पिछले साल हुए नोटबंदी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सौ रुपए और 1000 रुपए का नोट बंद कर दिया था. उनकी दलील थी कि इससे काले धन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा.
इसके बाद आरबीआई ने 2 हजार रुपए का नोट जारी किया, जिससे काफी हैरानी हुई. जानकारों का मानना था कि 2000 रुपए जैसे बड़े नोट जारी करने से ब्लैक मनी का खतरा और बढ़ेगा. उस वक्त यह सुनने में आया था कि आरबीआई धीरे-धीरे 2000 रुपए के नोट को बाजार से वापस ले लेगा. एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने अब 2000 रुपए के नोटों की छपाई बंद कर दी है या इसे बड़े पैमाने पर जारी नहीं करेगी.
क्या है एसबीआई की रिपोर्ट?
स्टेट बैंक की इकोफ्लैश रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में हाल में पेश किए गए आंकड़ों से यदि रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों को मिलाया जाए तो यह पता चलता है कि मार्च 2017 तक बैंकिंग सिस्टम में जारी छोटे नोटों की वैल्यू 3,501 अरब रुपए थी. इस लिहाज से आठ दिसंबर को अर्थव्यवस्था में मौजूद टोटल करेंसी में से छोटे नोटों की वैल्यू घटाने के बाद बड़े नोटों की वैल्यू 13,324 अरब रुपए होनी चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 8 दिसंबर की स्थिति के अनुसार रिजर्व बैंक ने 500 रुपए के 1,695.7 करोड़ नोट छापे. वहीं 2,000 रुपए के 365.40 करोड़ नोट की छपाई की. दोनों मूल्य वर्ग के नोटों की कुल वैल्यू 15,787 अरब रुपए बैठता है.
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने यह रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इसका मतलब है कि उच्च मूल्य वर्ग के बाकी बचे (15,787 अरब रुपए - 13,324 अरब रुपए) 2,463 अरब रुपए के नोट रिजर्व बैंक ने छापे तो हैं लेकिन उन्हें बाजार में जारी नहीं किया.
दिलचस्प बात यह है कि इसके आधार पर यह माना जा सकता है कि 2,463 अरब रुपए की मुद्रा छोटी राशि के नोटों में छापी गई हो. केंद्रीय बैंक ने इस बीच इतनी राशि के 50 और 200 रुपए के नए नोटों की छपाई की हो.
लेन-देन में कठिनाई को देखकर लिया गया फैसला
रिपोर्ट के मुताबिक 2,000 रुपए के नोट से लेन-देन में कठिनाई को देखते हुए ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक ने या तो 2,000 रुपए के नोट की छपाई रोक दी या इसकी छपाई उसने कम कर दी है. नोटबंदी के समय शुरू में नकदी की स्थिति को सामान्य बनाने के लिये पर्याप्त राशि उपलब्ध कराने के ध्येय से इसकी बड़ी मात्रा में छपाई की गई थी. इसका यह भी मतलब है कि प्रचलन में उपलब्ध कुल मुद्रा में छोटी राशि के नोट का हिस्सा मूल्य के लिहाज से 35 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
सरकार ने पिछले साल आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपए के नोटों को चलन से हटाने का फैसला किया. ये नोट तब चलन में जारी कुल मुद्रा का 86 से 87 प्रतिशत थे. इससे नकदी की कमी हुई और बैंकों में चलन से हटाए गए नोटों को बदलने या जमा करने को लेकर लंबी कतारें देखी गईं. उसके बाद रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपए मूल्य के नए नोट के साथ 500 रुपए का भी नया नोट जारी किया. उसके बाद, रिजर्व बैंक ने 200 रुपए का भी नोट जारी किया.
(इनपुटः भाषा)