों के फिल्म बनाने वाले मालेगांव के इन दीवानों पर सुपरमेन ऑफ मालेगांव नाम से एक बेहतरीन डॉक्युमेंट्री भी बनी है. नीचे इस डॉक्यूमेंट्री का लिंक दिया हुआ है, समय निकाल कर देखिए दिन बन जाएगा.