प्रधानमंत्री जी चाहते हैं कि अब हवाई चप्पल वाला भी प्लेन में उड़े. अच्छी बात है. वैसे, ऐसा नहीं है कि पीएम के कहने से ही एयरलाइंस कंपनियां सस्ते टिकट के ऑफर देंगी. वो पहले से बड़ी दयालु हैं. कृपालु हैं. बहुत संभव है कि एयरलाइंस मालिक ईश्वर के अवतार हों. वह तन-मन से लगातार हवा में रहते हैं और आसमान में ईश्वर के निकट रहने की वजह से संभवत: उनके ज्ञान चक्षु खुल चुके हैं.
यही वजह है कि क्रिकेट के मैदान में जिस तेजी से वीरेन्द्र सहवाग ने कभी चौके नहीं मारे, एयरलाइंस उस तेजी से सस्ती टिकट स्कीमों के छक्के मार रही हैं. हर एयरलाइंस सस्ती टिकट देने के लिए मरी जा रही है.
सरकार भी कृपालु है. वो हर ऐरे गैरे नत्थूखैरे को हवाई यात्रा कराकर समाजवाद लाने की कोशिश में है. पिछली सरकारें भले गरीबों को रोटी-कपड़ा और मकान ना दिला पाई हो, और इस मोर्चे पर वर्तमान सरकार का भी पता नहीं लेकिन नई सरकार गरीबों को हवाई यात्रा जरूर करा देगी.
एक कंपनी 1000 रुपए में टिकट दे रही है तो दूसरी 500 रुपए की स्कीम ले आई है. तीसरी एयरलाइंस कह रही है कि अगले साल की यात्रा अभी बुक करो और 400 रुपए में टिकट ले जाओ. बस, अब फ्री यात्रा की स्कीम आना बाकी है, जो उदारमना एयरलाइंस जल्दी ही लॉन्च करेंगी.
राम नाम की लूट नहीं सस्ती टिकटों की लूट है
आज की दुनिया में राम नाम की लूट बची नहीं है अलबत्ता सस्ती हवाई टिकट की लूट मची है. यानी लोग भी सस्ती हवाई यात्रा के टिकट के लिए ऐसी मार मचा रहे हैं मानो हवाई जहाज का टिकट नहीं स्वर्ग का टिकट बंट रहा हो. लेकिन जनाब सस्ती टिकट लेकर यात्रा करने से पहले इस खाकसार का तैयार क्रैशकोर्स ज़रुर कर लें, क्योंकि इसे सस्ती हवाई यात्राओं का खासा अनुभव है.
तो सस्ती हवाई यात्रा के इच्छुक यात्रीगण कृपया ध्यान दें :
आजकल प्लेन में फ्री खाना तो मिलता ही नहीं है, सस्ती टिकट लेने वाले फ्री पानी भी भूल जाएं. आपके लिए अच्छा यही होगा कि आप पूड़ी और आलू की सूखी सब्जी बांधकर ले जाएं. अचार न ले जा पाएं तो कोई बात नहीं. अचार आप पड़ोसी यात्री से मांग सकते हैं क्योंकि समझदार यात्री ने जरूर अपने साथ घर से पूड़ी-सब्जी-अचार वगैरह लाया होगा,
सस्ती टिकट लेकर अगर आप कैटरीना कैफ टाइप की खूबसूरत एयरहोस्टेस देखने का ख्वाब बुन रहे हैं तो वो भूल जाइए. जितना पैसा एयरलाइंस आपसे ले रही है, उतने में वो एयरहोस्टेस के मेकअप का भारी खर्चा नहीं उठा सकतीं. वैसे, इसका लाभ यह है कि आप चाहें तो साथ में पत्नी का टिकट बुक करा सकते हैं.
जिस तरह सस्ते प्रोडक्ट में सस्ता सामान लगता है, उसी तरह सस्ती टिकट पर सस्ता पायलट लगता है. सरल शब्दों में सस्ती टिकट वाले प्लेन का पायलट पायलट ही हो, ये कोई जरूरी नहीं. बहुत मुमकिन है कि वो ट्रक का ड्राइवर हो या दिल्ली की डीटीसी बस का कोई ड्राइवर हो, जिसे डिवाइडर पर गाड़ी चढ़ाने का अनुभव हो और जिसे 'बैट' एयरलाइंस या 'झंडूगो' वालों ने एमजी रोड से पकड़ा हो.
सस्ती हवाई यात्रा का ख्वाब पालने वाले ये जान लें
सस्ती हवाई यात्रा करने वाले यात्री एयरपोर्ट पर ही वाशरूम हो आएं. कोई गारंटी नहीं कि प्लेन का टॉयलेट खुला हो. हो सकता है कि टॉयलेट हो ही नहीं. या फिर ये भी हो सकता है कि सस्ती टिकट की मारामारी के बीच ज्यादा टिकट बंट जाएं और आठ-दस यात्री टॉयलेट के बाहर सूटकेस डाले बैठे हों.
भारतीय रेल में यह नजारा आम है. इस विशेष परिस्थिति में एक फायदा यह भी होता है कि यात्री में विशेष तरह की दुर्गन्ध सहने की हिम्मत आ जाती है. भारतीय नागरिकों के लिए यह जरूरी भी है.
प्लेन के भीतर अगर एसी की जगह टेबल फैन लगे हों तो चौंकिएगा नहीं. एसी की डिमांड तो बिलकुल मत कीजिएगा क्योंकि जितने का टिकट आपने लिया है, उतने में अगर आपको हाथ वाला पंखा नहीं थमाया गया है तो यही आपकी खुशकिस्मती है.
कुर्सी में खटमल निकल आएं तो घबराइएगा नहीं. एयरलाइंस का मकसद आपको कम दाम में मंजिल तक पहुंचाना है ना कि आरामदायक कुर्सी पर बैठाकर पहुंचाना. संभव है कि फट्टे वाली कुर्सी पर आपको बैठाया जाए.
खुदा ना खास्ता अगर हवा के बीच जहाज डगमगाने लगे तो उछलकर पैराशूट मत खोजने लगिएगा. सस्ती एयरलाइंस में हर सीट के नीचे पैराशूट होगा-इसकी संभावना कतई नहीं है अलबत्ता एक-दो पैराशूट निकल आए तो उन्हें हथियाने के लिए प्लेन के भीतर मारामारी मच सकती है और सिर्फ इस वजह से हवाई जहाज नीचे टपक सकता है.
एयरलाइंस ने टिकट बेची है तो प्लेन उड़ेगा जरूर. लेकिन, दो-चार घंटे लेट उड़े तो बौखलाइएगा मत. वहां हज़ारों की टिकट खरीदने वालों का प्लेन टाइम से उड़ नहीं पा रहा होगा, और आप 200-400 रुपए की टिकट लेकर एयरपोर्ट पर बवाल काटेंगे.
ख़ैर, अब आप आराम से सस्ती टिकट लेकर हवाई यात्रा करें. और हां, हवाई चप्पल पहन लें. हवाई चप्पल छोड़कर भागने और मारने-दोनों में सुविधा रहती है.
मेरी शुभकामनाएँ !!!!