सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक बरकरार रखी है. 19 अक्टूबर को दिवाली से पहले यहां पटाखों की बिक्री नहीं हो पाएगी. कोर्ट के इस फैसले के बाद पटाखों की बिक्री 1 नवंबर, 2017 से ही दोबारा शुरू हो सकेगी.
इससे राजधानी और आसपास के इलाकों में प्रदूषण कम होने की उम्मीद जरूर जगी है, जो दिवाली के अवसर पर अत्यधिक हो जाती है. सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर नवंबर 2016 में ही रोक लगा दी थी.
चोरी छिपे बिक्री की है आशंका
इस बीच आशंका जताई जा रही है कि बड़ी संख्या में ट्रेडर्स चोरी-छिपे तरीके से पटाखे बेचेंगे, जो वास्तविक कीमत की तुलना में कई गुना महंगे होंगे. हालांकि, पटाखों के उपयोग में भारी कमी आना तय है, जिससे शहर में प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी, जो इन दिनों उफान पर रहता है.
देश में हर साल लगभग 6,000-6,500 करोड़ रुपए का पटाखे का कारोबार होता है, जिनमें से 90 फीसदी कारोबार दिवाली पर होता है. दिल्ली में पटाखों का करीब 1,000 करोड़ रुपए का अनुमानित कारोबार होता है.
पटाखों का सबसे अधिक निर्माण तमिलनाडु में होता है. तमिलनाडु के सबसे बड़े पटाखे केंद्र शिवकाशी से 3000 से लेकर 4000 करोड़ रुपए की बिक्री होती है.
चीनी पटाखों का 1500 करोड़ रुपए का है कारोबार
देश में चीनी पटाखों की हिस्सेदारी 2015 की तुलना में 2016 में लगभग 40 फीसदी बढ़कर 1500 करोड़ रुपए की हो गई थी. हालांकि इस साल कोर्ट के बैन का इस पर असर दिखने की संभावना है.
पटाखे के खिलाफ जारी सरकारी और गैर-सरकारी जागरूकता अभियानों का भी इसके उपयोग पर असर हुआ है. यही कारण है कि दिल्ली में इसके उपयोग में लगातार कमी आ रही है.
दिल्ली सरकार भी भारतीय और चीनी पटाखों की बिक्री और भंडारण रोकने के लिए बाजारों में छापे डालती है, जिसका असर भी बिक्री पर पड़ा है.