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आपका पैसा: किराए पर घर देकर कहीं फंस तो नहीं रहे

एग्रीमेंट के दौरान बरती गई लापरवाही से किराएदार उठा सकता है बेजा फायदा

Pratima Sharma

गुड़गांव की एक आईटी कंपनी में काम करने वाले आकाश वर्मा ने पिछले साल नोएडा एक्सप्रेस पर एक फ्लैट खरीदा. उन्होंने यह फ्लैट निवेश के लिहाज से खरीदा था. आकाश का प्लान था कि चार-पांच साल के बाद वह इस फ्लैट को बेच देंगे. ऑफिस में उनके कुछ दोस्तों ने तब तक घर किराए पर लगाने की सलाह दी, लेकिन आकाश को यह आइडिया पसंद नहीं आया. खाली पड़े फ्लैट की मेंटेनेंस मुश्किल होने के बाबजूद आकाश उसे किराए पर नहीं देना चाहते थे. वजह थी उनके भाई के साथ हुई घटना.

दरअसल आकाश के भाई ने भी अपना फ्लैट किराए पर दिया था लेकिन किराएदार ने उन्हें काफी परेशान किया. मामला कोर्ट तक पहुंचा. इन सबके बीच उनका घर फंस गया. इस घटना की वजह से आकाश अपना फ्लैट खाली रखने को तैयार हैं लेकिन किराए पर देने के लिए नहीं.


इस तरह की घटनाएं बहुत आम हैं. लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इस तरह की दिक्कतों से बचा जा सकता है. किसी दूसरे शहर में किराए पर अपना फ्लैट देने वालों को हमेशा यह डर होता है कि किराएदार कहीं घर हड़प ना ले. लिहाजा आकाश की तरह कई लोग अपना घर खाली रहने देते हैं लेकिन किसी को किराए पर नहीं देना चाहते हैं.

वैसे तो किराएदार और मकानमालिक के बीच का झगड़ा कोई नई बात नहीं है. लेकिन घर के लिए रेंट एग्रीमेंट करने से पहले कुछ बातों का ध्यान देना किराएदार और मकानमालिक दोनों के लिए जरूरी है.

किस तरह का हो एग्रीमेंट?

मकानमालिक और किराएदार के बीच दो तरह के एग्रीमेंट होते हैं. पहला, लीव एंज लाइसेंस एग्रीमेंट और दूसरा लीज या रेंट एग्रीमेंट. लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में मकानमालिक को किराएदार की मर्जी के बगैर घर में दाखिल होने का पूरा अधिकार होता है. ऐसी हालत में किराएदार के पास कुछ भी कहने का हक नहीं है. वहीं, रेंट एग्रीमेंट में मकानमालिक अपने किराएदार को एक तय समय के लिए तय कीमत में घर का पूरा अधिकार किराएदार को देता है. यानी जितने दिनों के रेंट एग्रीमेंट है उस फ्लैट पर किराएदार का हक होगा.

इसका भी रखें ध्यान

लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में यह साफ-साफ लिखना जरूरी है कि एग्रीमेंट किसके-किसके बीच हो रहा है. इसकी जरूरत रेंट एग्रीमेंट में नहीं होती है. जब इस तरह का करार होता है तो उसमें किसी खास व्यक्ति का नाम लिखने के बजाय लाइसेंसर और लाइसेंसी लिख सकते हैं. इसमें करार किसी खास शख्स के बजाय मकानमालिक और किराएदार के बीच होगा. अगर किसी किराएदार का नाम लिख देंगे तो वह उस खास शख्स के लिए ही होगा.

मालिकाना हक का मामला?

अगर मकानमालिक और किराएदार के बीच रेंट एग्रीमेंट हुआ है तो प्रॉपर्टी बिकने पर रेंट एग्रीमेंट पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. जबकि लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट रद्द हो जाता है.