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‘रेरा’ कानून लागू होने के बावजूद बिल्डर्स बेपरवाह और निवेशक बेहाल

रेरा कानून लागू हो जाने के बाद भी अभी निवेशकों को मुश्किलें आ रही हैं

Ravishankar Singh

नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन की 100 से भी अधिक रियल स्टेट की परियोजनाओं पर तलवार लटकी हुई है. इन परियोजनाओं का निर्माण कार्य पूरा होने के आसार अगले एक-दो साल तक भी नजर नहीं आ रहे हैं. इससे करीब डेढ़ लाख निवेशकों को अपनी गाढ़ी कमाई का डूबने का डर सताने लगा है.

देश में रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट) लागू होने के बाद भी बिल्डर्स प्रोजेक्ट पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. रेरा के तहत बिल्डरों को रजिस्टर करने की आखिरी तारीख 31 जलाई थी.


रेरा लागू होने के बाद कहीं न कहीं निवेशकों को लगने लगा था कि रेरा लोगों को पारदर्शिता देगा. लोगों के पास डेवलपर का सारा डाटा ऑनलाइन रहेगा. लेकिन राज्य सरकारों के रवैये ने भी निवेशकों को बीच भंवर में छोड़ दिया है.

हम आपको बता दें कि रेरा कानून लागू होने के बाद सभी राज्य सरकारों को इस कानून से जुड़े रियल एस्टेट रूल्स नोटिफाई और रेग्युलेटर नियुक्त करने थे. लेकिन अब तक पंजाब, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को छोड़कर किसी भी राज्य ने स्थाई रेग्युलेटर नियुक्त नहीं किया है.

पिछले साल ही संसद ने रियल एस्टेट कानून पारित किया था. इस कानून के पारित होने के बाद लोगों को काफी उम्मीदें नजर आने लगी थीं. अगर दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन की 100 से भी अधिक रियल स्टेट परियोजनाओं पर ग्रहण के बादल मंडरा रहे हैं.

नोएडा प्राधिकरण के बीच का रास्ता निकालने के तमाम प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से यह कहा जा रहा है कि प्राधिकरण बिल्डर्स परियोजनाओं पर निगरानी रख कर फंसे हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने की कोशिश में लगा हुआ है.

लेकिन, नोएडा प्राधिकरण का भी बिल्डरों पर लगभग 4 हजार 200 करोड़ रुपए का बकाया है. ऐसे में निवेशक प्राधिकरण पर आरोप लगा रहे हैं कि प्राधिकरण निवेशकों के हितों का ख्याल न रख के अपना पैसा निकालने में लग गया है.

हालांकि, प्राधिकरण लगातार दावा कर रहा है कि किसी भी निवेशक का पैसा डूबने नहीं दिया जाएगा. लेकिन आम्रपाली जैसे बिल्डरों पर प्राधिकरण के द्वारा किसी भी तरह की कार्रवाई अब तक नहीं किया जाना प्राधिकरण के नियत पर सवाल खड़ा करता है.

पिछले महीने सिर्फ खानापूर्ति के लिए आम्रपाली बिल्डर के सीएमडी अनिल शर्मा के दामाद रितिक कुमार सिन्हा और एक और अधिकारी निशांत मुकुल को नोएडा पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

लेकिन अगले ही दिन आम्रपाली बिल्डर्स के द्वारा चार करोड़ रुपए सेस चुका देने के बाद दोनों अघिकारियों को छोड़ भी दिया गया.

नेफोआ (नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ऑनर्स वेलफेयर एशोसिएशन) का कहना है कि हजारों बायर्स के हितों की सरकार को कोई चिंता नहीं है, जिनके कई 100 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं. केवल 4 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में लेबर वेलफेयर सेस के रूप में जमा नहीं हो पाने के कारण आम्रपाली के सीईओ को गिरफ्तार कर लिया गया.

इससे यह पता चलता है कि सरकार बायर्स के हितों के प्रति संवेदनशील नहीं है, बल्कि अपने हितों के प्रति संवेदनशील है.

हम आपको बता दें कि आम्रपाली बिल्डर्स की पहचान नोएडा एनसीआर के बड़े बिल्डरों में की जाती है. नोएडा, दिल्ली समेत देश के कई शहरों में इस ग्रुप के कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहे हैं.

नोएडा प्राधिकरण द्वारा पिछले कई महीनों से निवेशकों को बताया जा रहा है कि अधूरे प्रोजेक्ट में को-डेवलपर्स को शामिल कर बिल्डर्स को मुसीबत से उबार दिया जाएगा.

प्राधिकरण के अधिकारी लगातार कहते आ रहे हैं कि प्रोजेक्ट सेटलमेंट पॉलिसी और रिशड्यूलमेंट नीति में कुछ राहत देकर बिल्डरों को उभारने की कोशिश जारी है. इसके बावजूद प्राधिकरण को अभी तक इस काम में सफलता नहीं मिली है.

हम आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट(नोएडा एक्सटेंशन जिसको कहते हैं) में 203 बिल्डर परियोजनाएं चल रही हैं. इनमें करीब पांच लाख फ्लैट बनाए जाने हैं. अब तक दो लाख 37 हजार निवेशक विभिन्न परियोजनाओं में फ्लैट बुक करा चुके हैं.

जब से नोएडा एक्सटेंशन परियोजना स्वरूप में आई है तब से ही किसानों के साथ जमीनी विवाद के चलते रियल स्टेट परियोजनाओं का निर्माण कार्य समय-समय पर बाधित रहा है.

हम आपको बता दें कि अधिकांश बिल्डरों को 2010 में जमीनों का आवंटन हुआ था. कई बिल्डर ऐसे हैं, जिन्होंने एक प्रोजेक्ट से प्राप्त धनराशि को दूसरे प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीदने पर लगा दिया. इससे पहला प्रोजेक्ट भी पूरा नहीं हो सका और दूसरे प्रोजेक्ट भी भंवर में फंस गया.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद प्राधिकरण ने दावा किया है कि दो दर्जन बिल्डर्स के करीब 25 हजार निवेशकों को फ्लैटों पर कब्जा दिया जा चुका है. इनमें से 21 हजार निवेशक अपने फ्लैटों की रजिस्ट्री भी करा चुके हैं. अभी तक लगभग चार हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री होना बाकी है.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि सरकार ग्राहकों को बिल्डरों की ठगी से निजात दिलाने के लिए गंभीर है और यूपी में कोई भी बिल्डर निवेशकों को धोखा देकर भाग नहीं सकेगा.

देश में रेरा लागू होने के बाद बिल्डरों को अब सभी काम पूरे करके कब्जा देना होगा. इससे आवंटितों को सुविधाएं तो सब मिलेंगी, मगर इंतजार लंबा हो जाएगा. इनमें से अधिकांश प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनकी कब्जा देने की समय सीमा बहुत पहले ही बीत चुकी है.

रेरा के आने के बाद लोगों को यह लगने लगा था कि बिल्डरों की मनमानी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी. लेकिन इसके बावजूद निवेशक अभी भी परेशान और हैरान हैं.

बिल्डरों को नोएडा के 104 प्रोजेक्ट का पंजीकरण रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट (रेरा) में कराना था. पंजीकरण के बाद ही अब यहां फ्लैटों की संख्या में इजाफा करने, कंप्लीशन के लिए आवेदन करने व ले-आउट में बदलाव जैसी कार्रवाई हो सकेगी.

नोएडा प्राधिकरण ने अब तक 129 भूखंडों का आवंटन ग्रुप हाउसिंग के रूप में किया है. इनमें से 72 प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें एक भी निवेशक को फ्लैट पर कब्जा नहीं मिल सका है, जबकि 32 प्रोजेक्ट के आधे से अधिक निवेशक फ्लैटों पर कब्जा पाने के इंतजार में हैं.

प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूखंड पर बनाई गई सोसायटी में से मात्र 25 प्रोजेक्ट के सौ फीसद निवेशकों को फ्लैटों पर कब्जा मिल पाया है.

रेरा के लागू होने के बाद नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन के उन तीन लाख निवेशकों को राहत मिलने की उम्मीद है, जिन्हें अब तक फ्लैट पर कब्जा नहीं मिल सका है. सबसे बड़ी राहत उन निवेशकों को मिलेंगी, जिन्होंने जिस प्रोजेक्ट में निवेश किया था और वहां अब तक काम भी शुरू नहीं हो सका है.

रेरा के अंतर्गत सभी प्रोजेक्ट का पंजीकरण होने के बाद बिल्डर को समय भी बताना होगा कि वे कितने समय में प्रोजेक्ट को पूरा कर देंगे. प्रोजेक्ट का एस्क्रो अकाउंट भी खोला जाएगा. जिससे प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में नहीं लगाया जा सकेगा.

रेरा कानून के पूरी तरह से लागू होने का अर्थ यह है कि पहले से चल रहे प्रोजेक्ट भी इस कानून के दायरे में आ जाएंगे. लेकिन कुछ राज्य सरकारों के द्वारा अभी तक रेग्यूलेटर नियुक्त नहीं करना निवेशकों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है.