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Janmashtami 2017 : जानिए क्या है जन्माष्टमी मनाने और व्रत रखने का सही मुहूर्त

इस साल जन्माष्टमी का पर्व तीन दिन तक मनाया जाएगा, जो कि सोमवार, 14 अगस्त से शुरू होगा

Shyamnandan Kumar

केवल वैष्णव मतावलंबियों के लिए ही नहीं बल्कि सभी हिंदुओं के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक विशेष पर्व है. यही कारण है पूरी दुनिया में जहां भी हिंदू हैं, वहां यह पर्व पूरी निष्ठा और विधि-विधान से मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार सोमवार यानी 14 अगस्त को मनाया जाएगा, जिसके लिए तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं.

इस योग में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म


रक्षा बंधन पर्व की तरह ही इस बार जन्माष्टमी को लेकर भी जनमानस में कुछ असमंजस है. इसका कारण यह है कि इस बार अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ नहीं पड़ रही है. इस दिन चंद्रमा वृष राशि में और सूर्य सिंह राशि में स्थित था. इन योगों के एक साथ नहीं होने से इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का जन्म दिवस काल विस्तृत हो गया है.

तीन दिन तक मनाई जाएगी जन्माष्टमी

सभी हिंदू धर्मग्रंथों में यह एकमत से उल्लिखित है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. लिहाजा हर साल, इसी अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र योग की अवधि श्री कृष्णाष्टमी अर्थात श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने हो रहा है. दूसरे शब्दों में कहें तो इस साल जन्माष्टमी पर्व तीन दिन मनाई जाएगी, जो कि सोमवार, 14 अगस्त से शुरू होगी.

जानिए क्या है अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 14 अगस्त की शाम में 5 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रही है, जो कि 15 अगस्त को दिन में 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगी.

वहीं अगर बात करें रोहिणी नक्षत्र की तो यह 15-16 अगस्त को रात 1 बजकर 27 मिनट से लग रहा है. जो कि 16 अगस्त की रात 11 बजकर 50 मिनट तक चलेगा. इससे स्पष्ट है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का आदर्श योग इस साल नहीं बन रहा है और यह अवधि लंबी खिंच रही है.

सर्व-साधारण के लिए जन्माष्टमी का मुहूर्त

जहां तक सर्व-साधारण हिंदुओं की बात है, तो वो जन्माष्टमी का त्योहार अष्टमी तिथि में ही मनाएंगे क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण जन्मदिन उसी तिथि में मनाए जाने की परंपरा है, जिस तिथि को उनका जन्म हुआ था. इस प्रकार जो श्रद्धालु जन्माष्टमी पर्व पर उपवास रखते हैं, वे जन्माष्टमी का पारण 15 अगस्त को करेंगे.

हालांकि देश के कुछ हिस्सों में जन्माष्टमी 15 अगस्त को भी मनाई जाएगी और पारण 16 अगस्त होगा. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को ठीक मध्य रात्रि में हुआ था, इसलिए उनका जन्मोत्सव अनुष्ठान आधी रात में संपन्न किया जाता है.

स्मार्त जन्माष्टमी और वैष्णव जन्माष्टमी का मुहूर्त

आपको बता दें, परंपरा से जन्माष्टमी त्योहार स्मार्त (स्मृति पर आधारित नियम के अनुकूल) हिंदूओं द्वारा एक दिन पहले मनाया जाता है, जबकि विशुद्ध वैष्णव मत का पालन करने वाले हिंदुओं के द्वारा यह पर्व एक बाद मनाया जाता है.

लिहाजा, 14 स्मार्त जन्माष्टमी अगस्त को और वैष्णव जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी.

जन्माष्टमी को 'व्रतराज' भी कहते हैं

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर्व का हिंदू धर्मग्रंथों में भूरी-भूरी प्रशंसा की गई है. इस उत्तम पर्व के महत्व का अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि धर्मग्रंथों में इस व्रत को 'व्रतराज' कहा गया है अर्थात यह सभी व्रतों में श्रेष्ठ है.

पुरानी मान्यता है कि इस व्रत को करने से श्रद्धालुओं को कई व्रतों के बराबर का फल मिल जाता है. आपको बता दें, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को पालने में झुलाने की विशेष परंपरा है. भक्तों का विश्वास है कि बाल कृष्ण को पालने में झुलाने से हर मनोकामना शीघ्र पूरी हो जाती है.