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गिरिडीह को आखिर क्यों पसंद है इतनी 'बेवकूफी'?

'बेवकूफ' ब्रांड के नाम से चलने वाले होटल पिछले 40 साल से गिरिडीह की पहचान बन चुके हैं

Ravi Prakash

वह साल 1971 की गर्मियों का मौसम था. जब झारखंड के छोटे से शहर गिरिडीह में पहले ‘बेवकूफ’ का पदार्पण हुआ. अब यहां पांच ‘ब्रांडेड बेवकूफ’ हैं. इनके बीच खुद को सबसे बड़ा 'बेवकूफ' साबित करने की होड़ है.

अपने-अपने दावे भी हैं. गिरिडीह की पहचान इसलिए भी है क्योंकि यहां इतने सारे ‘बेवकूफ’ एक साथ विराजते हैं. इन ‘बेवकूफों’ की शहर में अपनी प्रतिष्ठा है. इनके नाम हैं बेवकूफ, महा बेवकूफ, बेवकूफ नंबर 1, श्री बेवकूफ आदि-आदि.


चौंकिए मत, दरअसल, ये सब नाम गिरिडीह के होटलों के हैं. ये आज की महंगाई में भी कम रेट पर लोगों को खाना खिलाते हैं. हर होटल संचालक दावा करता है कि वह शहर के पहले बेवकूफ होटल का मालिक है. इस शहर में बेवकूफ नाम होना ही काफी है. लिहाजा, वो चाहते हैं कि लोग जानें कि वे ही गिरिडीह के पहले बेवकूफ हैं.

गोपी राम की कहानी

गोपी राम ने 1971 में यहां सबसे पहले बेवकूफ होटल खोला. यह कचहरी के पास था. लोग इसके नाम से आकर्षित होकर होटल में आते और पेट भर खा कर जाते. गोपी राम ने खाने की क्वालिटी बढ़िया रखी और दाम कम. जाहिर है इसकी वजह से लोगों की भीड़ उमड़ने लगी. शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के भोजन यहां उपलब्ध थे. प्लेट का हिसाब था. कुछ भी अलग से लेने की जरुरत नहीं.

यह होटल खूब चलने लगा. कचहरी में केस-मुकदमे की पैरवी के लिए आने वाले लोगों के लिए पसंदीदा बन चुके इस होटल में खाने और इसे देखने के लिए पास-पड़ोस के जिलों से भी लोग आने लगे. इस प्रकार उन्होंने बेवकूफ को एक ब्रांड बना दिया. वह आजीवन कुंवारे रहे. उन्होंने अपनी विरासत और बिजनेस अपने दोनों भतीजों को सौंप दिया.

हम पहले बेवकूफ हैं

गोपी राम के भाई के लड़के प्रदीप कुमार और बीरबल प्रसाद अब इस होटल के मालिक हैं. प्रदीप कुमार कहते हैं कि गोपी राम जी इनोवेटिव थे. इसी कारण उन्होंने होटल का नाम 'बेवकूफ' रख दिया. यह अपनी किस्म का अलग नाम था और दिमाग में बस जाता था. कई दूसरे लोगों ने इसकी नकल की और बाद के दिनों में इस नाम से 7 और होटल खुल गए. हालांकि, अब इनमें से दो बंद हो चुके हैं.

बेवकूफ नंबर वन

पुराने वाले बेवकूफ होटल के ठीक बगल में है होटल बेवकूफ नंबर 1. इसके मालिक हैं शंभू प्रसाद साह. कहते हैं कि बेवकूफ नाम तो उनके लिए लक्ष्मी के समान है. इससे घर चलता है. मुझे तो इसी नाम ने प्रतिष्ठा दी है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि उन्हें इस नाम के कारण शादी-संबंध या सामाजिक स्वीकार्यता में कभी दिक्कत नही हुई. बल्कि प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी ही हुई.

उन्होंने बताया कि उन्हें राखी सांवत के शो 'अजब देश की गजब कहानी' में शामिल होने के लिए मुंबई बुलाया गया था. यह एनडीटीवी इमेजिन चैनल पर प्रसारित हुआ था.

और भी कई हैं बेवकूफ

इन दोनों होटलों के लगभग 200 मीटर के दायरे में किशोर कुमार भदानी का श्री बेवकूफ होटल, अशोक भदानी का श्री बेवकूफ रेस्टोरेंट, ओम प्रकाश सिंह का महाबेवकूफ होटल भी है. सबका बिजनेस ठीक चल रहा है. इन सबको राखी सावंत के शो के बहाने टीवी स्क्रीन पर आने का मौका मिला.

मुंबई में ब्रांच

श्री बेवकूफ रेस्टोरेंट के मालिक अशोक भदानी के बेटे नीरज ने मुंबई के कपासबाड़ी लिंक रोड पर इस होटल का ब्रांच खोला. नाम रखा- बेवकूफ होटल. वहां भी लोग नाम देखकर खाने चले आते. बकौल अशोक भदानी, मुंबई का बिजनेस ठीक चल रहा था लेकिन चंदा उगाही के कारण उसे बंद करना पड़ा.

उनकी बेटी और दामाद अमेरिका में डॉक्टर हैं. बच्चों की परवरिश इसी होटल से हुई कमाई से हुई. इन्होंने प्लेट सिस्टम के साथ रेस्टोरेंट का भी सिस्टम रखा है. मतलब, अलग-अलग आर्डर देकर भी यहां खाना खा सकते हैं.

विदेशी भी आते हैं खाने

गिरिडीह के बेवकूफ ब्रांड को इन दिनों चुनौतियां भी मिल रही हैं. आज के बदलते समय में लोग मॉल के फूड कोर्ट में खाना चाहते हैं. लेकिन इत्मीनान यह कि गिरिडीह में यही एक ब्रांड है. तो लोग आते हैं और खाते हैं. फेसबुक के लिए फोटो भी खिंचवाते हैं. इनमें विदेशियों की भी अच्छी-खासी संख्या होती है.