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इस दिवाली चीनी लड़ियों को भारत से मिल रही कड़ी चुनौती

चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों और डोकलाम विवाद की वजह से इस साल दिवाली के लिए कारोबारियों ने चीनी उत्पादों के काफी कम ऑर्डर दिए हैं

Bhasha

इस साल दिवाली पर भारतीय मैनुफैक्चर्रस (विनिर्माता) भी चीन की लड़ियों या झालरों को चुनौती देने के लिए बाजार में उतर आए हैं. माना जा रहा है कि इससे लड़ियों, एलईडी बल्ब और डेकोरेटिव लाइटों के बाजार पर ‘ड्रैगन’ का दबदबा कम होगा, हालांकि, कीमतों के मोर्चे पर चुनौती बरकरार है.

कारोबारियों के अनुसार पिछले साल दिवाली पर चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान चलने से चीन की लड़ियों की बिक्री लगभग 20 फीसदी तक कम हुई थी. इस साल भी डोकलाम विवाद के चलते व्यापारियों ने पहले से सावधानी बरतते हुए चाइनीज लड़ियों और अन्य लाइटिंग उत्पादों का आयात कम किया है. माहौल को देखते हुए कई स्थानीय निर्माताओं ने भी बाजार में देश में बनी लड़ियों, बिजली वाली मोमबत्ती और दीये उतार दिए हैं.


देश के प्रमुख थोक बाजार सदर बाजार के व्यापारियों का कहना है कि चीन से आयात के लिए चार-पांच महीने पहले ऑर्डर देना पड़ता है. डोकलाम विवाद की वजह से उन्होंने माल फंसने की आशंका में काफी कम ऑर्डर दिए हैं. यही नहीं पिछले साल चीन से आयात किया गया काफी माल बच गया था, जिसे वो इस बार दिवाली के मौके पर खपाने का प्रयास करेंगे.

चीनी उत्पादों के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार है

अभियान के चलते चाइनीज लड़ियों की मांग 50 फीसदी घटने के आसार 

दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा बताते हैं कि पिछले साल चीन के सामान के बहिष्कार को लेकर अभियान की वजह से चाइनीज लड़ियों की मांग 20 फीसदी तक घटी थी. इस बार इसमें 50 फीसदी तक कमी आने के आसार हैं. बवेजा कहते हैं कि पिछले साल व्यापारियों ने थोक में चाइनीज उत्पादों का आयात किया था, लेकिन बहिष्कार की वजह से उनका काफी माल निकल नहीं पाया था. हालांकि, इसके साथ ही बवेजा का यह भी कहना है कि कीमतों के मामले में आज भी भारतीय मैनुफैक्चर्रस (विनिर्माता) चीन का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं, जिससे कारोबारियों को चाइनीज लड़ियां और अन्य लाइटिंग उत्पाद बेचने पड़ते हैं.

सदर बाजार में इलेक्ट्रिकल सामान का कारोबार करने वाले मुकुंद शाह कहते हैं कि इस बार चाइनीज लड़ियों की मांग तो आ रही है, पर ग्राहक अब ‘मेड इन इंडिया’ की भी मांग कर रहा है. शाह कहते हैं कि चाइनीज झालरों की कीमत जहां 20-30 रुपए से शुरू हो जाती है और 500 रुपए तक जाती है. वहीं भारतीय लड़ियां की शुरुआत 60-70 रुपए से होती है. कीमतों के मोर्चे पर चीन का मुकाबला करना मुश्किल है.