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मुसलमानों की भाषा बनकर रह गयी है उर्दू: शर्मिला टैगोर

72 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा ये जुबान ‘संभवत: मुसलमानों' द्वारा ही बोली जा रही है

Bhasha

वरिष्ठ अदाकारा शर्मिला टैगोर ने आज कहा कि उर्दू में ‘ठहराव’ आ गया है और वह मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित हो कर रह गई है.

दिल्ली में चल रहे जश्न-ए-रेख्ता में ‘जब फिल्में उर्दू बोलती थीं’ सत्र के दौरान 72 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा ये जुबान ‘संभवत: मुसलमानों' द्वारा ही बोली जा रही है.


शर्मिला ने कहा, ‘इतिहास को समझने के साथ सुविज्ञ और संतुलित भविष्य को देखने के लिए परंपराएं अहम भूमिका निभाती हैं. लेकिन उर्दू जो भारतीय इतिहास का एक अभिन्न अंग हैं कुछ ठहर सी गई है. यह एक अल्पसंख्यक भाषा बन कर रह गई है जो संभवत: सिर्फ मुसलमानों द्वारा ही बोली जा रही है.’

कभी दिल्ली में बड़े पैमाने पर बोली जाने वाली उर्दू जुबान को भी बंटवारे का दंश झेलना पड़ा और ‘देश की साहित्यिक परंपरा टूट गई’. पाकिस्तान में जहां इसे आधिकारिक भाषा घोषित किया गया वहीं भारत में ये एक दायरे में सिमट कर रह गई.