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पद्मावती विवाद: खिलजी ने इसी शीशे में देखी थी रानी पद्मिनी की झलक!

टूरिस्ट गाइड भी पर्यटकों को उन शीशों से भी रूबरू कराते हैं जिनसे खिलजी ने पद्मिनी की झलक देखी थी.

FP Staff

फिल्म 'पद्मावती' में जिस मुगल शासक और रानी पद्मिनी के प्रेम प्रसंग के जिक्र को लेकर फिल्मकार संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट की गई... उसी किस्से को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग बरसों से पर्यटकों को परोसता रहा है.

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले में स्थित पद्मिनी महल के बाहर पत्थर पर इसका जिक्र भी किया गया है.


यही नहीं टूरिस्ट गाइड इस किस्से को सच बताते हुए पर्यटकों को उन शीशों से भी रूबरू कराते हैं जिनसे खिलजी ने पद्मिनी की झलक देखी थी.

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पत्थर पर लिखा मिटाना होगा

हालांकि, भंसाली के साथ फिल्म 'पद्मावती' के सेट पर जयपुर में मारपीट के बाद अब राजपूत करणी सेना ने अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मिनी के प्रसंग काे लेकर अब पुरातत्व विभाग को भी चेतावनी दे डाली है.

मेवाड़ के गौरवपूर्ण इतिहास के साथ छेड़छाड़ बंद करने की मांग करते हुए करणी सेना ने पद्मिनी महल से कई चीजें हटाने को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है.

आज भी टूरिस्ट गाइड पद्मिनी-खिलजी की कहानी सुनाते हैं

करणी सेना ने कहा है कि वर्तमान में पद्मिनी महल में लगे शीशे हटाए जाएं जिनका जिक्र अलाउद्दीन खिलजी को रानी की झलक दिखलाने में किया जा रहा है.

साथ ही महल में पर्यटकों के लिए आयोजित होने वाले लाइट एंड साउंड शो की स्क्रिप्ट से भी पद्मिनी और खिलजी प्रसंग को हटाया जाए.

पद्मिनी महल से जिन शीशों को करणी सेना निराधार बताते हुए हटाने के लिए आंदोलन की बात कर रही हैं असल में अभी तक उन्हें हकीकत माना गया.

आज भी टूरिस्ट गाइड उन्हीं के सहारे पद्मिनी-खिलजी की कहानी सुनाते हैं. पर्यटक को बाकायदा शीशों में झांकते हुए साबित किया जाता है कि यही वो जगह है जहां से खिलजी ने पद्मिनी को देखा था.

करणी सेना की ओर से पद्मिनी-खिलजी प्रसंग को कोरी कहानी बताया जा रहा है. उनके इस दावे को कई इतिहासकार भी समर्थन देते हैं.

ऐसे में यदि अब करणी सेना की चेतावनी को गंभीरता से लिया गया तो पद्मिनी महल के बाहर पत्थर पर लिखी इस जानकारी को भी मिटाना होगा.

करणी सेना इस मसले पर लगातार सरकार पर दबाव बना रही है

सरकार बदलेगी महल का स्वरूप?

राजपूत करणी सेना के उग्र प्रदर्शन और मारपीट के बाद फिल्म डायरेक्टर संजय लीला को जयपुर में शूटिंग बंद करनी पड़ी. उन्हें थप्पड़ मारा गया और धमकियां भी दी गई जिनके बाद वो राजस्थान से जाने को मजबूर हो गए.

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लेकिन क्या करणी सेना के दबाव में अब सरकार पद्मिनी महल के स्वरूप को भी बदलेगी? इस सवाल का अभी किसी ने जवाब नहीं दिया.

दरअसल, जिन शीशों को करणी सेना हटाने के लिए चेतावनी दे रही है वे वहां सालों से लगे हैं. यहां तक कि पत्थर पर सूचना पट्‌ट तक पर खिलजी और पद्मिनी प्रसंग को उकेरा गया है.

हालांकि, इसमें यह भी साफ लिखा गया है कि यह एक किवदंती है.

(साभार-न्यूज 18)