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इस वक्त बच्चों के लिए लिखने की अधिक जरूरत है: पारो आनंद

पारो आनंद मुश्किल हालातों में घिरे बच्चों और टीनएजर्स पर विस्तार से लिखती रही हैं. वो लिटरेचर इन एक्शन नाम से कार्यक्रम भी चलाती हैं.

FP Staff

बच्चों के लिए साहित्य रचने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं राइटर पारो आनंद का कहना है कि वो बच्चों के लिए कहानी लिखना कभी बंद नहीं करेंगी क्योंकि उनका मानना है कि बच्चों के लिए लिखने की अधिक जरूरत है.

पारो को हाल ही में साल 2011 में आई उनकी किताब ‘वाइल्ड चाइल्ड एंड अदर स्टोरीज’ के लिए साहित्य अकादमी बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. यह किताब अब ‘लाइक स्मोक: 20 टीन्स 20 स्टोरीज’ के नाम से प्रकाशित हुई है.


पारो कहती हैं कि साहित्य अकादमी पुरस्कार इस बात को साफ करता है कि बच्चों के लिए साहित्य को गंभीरता से लिया जा रहा है. केवल साहित्य अकादमी ने हाल ही में बाल साहित्य को अपने पुरस्कारों में शामिल किया है. इसलिए बच्चों के लिए लिखने की अधिक जरूरत है.

उन्होंने कहा ‘निजी तौर पर, मुझे उस स्थिति में आ कर पूर्णता का अहसास होता है जिसके लिए मैंने संघर्ष किया था. अब इस पर जो कुछ मिल रहा है वह बोनस है.’

पारो ने बताया, ‘जब मैं ‘वाइल्ड चाइल्ड’ लिख रही थी तब मैं बहुत परेशानियों से घिरी थी. मेरे माता पिता बहुत बीमार थे. जीवन में सब कुछ लगभग खत्म होने को था.’ उन्होंने कहा ‘बाद में मुझे लगा कि किताब में कुछ और भी लिखा जा सकता था. तब मैंने इसमें अधिकतर मूल सामग्री के साथ ‘लाइक स्मोक’ के रूप में दोबारा लिखा.’

पारो आनंद मुश्किल हालातों में घिरे बच्चों और टीनएजर्स पर विस्तार से लिखती रही हैं. वो लिटरेचर इन एक्शन नाम से कार्यक्रम भी चलाती हैं.

उनके उपन्यास ‘नो गन्स ऐट माय सन्स फ्यूनरल’ को ‘आईबीबीवाय ऑनर लिस्ट’, 2006 में शामिल किया गया था. इसका जर्मन और स्पैनिश भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है. और इस नॉवेल पर अब फिल्म बन रही है.