भारतीय रिजर्व बैंक छह महीने के लिए 12 करेंसी वैरिफिकेशन सिस्टम्स लीज पर लेगा. इससे चलन से बाहर हो चुके 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों में से जाली नोट अलग करने में मदद मिलेगी. रिजर्व बैंक फिलहाल 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को गिनने में लगा है. 8 नवंबर 2016 को डीमॉनेटाइजेशन के बाद 500 और 1,000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था.
रिजर्व बैंक ने निकाला नया टेंडर
इस साल मई की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने 18 करेंसी वैरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (CVPS) लीज पर लेने के लिए एक ग्लोबल टेंडर निकाला था. हालांकि, बाद में इस टेंडर को कैंसल कर दिया गया था और अब 12 ऐसे सिस्टम को लीज पर लेने के लिए नया टेंडर निकाला गया है.
टेंडर डॉक्यूमेंट के मुताबिक, रिजर्व बैंक के रीजनल ऑफिस में मिले सभी करेंसी नोट्स को 30 नोट प्रति सेकेंड की न्यूनतम स्पीड पर प्रोसेस किया जाएगा. लीज कॉन्ट्रैक्ट की अवधि छह महीने होगी, जिसे तीन चरणों में दो-दो महीने बढ़ाया जा सकता है.
पुराने नोटों की हो रही है गिनती
रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल ने 12 जुलाई को पॉर्लियामेंट्री पैनल के सामने पेश होने से पहले कहा था कि चलन से बाहर हो चुके जिन नोटों को जमा किया गया है, उनकी गिनती अब भी चल रही है, ऐसे में स्क्रैप्ड करेंसी का आंकड़ा देने की स्थिति में अभी नहीं हैं. फाइनेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा हुई, उस समय 500 रुपए के 1,716.50 करोड़ नोट और 1,000 रुपए के 685.80 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे.
(न्यूज 18 से साभार)