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RBI बोर्ड की बैठक 9 घंटे चली: MSME के लिए नई स्कीम, 25 करोड़ का मिल सकेगा लोन

सरप्लस फंड को लेकर आरबीआई एक अलग पैनल बनाएगा. यह पैनल सरप्लस फंड का रिव्यू करेगा और सरकार को फंड ट्रांसफर करेगा

FP Staff

रिजर्व बैंक की बोर्ड मीटिंग सोमवार को करीब 9 घंटे तक लगातार चली. केंद्र के साथ खींचतान के बीच इस बैठक की अहमियत काफी ज्यादा है. उम्मीद थी कि इस बैठक से कई गंभीर मुद्दों के हल निकलेंगे लेकिन नतीजा ऐसा नहीं रहा. ज्यादातर मसले अभी हल नहीं हो पाए हैं. इस बैठक में जिन बातों पर फैसला हुआ, उनमें से मझोले एवं सूक्ष्म (medium and small scale enterprises यानी MSME) को लेकर है. रिजर्व बैंक के बोर्ड ने यह फैसला लिया कि इस सेक्टर को अब 25 करोड़ रुपए तक का लोन दिया जा सकता है.

आरबीआई के सरप्लस फंड का क्या होगा?


आरबीआई एक अलग पैनल बनाएगा. यह पैनल सरप्लस फंड का रिव्यू करेगा और सरकार को फंड ट्रांसफर करेगा. पैनल के गठन पर आखिरी फैसला आरबीआई और फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली लेंगे. इस बीच मौजूदा पैनल प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) से जुड़े मामलों को देखेगी.

इन मुद्दों पर हुई चर्चा 

बैठक के बाद आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. सरकार और गुरुमूर्ति ने आरबीआई पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को अधिक नकदी उपलब्ध कराने, छोटे कारोबारियों के लिए कर्ज नियमों को आसान बनाने, कमजोर बैंकों के लिए नियमों में ढील देने और रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड में से कुछ राशि अर्थव्यवस्था को प्रोत्सोहन को देने के लिए उपलबध कराने को लेकर दबाव बनाते रहे. सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई के बोर्ड की अगली बैठक 14 दिसंबर को होने वाली है.

इन बातों पर था टकराव

बैंक और सरकार के बीच मुख्य रूप से फंड को लेकर टकराव था. पहले तो सरकार को लगता है कि RBI के पास 3.6 लाख करोड़ रुपए का रिजर्व है. सरकार चाहती है कि इस फंड का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए किया जाए. वहीं आरबीआई का तर्क है कि बाजार में पर्याप्त पैसा है. ऐसे में किसी NBFC का डिफॉल्ट का बेहद निजी मामला है.

सरकार पर लगे गंभीर आरोप

पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया है कि वह आरबीआई के रिजर्व पर अपना हक जमाना चाहती है. चुनाव के सालों में सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़िया दिखाने के लिए आरबीआई से अपने रिजर्व के एक हिस्से को विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. सरकार ने करीब 1 लाख करोड़ रुपए की मांग रखी थी.

जब आरबीआई के गवर्नर ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, तब सरकार ने आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. चिदंबरम ने कहा, आरबीआई अधिनियम की सेक्शन 7 सरकार को सार्वजनिक हित में केंद्रीय बैंक प्रमुख से परामर्श करने और निर्देश देने की शक्ति देता है.

हालांकि गुरुमूर्ति ने इन सारी बातों को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार केवल एक पॉलिसी चाहती है जिससे की यह निर्धारित हो सके कि आरबीआई कितना रिजर्व अपने पास रख सकती है. अध्ययन कहता है कि रिजर्व के पास 12 से 18.7 प्रतिशत संपत्ति होनी चाहिए, लेकिन बैंक के पास 27-28 फीसदी संपत्ति है.