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पॉलिसी रिव्यू: ग्रोथ की बजाय महंगाई घटाने पर रहा RBI का फोकस

आरबीआई ने फिस्कल ईयर 2018 की दूसरी छमाही में महंगाई बढ़ने और आर्थिक ग्रोथ घटने का अनुमान जताया है, जो अरुण जेटली की मुश्किलें बढ़ा सकता है

Pratima Sharma

कमजोर होती अर्थव्यवस्था पर सरकार चारों तरफ से घिरी हुई है. उम्मीद थी कि मौद्रिक समीक्षा में आरबीआई की मॉनेट्री पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) रेट कट करके सरकार को कुछ हद तक राहत दे सकता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. एमपीसी ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया. रेपो रेट को पहले की तरह 6 फीसदी पर बरकरार रखा. वहीं रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. यह अभी भी 5.75 फीसदी है.

महंगाई को लेकर समझौता नहीं


आरबीआई की एमपीसी ने इस बात के साफ संकेत दे दिए कि उनके लिए ग्रोथ बढ़ाने से ज्यादा अहम महंगाई पर काबू पाना है. आरबीआई ने पॉलिसी रिव्यू में अनुमान जताया है कि फिस्कल ईयर 2017-18 की दूसरी छमाही में महंगाई 4.2 से 4.6 फीसदी के करीब रह सकती है. पहले आरबीआई ने अनुमान जताया था कि फिस्कल ईयर 2018 की दूसरी छमाही में महंगाई की ग्रोथ रेट 3 फीसदी रह सकती है. हालांकि अब महंगाई बढ़ने की आशंका ने रेट कट को लेकर आरबीआई के हाथ बांध दिए हैं.

आमतौर पर सरकार और आरबीआई के बीच ग्रोथ और महंगाई को लेकर ही रस्साकशी रहती है. सरकार की कोशिशें रहती हैं कि आरबीआई रेट कट करके अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे. वही आरबीआई की कोशिश रहती है कि किसी भी तरह से महंगाई पर काबू पाया जा सके.

जीएसटी से घटी है रफ्तार

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने यह भी माना कि जीएसटी की वजह से आर्थिक ग्रोथ प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा, ‘जीएसटी लागू होने की वजह से शॉर्ट टर्म में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की संभावनाओं को चोट पहुंची है.’ इसी के साथ ही आरबीआई ने फिस्कल ईयर 2018 के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है.

फाइनेंस मिनिस्टर की बढ़ेगी मुश्किल

उर्जित पटेल और उनकी टीम का यह आंकड़ा फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली की नींदें उड़ाने के लिए काफी है. अर्थव्यवस्था को लेकर अरुण जेटली पहले ही यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की आलोचनाओं का शिकार हो चुके हैं. ऐसे में अगर आने वाले महीनों में आर्थिक ग्रोथ घटती है तो मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. जीडीपी के कमजोर आंकड़ों को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई रेट कट करके राहत दे सकता है. उद्योग जगत को रेट कट ना होने से बड़ा झटका लगा है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हालत पहले ही खराब है. ऐसे में उद्योग जगत को यह आशंका है कि ग्राहकों के पास खर्च लायक पैसे नहीं होने से मांग में कमी बनी रहेगी. सस्ते होम लोन की उम्मीद करने वाले ग्राहकों को भी निराशा मिली है.