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आपको पता है आपका फैशन कितने जानवरों की जान लेता है?

आपको दिलकश बनाने में न जाने कितनी जानवरों की जानें कुर्बान होती हैं

Maneka Gandhi

जब आप पार्टी में जाने के लिए तैयार होते हैं, तो आपकी कोशिश होती है कि आप दिलकश दिखें. खुशबू से तरबतर रहें. आप अच्छे से नहाते हैं. बालों को शैम्पू करते हैं. फिर ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर मेक-अप करते हैं. लिपस्टिक, आईशैडो, रूज़, परफ्यूम से खुद को सजाते-संवारते हैं.

फिर आप कपड़े पहनते हैं. खास मौकों के लिए रेशमी लिबास अच्छा होता है. अगर ठंड के दिन हैं तो आप फर वाले जैकेट या लिबास पहनते हैं. इतना सब करने के बाद आप गहने पहनते हैं. मोतियों की माला या कोरल ईयररिंग?


फिर फैशनेबल जूतों की बारी आती है. सांप की चमड़ी या छिपकली की चमड़ी से बने जूते. मगरमच्छ की खाल से बना बैग. सज-धजकर आप कितने खूबसूरत लगते हैं. इतना सज-धजकर जब आप निकलते हैं, तो बिजलियां गिराते चलते हैं.

मगर क्या आपको पता है कि आपको इतना दिलकश बनाने में कितनी जानें कुर्बान होती हैं?

महिलाएं जो खुद को इतना सजाती-संवारती हैं, वो न जाने कितनी जानों की कुर्बानी से सजती हैं. फैशन के लिए, लग्जरी के लिए हम इंसान दुनिया में कत्लो-गारद मचाए रहते हैं. अगर आप कॉस्मेटिक्स, परफ्यूम, एरोसोल इस्तेमाल करते हैं, चमड़े और जानवरों के बालों से बनी चीजें खरीदते हैं, मोती या रेशम पहनते हैं, तो आप सामूहिक संहार के मुजरिम हैं. आप धरती के इकोलॉजिकल सिस्टम को तबाह कर रहे हैं. आप बेगुनाह जानवरों के कत्ल के जिम्मेदार हैं.

हर बार जब आप ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर खुद को तैयार करते हैं, तो जान लीजिए आप धरती को कितना नुकसान पहुंचाते हैं:

आपको पता भी है कि आपका पाउडर, लिपस्टिक और हेयर डाई आपके इस्तेमाल लायक बनाई गई है? इसे परखने के लिए हजारों छोटे बंदरों को पिंजरे में बंद किया जाता है. फिर उनके ऊपर नली से केमिकल की बौछार कर दी जाती है. ताकि ये पता लगाया जा सके कि इंसान कितनी मात्रा में ये केमिकल इस्तेमाल करे कि उसकी सेहत को नुकसान न हो.

मस्क परफ्यूम तैयार करने के लिए एक वन बिलाव को छोटे से पिंजरे में ठूंस दिया जाता है. पिंजरा इतना छोटा है कि बिलाव उसमें अपना सिर भी नहीं उठा पाता.

हर दस दिन में उस पर कोड़े बरसाए जाते हैं, क्योंकि इसी तकलीफ में उसके शरीर से कस्तूरी रिसती है. जो उसके शरीर से लगे पाउच में जमा होती है. फिर उसके शरीर में लगे इस पाउच को फाड़कर कस्तूरी निकाली जाती है. ऐसा हर दस दिन में तब तक होता है जब तक वो जानवर मर नहीं जाता. वो अपनी औसत उम्र की एक चौथाई जिंदगी ही जी पाता है.

एक खरगोश का सिर एक खांचे में बांध दिया जाता है, जिससे उसकी आंख निकल आती है. उसके ऊपर शैम्पू की बूंदें गिरती रहती हैं. तकलीफ में खरगोश जोर-जोर से चिल्लाता है. वो खांचे से निकलने की कोशिश में ताकत लगाता है. हर साल शैम्पू के कारोबार के लिए करीब एक लाख खरगोश अपनी आंखें गंवा देते हैं.

छोटा, कमजोर सा कस्तूरी हिरन हिमालय की वादियों में झांसा देकर जाल में फंसाया जाता है. इस जाल में फंसकर वो हिरन जान गंवा देता है. फिर अगर उस हिरन के पेट में लगी थैली में कस्तूरी होती है तो निकाल ली जाती है. अगर नहीं होती तो उसे यूं ही फेंक दिया जाता है. वैसे ही कस्तूरी हिरन बेहद कम तादाद में बचे हैं.

सांप की चमड़ी, मगरमच्छ की चमड़ी या छिपकली की चमड़ी? आपको इनसे बने सामान बहुत पसंद हैं न? पर क्या आपको पता है कि चमड़ी निकालने के लिए, मगरमच्छ को पकड़कर उसकी गर्दन पर वार करके घायल किया जाता है, ताकि उसकी रीढ़ की तंत्रिका का बाकी शरीर से संपर्क खत्म हो जाए. फिर उसकी पेट की तरफ की चमड़ी इस्तेमाल के लिए उधेड़ ली जाती है. और घायल मगरमच्छ को वापस पानी में छोड़ दिया जाता है.

सांप की चमड़ी उस वक्त इस्तेमाल के लिए ज्यादा अच्छी होती है जब जिंदा सांप की खाल उधेड़ ली जाए. इसके लिए सांप के सिर में कील चुभाकर उसे पेड़ से लटकाया जाता है. फिर उसकी पूंछ को पैर से दबाकर चाकू से उसकी चमड़ी उधेड़ी जाती है. यही हाल छिपकलियों का होता है.

दूसरे जानवरों का चमड़ा भी आसानी से नहीं निकलता. आपको क्या लगता है, चमड़े का हर सामान मरे हुए जानवर की खाल से तैयार होता है? लेकिन वो जानवर आपके चमड़े के सामान के लिए ही मारे जाते हैं. गायें, भैंसें, छोटे बछड़े जिनकी खाल से मुलायम जूते बनते हैं. इन सब जानवरो को मारकर उनकी खाल निकाली जाती है. यहां तक कि आवारा कुत्तों को भी मारकर उनकी खाल निकाली जाती है.

इसी तरह गर्भवती घोड़ियों से एस्ट्रोजेन नाम का हार्मोन निकाला जाता है ताकि कॉस्मेटिक का सामान बन सके. इसके लिए घोड़ी को हमेशा गर्भवती रखा जाता है, ताकि उसके पेशाब में एस्ट्रोजेन आता रहे. फिर उसे हमेशा कैद रखा जाता है. जब ये घोड़ियां किसी काम की नहीं रह जातीं, तो उन्हें मेडिकल रिसर्च के लिए बेच दिया जाता है.

इसी तरह आफ्टरशेव लोशन लगाने से जलन न हो, इसके लिए गिनीपिग की चमड़ी को टेप लगाकर छील दिया जाता है. उसके बाल उखाड़ दिए जाते हैं. इन छिली हुई चमड़ी पर आफ्टरशेव का छिड़काव करके पता लगाया जाता है कि इससे चमड़ी कितनी जलती है. एक ही जानवर को बार-बार ये जुल्म सहना पड़ता है ताकि आपके लिए सही मिकदार वाला आफ्टरशेव लोशन तैयार हो सके. इन तजुर्बों के दौरान कई बार जानवरों की मौत हो जाती है.

रेशम के कपड़े तैयार करने के लिए सिल्क के प्यूपा को उबलते पानी में डाल दिया जाता है. उसे तब तक उबालते हैं जब तक रेशे बाहर नहीं निकल आते. एक किलो सिल्क तैयार करने के लिए बीस हजार रेशम के कीड़े यूं ही मारे जाते हैं. हर सिल्क की साड़ी को तैयार करने के लिए पचास हजार रेशम के कीड़े मारे जाते हैं.

कभी आपने सोचा कि आपकी मोतियों की माला कैसे तैयार होती है? सीप के अंदर जब एक कंकड़ के इर्द-गिर्द पेशियों का घेरा बनता है, तो ये घेरा सीप की तकलीफ कम करने के लिए बनता है. इस दर्द से एक मोती तैयार होता है. जब मोतियों का कारोबारी उत्पादन किया जाता है तो सीप की जीभ फाड़कर उसमें कंकड़ घुसाया जाता है. जब तक मोती तैयार नहीं होता, तब तक सीप भयंकर दर्द झेलती है. फिर मोती निकालने के लिए उसे मार दिया जाता है.

क्या आपको कराकुल हैट पहनना पसंद है? मुलायम, घुंघराले कराकुल असल में मेमने के बालों से तैयार होते हैं. वक्त से पहले बच्चा पैदा कराने के लिए मेमने की मां पर लोहे की सरिया से सैकड़ों बार वार किया जाता है. फिर उस वक्त से पहले पैदा हुए मेमने की खाल जिंदा ही उतार ली जाती है, ताकि उसके फर मुलायम ही रहें. ये सब उसकी मां के सामने ही होता है. बच्चों के फर वाले कपड़े हों या आपको ठंड से बचाने वाले फर के कोट, सब यूं ही तैयार होते हैं.

खरगोश के फॉर्म तो मानो खरगोशों की कत्लगाह होते हैं. यहां खरगोशों को छोटे पिंजरों में रखा जाता है, ताकि वो खास आकार तक ही बड़े हों. फिर उन्हें बिजली के झटके देकर मार दिया जाता है. कुछ जगह तो उनका गला भी घोंट दिया जाता है, ताकि उनके फर खराब न हों.

क्या आप हाथी दांत की चूड़ियां पहनती हैं? भले ही हाथियों के मारने पर पाबंदी हो, मगर हाथी दांत के कारोबारी, मरे हुए हाथी के दांत निकाल सकते हैं. तो वो हाथियों को मार देते हैं. इसके लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. कई बार उसके रास्ते में कांटे बिछाए जाते हैं, जिससे हाथी को घाव हो जाता है और वो तड़प-तड़पकर मरता है.

कई बार हाथी के पसंदीदा फल कटहल में जहर भर दिया जाता है और हाथी उसे खाकर मर जाते हैं. मरे हुए हाथी के दांत निकाल लिए जाते हैं. उसकी खाल उधेड़ ली जाती है. हाथी दांत बेचने पर पूरी दुनिया में रोक लगी है. मगर भारत में पाबंदी के बावजूद इसका कारोबार जारी है क्योंकि इसकी भारी मांग है.

आप जानवरों के बाल से बने शेविंग ब्रश, हेयर ब्रश, जूतों के ब्रश, आई लाइनर और रूज के लिए ब्रश इस्तेमाल करते हैं. ये सभी ब्रश जानवरो के बालों से बनते हैं. गिलहरियों जैसे जानवरों के बाल उखाड़कर ये ब्रश तैयार करते हैं. शेविंग ब्रश सुअर के बाल से तैयार होते हैं. अक्सर उसके बाल जिंदा ही उखाड़ लिए जाते हैं. इस दौरान वो दर्द से कराहता रहता है.

इनमें से कोई भी चीज आपके लिए जरूरी नहीं. ना खुशी के लिए, ना सेहत के लिए. इन सभी कॉस्मेटिक्स के विकल्प हैं, जो आप इस्तेमाल करके इन जानवरों को बेइंतिहा जुल्म से बचा सकते हैं. आप बनावटी चमड़े का सामान इस्तेमाल कर सकते हैं. फूलों और दूसरे पौधों से बने कॉस्मेटिक इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसा करके आप जानवरो को तमाम तरह के जुल्मों से बचा सकते हैं.