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नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने दिया इस्तीफा

उम्मीद है कि अरविंद पनगढ़िया दोबारा कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाने जा सकते हैं

Ranjita Thakur

देश के सबसे बड़े सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने इस्तीफे की पेशकश की है. देश की नीति और विकास प्रक्रिया को नई दिशा देने के लिए मोदी सरकार ने योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग की शुरुआत की थी. नीती आयोग के वाइस चेयरमैन के रूप में पनगढ़िया का कार्यकाल 31 अगस्त को पूरा होगा.

पनगढ़िया ने अपने इस फैसले से पीएमओ को भी अवगत करा दिया है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल असम के बाढ़ ग्रस्त इलाकों के दौरे पर हैं. लिहाजा पनगढ़िया के इस्तीफे पर आखिरी फैसला नहीं हुआ है.


पनगढ़िया का अनुभव

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अध्यापन का कार्य करने वाले अरविंद पनगढ़िया को खुद प्रधानमंत्री ने नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष के तौर पर चुना था. उनकी पहचान दुनिया के सबसे अनुभवी अर्थशास्त्री में होती है.

बताया जाता है कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कोई भी व्यक्ति रिटायर नहीं होता है. वह जीवनभर अपनी स्वास्थ्य क्षमता के अनुसार अध्यापन कार्य कर सकता है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अरविंद पनगढ़िया को दो बार पहले भी वापस लौटने के लिए नोटिस भेजा गया था.

इन नोटिस में पूछा गया था, 'क्या वह यूनिवर्सिटी में आगे अध्यापन कार्य नहीं करना चाहते हैं. वह लंबे समय से अपने पद से अनुपस्थित हैं. लिहाजा वहां छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही है. नोटिस में यह लिखा गया है कि वह यह निर्णय करें कि आगे वह छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं या नहीं. अगर वह अध्यापन के लिए इच्छुक नहीं है तो अपना इस्तीफा दे दें.'

पढ़ाने का शौक सबसे ऊपर

एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि अरविंद पनगढ़िया का पहला प्रेम पढ़ाना है. यही वजह है कि उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर यहां पर नीति आयोग से विदा लेने का मन बनाया है. यही वजह है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है.

प्रिंसटेन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र में पीएचडी अरविंद पनगढ़िया पहले अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इंडियन पॉलिटिकल इकनॉमी पढ़ाते थे. इससे पहले वह एशियन डेवलपमेंट बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट भी रह चुके हैं. इसके अलावा वह मेरीलैंड यूनिवर्सिटी के कॉलेज पार्क में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर के तौर पर भी सेवा दे चुके हैं. वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और यूएनसीटीएडी में भी कई पदों पर काम कर चुके हैं.

अरविंद पनगढ़िया कई पुस्तक भी लिख चुके हैं. उनकी पुस्तक इंडिया द इमरजिंग जाइंट 2008 में इकनॉमिस्ट की ओर से सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तक में शामिल हो चुकी है. मार्च 2012 में उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदम विभूषण से नवाजा जा चुका है.

अपनी बात सौहार्दपूर्ण तरीके से तार्किक अंदाज में कहने वाले अर्थशास्त्री के रूप में पहचान बनाने वाले पनगढ़िया की सलाह पर ही सरकार ने एयर इंडिया को बेचने का निर्णय किया था. इससे पहले तमाम अर्थशास्त्री एयर इंडिया को लेकर इस तरह की इच्छा तो रखते थे लेकिन सरकार के सामने कहने की पहल किसी ने नहीं की.