भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड के सदस्य एस गुरुमूर्ति ने कहा है कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच गतिरोध का होना कोई अच्छी स्थिति नहीं है. गुरुमूर्ति का यह बयान रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की अहम बैठक से पहले आया है.
हाल के दिनों में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध उभरकर सामने आया है. इनमें केंद्रीय बैंक की खुद की पूंजी से संबंधी नियम और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र के लिए कर्ज की उपलब्धता के नियम उदार करने से संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं.
गुरुमूर्ति ने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) में 'अर्थव्यवस्था की स्थिति- भारत और विश्व' विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि डूबे कर्ज के लिए एक झटके में सख्त प्रावधान के नियमों से भी बैंकिंग प्रणाली के समक्ष समस्या खड़ी हुई है. उन्होंने कहा, 'सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच गतिरोध किसी भी तरीके से अच्छा नहीं है.' गुरुमूर्ति ने कहा कि भारत को बासेल पूंजी पर्याप्तता नियम के आगे बढ़कर सोचना चाहिए. उन्होंने सूक्ष्म लघु और मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए कर्ज सुविधा बढ़ाने की भी वकालत की.
रिजर्व बैंक और सरकार के बीच हाल के समय में तनाव बढ़ा है. वित्त मंत्रालय ने पहले कभी इस्तेमाल नहीं की गई रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विचार विमर्श शुरू किया है. इसके तहत सरकार को रिजर्व बैंक को निर्देश जारी करने का अधिकार है. रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को होनी है.