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RBI को सिद्धू बनने की जरूरत नहीं, द्रविड़ की तरह डटे रहें तो बेहतर होगा: रघुराम राजन

उन्होंने कहा, 'अभी आरबीआई की भूमिका राहुल द्रविड़ की तरह धीर-गंभीर फैसले लेने वाले की होनी चाहिए, उसे नवजोत सिंह सिद्धू की तरह बनने की जरूरत नहीं है'

FP Staff

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों को लेकर टकराव जारी है. इसी के चलते आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने महत्वपूर्ण सलाह दी है. राजन ने आरबीआई को मौजूदा हालात का डटकर सामना करने को कहा है. उन्होंने कहा, 'अभी आरबीआई की भूमिका राहुल द्रविड़ की तरह धीर-गंभीर फैसले लेने वाले की होनी चाहिए. उसे नवजोत सिंह सिद्धू की तरह बनने की जरूरत नहीं है.'

CNBC-TV18 से बात करते हुए पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, 'मौजूदा समय में केंद्रीय बैंक की भूमिका कार की सीट बेल्ट की तरह है, जो दुर्घटना रोकने के लिए जरूरी होता है. आरबीआई सरकार की सीट बेल्ट की तरह है. अब केंद्र की मर्जी है कि वो इसे पहने या उतार दे.'


रघुराम राजन ने रुपए को लेकर कहा, 'रुपए का सही स्तर क्या हो, इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते. फोकस रुपए के स्तर पर नहीं, बल्कि उन चीजों पर होना चाहिए, जो इसे उपयुक्त स्तर पर रखने में सहायक हो.'

एक-दूसरे को सुनना और समझना होगा

राजन ने कहा, 'एक बार जब आप गवर्नर या डिप्टी गवर्नर अपॉइन्ट कर देते हैं, फिर आपको उनकी सुननी भी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'वित्त मंत्रालय और आरबीआई के बीच चल रहा विवाद आपसी बातचीत से आसानी से सुलझाया जा सकता है. लेकिन, आपको एक-दूसरे की सुननी होगी और समझनी पड़ेगी.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, 'बेसल के नियमों का हवाला देकर 11 बैंकों को पीसीए के नियमों से ढील देने की बात करना भ्रामक है. बेसल के नियम कुछ स्थितियों में लचीले हैं, लेकिन अन्य भारतीय नियमों की तुलना में बेहद सख्त हैं.'

जेटली बोले सरकार देती रहेगी सलाह

उन्होंने ये भी कहा कि आरबीआई और केंद्र सरकार इससे सही सबक लेंगे और टकराव से पीछे हटेंगे. राजन ने कहा कि इसमें सबसे बड़ी भूमिका आरबीआई बोर्ड की है. यह कोच की भूमिका निभाता है. भारत में केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच बातचीत कभी खत्म नहीं हो सकती.

RBI और सरकार के बीच बढ़ती टेंशन पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार आगे भी RBI को सलाह देती रहेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के खिलाफ आरबीआई ऐक्ट, 1934 के तहत केंद्र सरकार को मिले इस अधिकार का इस्तेमाल किया है.

आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह सार्वजनिक हित के मुद्दे पर आरबीआई को सीधे-सीधे निर्देश दे सकती है, जिसे आरबीआई मानने से इनकार नहीं कर सकता है.

(साभार न्यूज18)