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रेमंड विवाद: बेटे गौतम सिंघानिया से बिलियन-डॉलर साम्राज्य के लिए जंग लड़ेंगे विजयपत

एक छोटे से ग्रुप से एक बड़े ब्रांड तक कंपनी को ले जाने वाले विजयपत मानते हैं कि उनके बेटे के हाथ में कारोबार सौंपना उनकी सबसे बड़ी मूर्खता थी

FP Staff

विजयपत सिंघानिया ने जब तीन साल पहले अपने बेटे गौतम सिंघानिया को रेमंड ग्रुप का नियंत्रण सौंपा, तो उनको लगा कि उन्होंने अरबों डॉलर के कपड़ा साम्राज्य को बेटे को सौंप कर परिवार को मजबूत ही किया है. लेकिन उसके बाद से उनके संबंध मजबूत होने की जगह बिगड़ते ही चले गए.

कपड़ा उद्योग के एक बड़े नाम विजयपत सिंघानिया ने अब अपने ही बेटे पर धोखा देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने उन्हें न सिर्फ कारोबार बल्कि घर से भी निकाल दिया. अब विजयपत अपने ही बेटे को दी गई प्रॉपर्टी वापस लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ना चाहते हैं.


बेटे गौतम को सौंप दिए थे 50 फीसदी से ज्यादा शेयर

80 वर्षीय व्यवसायी ने ही रेमंड ग्रुप को एक छोटे से कपड़ा उद्योग से भारत में एक जाने पहचाने नाम के ब्रांड में तब्दील किया था. एनडीटीवी की खबर के मुताबिक रेमंड ग्रुप अब सीमेंट, डेयरी और तकनीक के क्षेत्र में भी काम कर रहा है.

रेमंड ग्रुप के संस्थापक विजयपत की मुसीबत तब शुरू हुई जब साल 2015 में उन्होंने इस ग्रुप के 50 फीसदी से ज्यादा शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया को दे दिए थे. दरअसल एक पारिवारिक विवाद को सुलझाने के लिए साल 2007 में उनके बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. जिसके चलते विजयपत को मुंबई के मालाबार हिल में सिंघानिया परिवार का 36 मंजिला जेके हाउस स्थित फ्लैट मिलना था.

छिन गया एमिरिटस चेयरमैन का पद

हालांकि बाद में जब कंपनी उनके बेट गौतम के हाथ में आई तो गौतम  ने कंपनी की इस कीमती प्रॉपर्टी को बेचने से इनकार कर दिया. जब बाप-बेटे के बीच विवाद बढ़ा तो विजयपत सिंघानिया से चेयरमैन एमिरिटस का पद भी छिन गया. इसी को लेकर विजयपत ने गौतम पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें दफ्तर से निकाल दिया गया है.

पिछले दो सालों में अरबपति बाप-बेटों में बेरुखी इतनी बढ़ गई कि उन्होंने इस दरमियान एक दूसरे से एक बार भी बातचीत नहीं की. अब विजयपत साल 2007 के उस समझौते के आधार पर अपने बेटे को दी संपत्ति वापस लेने की तैयारी में हैं. एक छोटे से ग्रुप से एक बड़े ब्रांड तक कंपनी को ले जाने वाले विजयपत मानते हैं कि उनके बेटे के हाथ में कारोबार सौंपना उनकी सबसे बड़ी मूर्खता थी.