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IL&FS में किसी घोटाले से इनकार नहीं किया जा सकता: सूत्र

IL&FS को हर महीने के काम काज के लिए 100 करोड़ रुपए की जरूरत होती है

FP Staff

देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस  कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS)बड़े आर्थिक संकट से जूझ रही है. कुछ सरकारी सूत्रों का कहना है कि कंपनी में किसी फर्जीवाड़े से इनकार नहीं किया जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि कंपनी के नए बोर्ड को गैरजरूरी खर्चों को कम करने का टास्क दिया गया है. अगले हफ्ते बोर्ड की बैठक होने वाली है. सूत्रों ने कहा कि IL&FS नेशनल फाइनेंशिंग रिपोर्टिंग अथॉरिटी के लिए टेस्ट केस भी होगा.


नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) का शुरुआती फैसला नए बोर्ड के लिए राहत थी. NCLT कंपनी की सब्सिडियरी और ज्वाइंट वेंचर में नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति का काम कर रहा है. यह कंपनी के ड्यू डिलिजेंस (बहीखातों की जांच) के लिए किसी स्वतंत्र प्रोफेशनल कंपनी की तलाश कर रहा है.

हर दिन के कामकाज के लिए 100 करोड़ रुपए की जरूरत!

कंपनी की एक अंदरूनी रिपोर्ट तैयार की गई है. सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट से समुचे हकीकत का पता नहीं चलता है. सूत्र का कहना है, 'सरकार को किसी स्वतंत्र कंपनी से ड्यू डिलीजेंस करा कर कंपनी की सही वित्तिय स्थिति का पता लगाना चाहिए.' अधिकारी ने आगे कहा कि IL&FS का नया बोर्ड बनने से आगे किसी नए मुकदमे से बचा जा सकता है. सूत्र ने यह भी कहा कि IL&FS को हर महीने के काम काज के लिए 100 करोड़ रुपए की जरूरत होती है.

हालांकि नए बोर्ड ने अभी इस मामले में कोई मुद्दा नहीं उठाया है. अपने क्लेम के सेटलमेंट के लिए IL&FS के बोर्ड ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) से संपर्क किया है. इससे पहले IL&FS के बोर्ड ने कंपनी मामलों के मंत्रालय के सेक्रेटरी इनजेती श्रीनिवास से मुलाकात की है. श्रीनिवास से मिलकर बोर्ड ने पहली बैठक के बाद अपनी असेसमेंट रिपोर्ट की जानकारी दी. बैठक के बाद उदय कोटक ने कहा कि बोर्ड सरकार के साथ सलाह मशविरा करते हुए सही प्रोग्रेस कर रहा है.

इस साल 27 अगस्त को इंटरेस्ट पेमेंट पर डिफॉल्ट करने के बाद IL&FS की खराब वित्तीय हालत का पता चला. 12 सितंबर से लेकर 27 सितंबर के बीच कंपनी ने 7 बार लोन डिफॉल्ट कर चुकी है.

इस महीने की शुरुआत में NCLT ने सरकार को यह अनुमति दी कि वह कर्ज में दबी IL&FS के बोर्ड पर अधिकार कर ले. NCLT ने एक 6 सदस्यीय पैनल भी नियुक्त किया है जिसके अध्यक्ष कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी उदय कोटक हैं. इस पैनल ने तुरंत प्रभाव से कंपनी के प्रबंधन को अपने अधिकार में ले लिया.