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'प्रति व्यक्ति कम आय है भारत के विकास की राह में रोड़ा'

हाल ही में एसएंडपी ने भारत की रेटिंग को सबसे निचली निवेश श्रेणी ‘बीबीबी-’ पर ही स्थिर रखा है

Bhasha

वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) के अनुसार कम प्रति व्यक्ति आय भारत की आर्थिक वृद्धि की राह में बड़ा रोड़ा बन गई है और उसने इसे देश की रेटिंग नहीं बढ़ाए जाने की मुख्य वजह बताई है.

रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सप्ताह भर पहले ही भारत की रेटिंग बढ़ा दी थी लेकिन एसएंडपी ने इस रेटिंग को सबसे निचली निवेश श्रेणी ‘बीबीबी-’ पर ही स्थिर रखा है. उसने बड़े राजकोषीय घाटा, सरकार पर भारी कर्ज और कम प्रति व्यक्ति आय को इसकी वजह बताया है.


एसएंडपी ने एक बयान में कहा, ‘भारत की रेटिंग निम्न संपत्ति स्तर की वजह से रुकी हुई है जिसकी गणना प्रति व्यक्ति आय के आधार पर की जाती है. हमारे आकलन के हिसाब से यह 2017 में दो हजार डॉलर के आस-पास रहा जो हमारे द्वारा रेटिंग किए जाने वाले निवेश योग्य देशों में सबसे कम है.’

प्रति व्यक्ति आय किसी भी शहर, राज्य या देश में किसी विशिष्ट वर्ष के दौरान वहां के लोगों की औसत कमाई है. इसका इस्तेमाल संबंधित क्षेत्र के निवासियों की जिंदगी की गुणवत्ता और रहन-सहन के स्तर का पता लगाने में होता है.

सरकार के आर्थिक सुधारों का किया स्वागत

हालांकि एसएंडपी ने मध्यम अवधि के लिए देश की वृद्धि की संभावनाओं के प्रति सकारात्मकता व्यक्त की है. उसने जीएसटी, बैंकों का पुनर्पूंजीकरण, दिवाला शोधन संहिता जैसे भारत सरकार के हालिया सुधारों का स्वागत किया.

उसने देश की प्रति व्यक्ति आय पर चिंता जाहिर की. एसएंडपी के अनुसार, भारत की प्रति व्यक्ति आय 1948.69 डॉलर है. चीन की प्रति व्यक्ति आय 8876.84 डॉलर, रूस की प्रति व्यक्ति आय 10478.74 डॉलर, ब्राजील की प्रति व्यक्ति आय 9867.03 डॉलर और दक्षिण अफ्रीका की प्रति व्यक्ति आय 6129.64 डॉलर है.

जाने-माने बैंकर उदय कोटक ने भी देश की प्रति व्यक्ति आय के कम स्तर को सुधारने पर जोर दिया. उन्होंने हाल ही में ट्वीट कर कहा, ‘समय आ गया है कि भारत गति पकड़े. 1800 डॉलर की प्रति व्यक्ति आय से चीन के मौजूदा स्तर 8500 डॉलर तक, हमें 20 साल तक प्रति व्यक्ति आय में आठ से नौ प्रतिशत की दर से वृद्धि की जरूरत है.’

रेटिंग एजेंसी द्वारा कम प्रति व्यक्ति आय का मुद्दा उठाने पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा, ‘अंतत: हम इसे असमानता मानते हैं क्योंकि लघु और मध्यम अवधि में प्रति व्यक्ति आय के संबंध में हम कुछ नहीं कर सकते हैं.’