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बंपर निवेश: सरकारी बैंकों की किस्मत बदलेगी सरकार

केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए निवेश करने वाली है, जिससे बैंकिंग इंडस्ट्री की सुधरेगी हालत

Pratima Sharma

सरकार ने इकनॉमी को बढ़ावा देने के लिए निवेश बढ़ाने का फैसला किया है. फाइनेंस मिनिस्ट्री ने अगले दो साल में सरकारी बैंकों की किस्मत बदलने का फैसला किया है. सरकारी बैंकों में केंद्र सरकार ने  2.11 लाख करोड़ रुपए निवेश करने का फैसला किया है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने निवेश करने का फैसला किया है.

फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैंकिंग सेक्रेटरी राजीव कुमार ने कहा कि सरकार रीकैपिटलाइजेशन बॉन्ड्स के जरिए 1.35 लाख करोड़ रुपए निवेश करेंगे. इसके अलावा 76,000 करोड़ रुपए बजटीय सपोर्ट और मार्केट से जुटाया जाएगा.


पहले भी किए हैं ऐलान

सरकार ने इससे पहले 2015 में भी निवेश का ऐलान किया था. इंद्रधनुष बैंकिंग स्कीम के तहत तब सरकार ने 70,000 करोड़ रुपए का निवेश पास किया था. इसमें से 80 फीसदी रकम सरकारी बैंकों में डाली जा चुकी है. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि यह रकम बहुत कम है और इससे सरकारी बैंकों का भला नहीं हो सकता है.

फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा, इंद्रधनुष योजना के तहत जो 18,000 करोड़ बाकी रह गए हैं उसे 76,000 करोड़ रपए के बजटीय सपोर्ट से जुटाने वाली राशि में शामिल कर लिया जाएगा. बाकी के 58,000 करोड़ रुपए बैंकों को शेयर बेचकर खुद जुटाना होगा.

कर्ज के बोझ से बेजार है बैंकिंग इंडस्ट्री 

सरकारी बैंकों के लिए कर्ज एक बड़ी समस्या बन गई है. सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़कर 8.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. जेटली ने कहा, 2008 से 2014 के बीच बैंकों ने 'अंधाधुंध' तरीके से लोन बांटा है. इस दौरान सरकारी बैंकों का लोन बढ़कर 34 लाख करोड़ रुपए हो गया. जेटली ने कहा, इसका एक बड़ा हिस्सा एनपीए में तब्दील हो गया है.

बेसेल III के लिए चाहिए फंड  

बाजार के जानकारों का कहना है कि बेसेल III के नियमों को पूरा करने के लिए सरकारी बैंकों को कम से कम 5 लाख करोड़ रुपए की जरूरत है. बैंकों को बेसेल III नियम को पूरा करने के लिए मार्च 2019 तक का वक्त दिया गया है. जेटली का कहना है कि निवेश से बैंकिंग सेक्टर के दूसरे रिफॉर्म में भी तेजी आएगी.