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टैक्स मामले को निपटाने भारतीय कोर्ट नहीं जा रहे: वोडाफोन

कंपनी ने 11,000 करोड़ रुपए के टैक्स मांग मामले में भारत के खिलाफ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है

Bhasha

वोडाफोन ग्रुप ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि भारत के खिलाफ शुरू की गई मध्यस्थता प्रक्रिया में वह यहां अदालतों के पास नहीं जा रही है.

कंपनी ने 11,000 करोड़ रुपए के कर मांग मामले में भारत के खिलाफ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है. सरकार ने वोडाफोन ग्रुप की ओर से हचिसन टेलीकॉम में हिस्सेदारी के अधिग्रहण के 11 अरब डॉलर के सौदे के संबंध में कंपनी के खिलाफ कर मांग जारी की थी.


कंपनी ने भारत ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि 'बीपा' के तहत इसके खिलाफ मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू की है. हाई कोर्ट ने 22 अगस्त को वोडाफोन ग्रुप की मध्यस्थता प्रक्रिया पर रोक लगाई थी. इस मुद्दे को लेकर कंपनी की यह दूसरी मध्यस्थता प्रक्रिया है. कंपनी ने इसी मुद्दे पर समान मध्यस्थता प्रक्रिया भारत नीदरलैंड बीपा के तहत शुरू की थी जिस पर प्रक्रिया चल रही है.

वोडाफोन की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने रखा पक्ष 

वोडाफोन ग्रुप की ओर से अदालत में हाजिर हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने न्यायाधीश मनमोहन को सूचित किया कि उच्च न्यायालय के 22 अगस्त के नोटिस के जवाब में कंपनी ने कहा है कि वह इस मामले में भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र में नहीं जा रही है.

साल्वे ने कहा कि भारत सरकार ने मध्यस्थ नियुक्त करने की प्रतिबद्धता इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस आईसीजे के अध्यक्ष के समक्ष जताई है. केंद्र सरकार ने दो बीपा के तहत पंचाट प्रक्रिया का विरोध करते हुए यहां याचिका दायर की है. सरकार का दावा है कि कंपनी का जवाब दीवानी प्रक्रिया संहिता सीपीसी के तहत नहीं है.

अदालत ने हालांकि कहा कि वह इस मामले में पर 26 अक्तूबर को सुनवाई करेगी. यह तारीख पहले ही तय है. अदालत ने दोनों ही पक्षों से अपने लिखित जवाब 17 अक्तूबर तक देने को कहा है. अदालत ने इस मामले में मदद के लिए एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया है.