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पहली छमाही में महंगाई का दबाव पहले से कम रहेगा: आरबीआई

राज्यों के बीच कृषि कर्ज माफी की होड़ से महंगाई का खतरा बढ़ जाएगा

Bhasha

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति घटाकर 2 से 3.5 फीसदी कर दिया है. उसका मानना है कि दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी तक पहुंच सकती है.

केंद्रीय बैंक ने आगाह किया है कि राज्यों के बीच कृषि कर्ज माफी की होड़ से महंगाई का खतरा बढ़ जाएगा. आरबीआई ने कहा कि फरवरी, मार्च में मजबूत बढ़ोतरी के बाद अप्रैल महीने में अचानक और उल्लेखनीय रूप से मुद्रास्फीति में कमी से कई मुद्दे उठे हैं जिसे मुद्रास्फीति के अनुमान में शामिल किया गया है.


वित्त वर्ष 2017-18 के द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में रिजर्व बैंक ने कहा है कि दलहनों के रिकार्ड उत्पादन और उसके आयात के कारण अधिक आपूर्ति से इसकी कीमतों में गिरावट का भी मुद्रास्फीति पर असर है.

इसमें कहा गया है कि ‘खुले व्यापार और नीतिगत हस्तक्षेप से कीमतों में कमी पर रोक लग सकती है.’ रिजर्व बैंक के अनुसार खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में नरमी अस्थायी हो सकती है क्योंकि ग्रामीण मजदूरी में बढ़ोतरी और उपभोक्ता मांग में मजबूती का रूझान है.

इसमें कहा गया है, ‘अगर अप्रैल की स्थिति बनी रहती है और कोई नीतिगत हस्तक्षेप नहीं होता है तो खुदरा मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 2 से 3.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 फीसदी रह सकती है.’ इससे पहले, रिजर्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 5 फीसदी तक रहेगी.

मुद्रास्फीति के घटने और बढ़ने का खतरा बराबर

केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति के घटने और बढ़ने का खतरा बराबर है. इसमें मानसून का स्थानिक और अस्थायी वितरण तथा सरकार का प्रभावी खाद्य प्रबंधन जोखिम के रास्ते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पांचवीं बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है, ‘बड़े कृषि कर्ज माफी की घोषणा से राजकोषीय स्थिति खराब होने और उसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका बढ़ी है.’

केंद्रीय बैंक ने कहा कि वैश्विक राजनीतिक और वित्तीय जोखिम से आयातित मुद्रास्फीति पैदा हुई है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भत्ते दिए जाने से इसके उपर जाने का भी जोखिम बना हुआ है.

हालांकि आरबीआई ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से कुल मिलाकर मुद्रास्फीति पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है.