अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार तमाम कोशिशें कर रही हैं. हालांकि, रियल एस्टेट की ऊंची कीमतों के कारण सरकार को इसमें कुछ खास कामयाबी नहीं मिल पाई है. बिल्डर और बड़े निवेशक कम दाम में अपनी इनवेंटरी देने पर राजी नहीं हैं. लिहाजा एक तरफ इनवेंटरी बरकरार है तो दूसरी तरफ अफोर्डेबल प्राइस पर घर नहीं मिल पा रहे हैं.
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लिहाजा सरकार ऐसी इनवेंटरी पर लगाम लगाने के लिए बजट में टैक्स लगाने का प्रावधान कर सकती है. किसी फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा होने और उसे ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी अगर बिल्डर उस यूनिट को बेचता नहीं है तो उस पर टैक्स लग सकता है. ऐसे तैयार यूनिट पर सरकार 10 फीसदी टैक्स लगा सकती है. रियल एस्टेट सेक्टर को 'इंडस्ट्री' का दर्जा भी मिल सकता है. इससे इस सेक्टर को लॉन्ग टर्म के लिए फंड जुटाने में मदद मिलेगी.