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'नीतिगत रुख सख्त बनाने की जगह न्यूट्रल कर सकता है RBI'

रिजर्व बैंक की (एमपीसी) द्वैमासिक समीक्षा बैठक मुंबई में पांच से सात फरवरी तक होगी.

Bhasha

विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति का दबाव कम होने के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) इस हफ्ते अपना नितिगत रुख बदल कर तटस्थ कर सकती है. हालांकि राजकोषीय मार्चे पर चुनौतियों और कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से समिति के लिए नीतिगत ब्याज दर घटाना अभी संभव नहीं लगता है.

रिजर्व बैंक की (एमपीसी) द्वैमासिक समीक्षा बैठक मुंबई में पांच से सात फरवरी तक होगी. नए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की यह पहली समीक्षा बैठक है. दास ने 12 दिसंबर को आरबीआई की कमान संभाली. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति आने वाली सात फरवरी को अपने नीतिगत रुख को नाप-तोल कर कठोर बनाने की जगह न्यूट्रल कर सकती है.


अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 3.8 फीसदी के अनुमान से कम 2.6 फीसदी रही. नारंग ने कहा, 'मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी और वैश्विक वृद्धि सुस्त पड़ने से 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के दायरे में रहने वाली है. इससे रिजर्व बैंक को नीतिगत रुख बदलने का मौका मिलेगा. हालांकि स्वास्थ्य, शिक्षा और घरेलू एवं निजी सामान जैसे मुख्य कारकों के उच्च स्तर से दरों में बदलने की सुविधा सीमित है.'

मैग्मा फिनकॉर्प के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संजय चमड़िया का मानना है कि वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट भाषण में रिजर्व बैंक के जरिए दरों में कटौती की भूमिका तैयार की है.